डॉक्टर की एक लापरवाही ने छीना इस महिला का 'मांं' बनाने का सपना! जानिए क्या है पूरा मामला
punjabkesari.in Saturday, Aug 05, 2023 - 12:50 PM (IST)
स्वास्थय में किसी भी तरह की परेशानी होने पर हम सब डॉक्टर पर जाते हैं और उनपर भरोसा करते हैं की वो हमारी शारीरिक समस्या को हल करेंगा। लेकिन जब वही डॉक्टर आपके भरोसा को तोड़ दे तो क्या। हाल ही में अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दरअसल 33 साल की क्रिस्टीन का दावा है कि एक रुटीन मेडिकल चेकअप के दौरान उसके डॉक्टर ने 'मांस जलाने वाले' एसिड का इंजेक्सन लगा था, न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक इंजेक्शन के मिक्सअप होने से महिला भी सोच में पड़ गई है कि क्या वो कभी मां बन पाएगी?
बता दें क्रिस्टीन पिछले साल दिसंबर में मेन लाइन फर्टिलिटी हॉस्पिटल में अपने फैलोपियन ट्यूब में दिक्कतों की जांच करा रही थी। जांच के दौरान blum नाम के डॉक्टर ने उसे सलाइन के बजाय ट्राइक्लोरोएसेटिक एसिड का इंजेक्शन लगा दिया। इसके बाद क्रिस्टीन को दर्द शिकयत भी की रहने लगी और जांघों के अंदरुनी भागों और पैरों पर लाल मस्से पनपने लगे। तब फिलोडेल्पिया के जांचकर्ता डॉक्टर ने मेडिकल रिपोर्ट देखकर बताया कि, 'क्रिस्टीन को 85% संद्रता वाला टीसीए (एसीड) का इंजेक्शन लगाया गया था।
रिपोर्ट्स की मानें तो इस एसिड का इस्तेमाल आवारा घांस फूसों को जलाने के लिए धातुओं की सतह को साफ करने के लिए किया जाता है। कभी-कभार इस टीसीए का उपयोग जननांगों पर मस्सों के इलाज के लिए बहुत ही छोटी मात्रा में किया जाता है। लेकिन ये काफी खतरनाक है, इससे कैंसर भी हो सकता है अतत: प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो सकती है, यानि इस इंजेक्शन के लगाए जाने के बाद कोई महिला प्रेग्नेंट नहीं हो सकती है। इंजेक्शन से पनपे मस्से या फोड़े उत्पन्न होने के बाद क्रिस्टीन को तुरंत बर्न सेंटर ले जाया गया, जहां उन्हें पता चला कि उसे पहली और दूसरी डिग्री के आंतरिक और बाहरी कोशिकाओं के जलन का इलाज किया गया। अब, क्रिस्टीन के शरीर पर का कटे हुए का निशान है, जो बाहरी चमड़े के जैसा दिखाई देता है।
क्रिस्टीन का कहना उसके अपने पति के साथ बच्चा पैदा करने का सपना लगभग खत्म ही हो गया है। शरीर पर ये धब्बा हमें उस घटना का हमेशा याद दिलाता है। खबरों की मानें तो दंपति ने मार्च में मेन लाइन फर्टिलिटी हॉस्पिटल पर केस किया था, जिसमें क्लीनिक पर लापरवाही, असावधानी और सर्वोच्च प्रैक्टिस के पालन करने में विफलता का आरोप लगाया है।