दीवाली की रात: जब जागती हैं अदृश्य शक्तियां, तंत्र-मंत्र की महारात्रि में रहें सावधान!

punjabkesari.in Friday, Oct 17, 2025 - 07:33 PM (IST)

नारी डेस्क : दीपावली की रात्रि जितनी शुभ मानी जाती है, उतनी ही संवेदनशील भी होती है। यह रात हमें यह सिखाती है कि प्रकाश और अंधकार दोनों ही जीवन के अभिन्न अंग हैं। जो व्यक्ति अपनी साधना को सत्य, संयम और सदाचार के मार्ग पर रखते हैं, उनके लिए यह रात्रि सिद्धि, समृद्धि और कल्याण का मार्ग बन जाती है। कहा जाता है, दीपावली की अमावस्या तंत्र-मंत्र की महारात्रि होती है, जब अदृश्य ऊर्जाएं और सूक्ष्म शक्तियां अत्यधिक सक्रिय रहती हैं।

तंत्रशास्त्र का गूढ़ विज्ञान

तंत्रशास्त्र को अक्सर रहस्यमय या अंधविश्वास से जोड़ा जाता है, जबकि वास्तव में यह वेदों का गूढ़ विज्ञान है। ऋग्वेद और अथर्ववेद में भी मंत्र, कवच और अभिचार कर्म का वर्णन मिलता है। तंत्र के दो मुख्य तत्व बताए गए हैं।

सिद्धि (Spiritual Attainment)

साधना (Discipline & Devotion)

इसे गुप्त इसलिए रखा गया है ताकि कोई अनधिकारी व्यक्ति इसका दुरुपयोग न कर सके। केवल योग्य, संयमी और अनुभवी साधक ही तांत्रिक साधनाओं के अधिकारी माने जाते हैं।

दीपावली की रात क्यों मानी जाती है विशेष?

धनतेरस से लेकर अमावस्या तक के पांचों दिन साधना और उपासना के लिए अत्यंत पवित्र माने गए हैं। तांत्रिक परंपराओं में दीपावली की रात को सिद्धि की अमावस्या कहा गया है।
क्योंकि इस रात मंत्रों की सिद्धि शीघ्र होती है।

यंत्रों की ऊर्जा पुनः सक्रिय होती है और ग्रह शांति, शत्रु निवारण, लक्ष्मी साधना जैसी विधियां सर्वाधिक प्रभावी रहती हैं।

इस रात साधक दीप प्रज्ज्वलन के माध्यम से नकारात्मक शक्तियों को परास्त कर दिव्यता की ओर अग्रसर होते हैं।

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घर की सुरक्षा के लिए लोक परंपराएं और टोटके

भारतीय लोकजीवन में तंत्र का प्रभाव बड़े सहज रूप में देखा जा सकता है। दीपावली की रात को नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए घरों में कुछ पारंपरिक उपाय आज भी अपनाए जाते हैं।

जैसे —घर के चारों कोनों और मुख्य द्वार पर दीपक जलाना।

नमक से नज़र उतारना या दरवाज़े पर नींबू-मिर्च टांगना।

मिठाई आने पर चुटकी भर निकालकर फेंकना।

बाल खोलकर या अंधेरे में घूमने से बचना और बच्चों को छत या सुनसान जगहों पर न जाने देना।

इन परंपरागत उपायों को नकारात्मक ऊर्जा, दृष्टिदोष, भय और दुर्भाग्य से बचाव के रूप में माना जाता है।

अमावस्या की रात्रि और अदृश्य ऊर्जाएं

ज्योतिष के अनुसार, जब चंद्रमा पूर्ण रूप से लुप्त हो जाता है, तब रात्रिकालीन शक्तियां अपनी चरम अवस्था में होती हैं। इस समय ब्रह्मांडीय ऊर्जा (cosmic energy) अत्यधिक संवेदनशील होती है। ऐसे में कुछ लोग इसे लक्ष्मी साधना, भैरव उपासना, मोहिनी और वशीकरण साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ समय मानते हैं। शास्त्रों का मत है कि यह रात्रि भय नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरण और आत्मशुद्धि की रात है।

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नकारात्मक शक्तियों से बचने के शास्त्रीय उपाय

दीपावली की अमावस्या को लेकर भय नहीं, बल्कि सतर्कता और श्रद्धा आवश्यक है। शास्त्रों में इस रात नकारात्मक ऊर्जाओं से बचने के कुछ उपाय बताए गए हैं।
महामृत्युंजय मंत्र या नारायण कवच का पाठ करें।

श्री यंत्र या लक्ष्मी यंत्र की विधिवत पूजा करें।

काली चालीसा या भैरव स्तोत्र का पाठ करें।

घर में गंगाजल का छिड़काव करें और घी या सरसों के दीपक जलाएं।

रात्रि में किसी से झगड़ा न करें और घर में शांति बनाए रखें।

इन उपायों से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।


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Monika

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