झाड़ू खरीदने और माता लक्ष्मी के बीच गहरा संबंध: क्यों है यह परंपरा धन और सौभाग्य से जुड़ी
punjabkesari.in Saturday, Oct 18, 2025 - 01:25 PM (IST)

नारी डेस्क : धनतेरस और दिवाली के अवसर पर झाड़ू खरीदने की परंपरा भारत में बहुत पुरानी है। कई लोग सोचते हैं कि यह केवल सफाई के लिए किया जाने वाला कार्य है, लेकिन धार्मिक दृष्टि से झाड़ू और माता लक्ष्मी के बीच गहरा आध्यात्मिक संबंध माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, झाड़ू न केवल घर की गंदगी को दूर करती है, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता को भी समाप्त करती है। आइए जानते हैं कि झाड़ू खरीदना माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का प्रतीक क्यों है।
धनतेरस 2025 खरीदारी शुभ मुहूर्त
धनतेरस की खरीदारी का शुभ मुहूर्त 18 अक्टूबर 2025 की दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से शुरू हो रहा है। चलिए जानते हैं खरीदारी के सबसे शुभ मुहूर्त क्या रहने वाले हैं...
अभिजीत मुहूर्त - 11:43 AM से 12:28 PM
लाभ (उन्नति) - 01:32 PM से 02:57 PM
अमृत (सर्वोत्तम) - 02:57 PM से 04:23 PM
लाभ (उन्नति) - 05:48 PM से 07:23 PM
शुभ (उत्तम) - 08:57 PM से 10:32 PM
अमृत (सर्वोत्तम) - 10:32 PM से 12:06 AM, अक्टूबर 19
धनतेरस पूजा मुहूर्त 2025
धनतेरस पूजा का मुहूर्त 18 अक्टूबर 2025 की शाम 07:16 से रात 08:20 बजे तक रहेगा। प्रदोष काल शाम 05:48 से रात 08:20 तक और वृषभ काल शाम 07:16 से रात 09:11 बजे तक रहेगा
धनतेरस पर सोना-चांदी खरीदने का मुहूर्त 2025
धनतेरस पर सोने-चांदी की खरीदारी का शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से शुरू हो रहा है और आप रात तक इसकी खरीदारी कर सकते हैं।
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झाड़ू दूर करती है नकारात्मकता और दरिद्रता
हिंदू धर्म में झाड़ू को शुद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। जैसे झाड़ू घर की धूल-मिट्टी को साफ करती है, वैसे ही यह घर से बुरे कर्म, दुर्भाग्य और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का संकेत देती है। माना जाता है कि जिस घर में रोजाना झाड़ू लगाई जाती है, वहां माता लक्ष्मी स्थायी रूप से निवास करती हैं।
स्वच्छता माता लक्ष्मी को प्रिय है
शास्त्रों में कहा गया है — “स्वच्छता ही लक्ष्मी का द्वार है।”
यानी जहां सफाई और पवित्रता होती है, वहां लक्ष्मी स्वयं आती हैं। धनतेरस या दिवाली के दिन नया झाड़ू खरीदना लक्ष्मी का स्वागत करने का शुभ संकेत माना जाता है। यह मान्यता है कि नया झाड़ू लाना नए धन, नई ऊर्जा और नई शुरुआत का प्रतीक होता है।
धनतेरस पर झाड़ू खरीदना शुभ क्यों माना जाता है
धनतेरस का दिन धन के देवता कुबेर और माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष दिन होता है। इस दिन नया झाड़ू खरीदने का अर्थ होता है —“पुराना दुर्भाग्य झाड़ना और नया सौभाग्य घर लाना।” कई परिवार इस दिन झाड़ू को घर की पूजा सामग्री के रूप में रखते हैं, क्योंकि यह धन और समृद्धि खींचने वाली वस्तु मानी जाती है।
देवी लक्ष्मी का एक रूप है ‘दारिद्र्य नाशिनी’
पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता लक्ष्मी का एक रूप “दारिद्र्य नाशिनी” कहलाता है। यह रूप घर से गरीबी और दुखों को झाड़ने वाला माना गया है। झाड़ू उसी शक्ति का प्रतीक है।
इसलिए कहा जाता है — “जो व्यक्ति झाड़ू का आदर करता है, उसके घर से दरिद्रता सदा के लिए दूर रहती है।”
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झाड़ू का अपमान करना माता लक्ष्मी का अपमान
कहा जाता है कि झाड़ू को कभी लात नहीं मारनी चाहिए और न ही उसके ऊपर से गुजरना चाहिए। क्योंकि झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है, इसलिए इसका अपमान करना देवी लक्ष्मी का अपमान होता है। झाड़ू हमेशा किसी साफ स्थान पर रखनी चाहिए और उसका आदर करना चाहिए।
धनतेरस या दिवाली पर झाड़ू खरीदना केवल सफाई का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक रूप से माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने की परंपरा है। यह हमें यह सिखाती है कि जैसे झाड़ू से घर की धूल हटती है, वैसे ही हमें अपने मन, विचार और कर्मों की भी सफाई करनी चाहिए ताकि देवी लक्ष्मी हमारे जीवन में स्थायी रूप से निवास करें।