गणेश चतुर्थी: अपने बच्चे को सिखाएं गणेश जी के ये गुण, बनेगा समझदार
punjabkesari.in Saturday, Sep 11, 2021 - 04:10 PM (IST)
प्रथम पूजनीय गणेश जी का पावन उत्सव चल रहा है। इस दौरान लोग बप्पा की मूर्ति घर में स्थापित करते हैं। साथ ही उनकी कृपा पाने के लिए बप्पा को अलग-अलग चीजों का भोग लगाते हैं। ऐसे में हर साल ही इन पावन दिनों को बड़े उत्साह व भव्य तरीके से मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणपति जी को शिक्षा, बुद्धि, ज्ञान, कला का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में आप अपने बच्चों को उनके गुणों के बारे में बताकर सीख दे सकते हैं।
मां की सेवा करना
गणेश जी अपनी मां यानि पार्वती माता के आज्ञाकारी पुत्र थे। पौराणिक कथाओं अनुसार, वे अपनी मां के आदेश का पालन करने के लिए अपने पिता भगवान शिव से भले ही अनजाने में मगर लड़ पड़े थे। इस दौरान गुस्से में आकर शिव जी ने गणेश जी का मस्तक यानि सिर धड़ से अलग कर दिया था। ऐसे में मां के आदेश को पूरा करने के लिए वे अपनी जान की बाजी भी लगाने से डरे नहीं। इस कथा से पता चलता है कि वे किसी भी कीमत पर अपनी मां की बात को ठुकराते नहीं थे।
माता-पिता ही सब कुछ
भगवान गणेश जी अपने माता-पिता को सब कुछ मानते थे। एक कथा अनुसार, एक बार कैलाश में गणपति जी और उनके बड़े भाई कार्तिकेय को पृथ्वी के 3 चक्कर लगाने को कहा गया था। मगर बप्पा अपने माता-पिता को ही पूरा संसार मान्यते हैं। ऐसे में उन्होंने पृथ्वी की जगह पर माता पार्वती और भगवान शिव के ही ओर ही 3 प्रक्रिमा कर ली थी। ऐसे में इस कथा से पता चलता है कि गणपति जी के लिए उनके माता-पिता की सब कुछ थे।
सीखने से मिलेगा ज्ञान
भगवान गणेश जी हमेशा से क्रिएटिव सोच रखते थे। साथ ही वे मुश्किल परिस्थिति में भी घबराने की जगह कुछ अलग तरीके से सोचकर उसका हल निकाल लेते हैं। इस बात से पता चलता है कि आपक भले ही शरीर से कमजोर हो। मगर आप अपनी बुद्धि और समझदारी से हर परिस्थिति का हल निकाल सकते हैं।
ज्ञान से मिलेगी सफलता
भगवान गणेश जी को ज्ञान और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। तेज दिमाग आप किसी भी समस्या का आसानी से हल निकाल सकते हैं। ऐसे में पेरेंट्स का फर्ज बनता है कि वे बच्चों के हर सवाल का जवाब दें। ताकि उनके ज्ञान में वृद्धि हो। आप चाहे तो अपने बच्चों को अलग-अलग गेम्स रीडिंग और क्रॉसवर्ड पजल से भी सीखने की आदत डाल सकते हैं।
कभी न हार मानें
गणेश जी कभी भी हार नहीं मानते थे। धार्मिक कथा अनुसार, महाभारत लिखने से पहले गणेश जी ने व्यास जी बिना रूके कथा बोलने को कहा था। साथ ही व्यास जी ने बप्पा को बिना रूके कथा लिखने की शर्त रखी थी। ऐसे में कथा लिखते समय गणेश जी की कलम टूटने पर वे रूके नहीं बल्कि उन्होंने अपना दांत तोड़कर उससे लिखने शुरू कर दिया था। बता दें, गणेश जी द्वारा रचित महाभारत में 1.8 मिलीयन शब्द और हजारों कहानियां व उप-कहानियां लिखी गई थी। ऐसे में आप भी अपने बच्चे को बप्पा की यह कथा सुनाएं कि जिंदगी में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।