यहां आज भी लगता है गधों का मेला, औरंगजेब से जुड़ी इसकी दिलचस्प कहानी
punjabkesari.in Monday, Nov 16, 2020 - 01:13 PM (IST)
देशभर में दिवाली का त्योहार बड़ी धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया गया। जहां एक तरफ दिवाली को लेकर सजे बाजार और मिठाइयों की दुकानों पर लोगों की भीड़ देखने को मिली। वहीं मध्य प्रदेश में हर साल की तरह इस बार भी दिवाली पर पांच दिवसीय ऐतिहासिक गधा बाजार लगाया गया। इस बाजार में दूर-दूर से व्यापारी गधे लेकर पहुंचे। हालांकि कोरोना संकट के चलते बाजार में पहले की तरह रौनक नहीं दिखाई दी। लेकिन व्यापारियों ने मुगल शासक औरंगजेब के समय से चल रही इस परंपरा को टूटने नहीं दिया।
औरंगजेब ने जारी किया था गधा बाजार लगाने का फरमान
दिवाली के त्योहार पर पांच दिन लगने वाले गधा बाजार में लोग दूर-दूर से गधों को खरीदने के लिए आते हैं। मान्यताओं के अनुसार चित्रकूट में मुगल शासक औरंगजेब द्वारा सबसे पहले गधों का बाजार लगाने का फरमान जारी किया गया था। इस मेले के पीछे एक कथा काफी प्रचलित है।
औरंगजेब ने की थी शिव मंदिर तोड़ने की कोशिश
औरंगजेब को मंदिरों का विध्वंश करने वाले शासक के रुप में भी जाना जाता है। बताया जाता है कि जब मुगल शासक औरंगजेब ने धर्म नगरी चित्रकूट के प्रसिद्ध मत्यगजेंद्र शिव मंदिर को तोड़ने की कोशिश की तो उस समय सारी सेना में प्लेग नामक बीमारी फैल गई थी। यहां तक के उसकी सेना के घोड़े, गधे और खच्चर भी इस बीमारी की चपेट में आकर मरने लगे थे। जिसके बाद मुगल शासक ने चित्रकूट के ख्याति प्राप्त संत से इसका कारण पूछा तो संत ने बताया कि आपके द्वारा प्राचीन मंदिर तोड़े जाने की कोशिश करने पर आपके साथ ये घटना घट रही है।
सेना के लिए गधे और खच्चरों का बाजार लगवाया
संत ने आगे कहा कि यदि खुद को और अपनी सेना को सलामत देखना चाहते हैं तो मंदिर को तोड़ने का काम बंद करवा दें और प्रायश्चित के रुप में एक मंदिर का निर्माण करवाएं। संत की बातों को सुनकर मुगल शासक ने शिव मंदिर को तोड़ने का काम बंद करवाया। इसके अलावा उन्होंने एक नए मंदिर का भी निर्माण करवाया। जिसे आज भी बालाजी मंदिर या औरंगजेब मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसके साथ ही मुगल शासक ने अपनी सेना के लिए गधे और खच्चरों का बाजार लगवाया। जो चित्रकूट में आज भी लगता है।