प्रकृति का अनमोल उपहार है मोती, क्या आप जानते हैं सीप में कैसे बनते हैं Pearls
punjabkesari.in Friday, Jun 16, 2023 - 12:08 PM (IST)
सदियों से मोतियों को एक खास जगह दी गई है। मोती सिर्फ रत्न नहीं बल्कि एक जैविक संरचना है, इसे नवरत्नों की श्रेणी में रखा गया है। इसे मुख्य रूप से चंद्रमा का रत्न माना गया है। ऐसे में हर किसी के मन में एक सवाल तो यह जरूर उठता है कि मोती बनते कैसे हैं। चलिए आज हम बताते हैं इसे लेकर पूरी जानकारी।
समुद्री जीव के अंदर पनपता है मोती
मोती एक समुद्री जीव के अंदर पनपता है, इसलिए इसे बहुत ही अनमोल माना जाता है। समुद्र में घोंघा प्रजाति के जीव रहते हैं जिनके पेट में मोती बनता है, लेकिन यह मानना गलत है कि यह मोती को पैदा करता है। दरअसल घोंघा अपनी रक्षा के लिए एक बेहद मजबूत खोल में रहता है और इस खोल को सीप कहते हैं। जब हजारों में से किस एक दो सीप के खोल में छेद हो जाता है तो इसके अंदर बालू के कण चले जाते है। ऐसी स्थिति में सीप के अंदर बालू उन कणों पर एक खास तरह के पदार्थ की परत चढ़ने लगती है।
मोती के बनने की प्रक्रिय है लंबी
इस खास पदार्थ कैल्शियम काबरेनेट कहते है और ये उस जीव के अंदर ही उत्पन्न होता रहता है और समय के साथ साथ यह एक सफेद रंग के चमकीले गोल आकार का पत्थर जैसा बन जाता है जिसे मोती कहा जाता है। जब सीप के अंदर मौजूद रेत का कण घोंघे को चुभता है, तब वह एक प्रकार का तरल चिकना पदार्थ छोड़ता है। मोती के बनने की प्राकृतिक प्रक्रिया होती है। इसी प्रक्रिया को जब कृत्रिम तरीके से कराया जाता है तब इसे मोती पालन या पर्ल कल्चर कहा जाता है।
मोती के होते हैं कई रंग
मोती उत्पादन समय आमतौर पर है लगभग साढ़े 3 साल, यह बहुत धीमी प्रक्रिया है। मोती अनेक रंगों में पाए जाते हैं, उसका रंग जनक पदार्थ तथा पर्यावरण पर निर्भर करता है। परन्तु आकर्षक रंगों में शामिल हैं- मखनिया, गुलाबी, उजला, काला तथा सुनहरा। मोती छोटे-बड़े सभी आकार के मिलते हैं, अब तक जो सबसे छोटा मोती पाया गया है उसका वजन 1.62 मिलीग्राम (अर्थात 0.25 ग्रेन) था।
नकली मोती भी बना रहे लोग
बड़े आकार के मोती को बरोक कहा जाता है। हेनरी टाम्स होप के पास एक बरोक था जिसका वजन लगभग 1860 ग्राम था। आजकल नकली मोती भी खूब बनाए जा रहे हैं । नकली मोती सीप से नहीं बल्कि मोती शीषे या आलाबास्टर (जिप्सम का अर्ध्दपारदर्शक एवं रेशेदार रूप) के मनकों के ऊपर मत्स्य शल्क के चूरे की परतें चढ़ाकर बनाए जाते हैं। आज मोती का प्रमुख बाजार पेरिस है। बाहरीन, कुवैत या ओमान के समुद्री क्षेत्र में काफी अच्छे मोती पाए जाते हैं। संयुक्त राज्य अमरीका प्रति वर्ष लगभग एक करोड़ डॉलर मूल्य के मोती का आयात करता है।
औषधि के लिए भी इस्तेमाल होता है माेती
प्राकृतिक रूप से बने मोती गोल हों यह ज़रूरी नहीं है। जिस आकार में रेत के कण चारों ओर पदार्थ इकट्ठा होता है वैसा ही आकार मिलता है मोती को।सिर्फ सौन्दर्य के लिए ही नही, मोतियों का प्रयोग औषधि के लिए भी किया जाता था। आर्युवैदिक ग्रंथों में मोतियों का भस्म आंखों के लिए लाभकारी एवं शरीर को पुष्ट बनाने वाला माना जाता है।