देवशयनी एकादशी पर बन रहा खास संयोग, जानिए पूजा मुहूर्त व पूजा विधि
punjabkesari.in Monday, Jul 19, 2021 - 05:11 PM (IST)
हिंदू धर्म में एकादशी का खास महत्व है। ये दिन जगत के पालनहार श्रीहरि को समपर्ति माना जाता है। आषाढ़ मास की अंतिम एकादशी 20 जुलाई दिन मंगलवार को पड़ रही है। यह देवशयनी एकादशी, हरिशयनी या पद्मनाभ एकादशी के नाम से जानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन श्रीहरि चार महीनों के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। वे पाताल लोग में विश्राम करते हैं। इसे सनातन परंपरा में खरमास या चतुर्मास भी कहा जाता है। इस दौरान सभी मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। वहीं देवशयनी एकादशी के शुभ दिन पर भगवान विष्णु का व्रत रखने और पूजा करने का विशेष महत्व है। चलिए जानते हैं देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और शुभ संयोग...
देवशयनी एकादशी के दिन बन रहा शुभ संयोग
इस बार यह एकादशी मंगलवार को आने से खास संयोग बन रहा है। यह दिन संकटमोचन हनुमान जी का माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनिदोष व शनि की साढ़े साती व शनि ढैय्या से पीड़ित लोगों को इससे राहत मिल सकती है। इसके साथ ही कुंडली में मंगलदोष दूर होने में मदद मिलेगी। इस समय धनु, कुंभ व मकर राशि वालों पर शनि की साढ़े साती और मिथुन, तुला राशि वालों पर शनि की ढैय्या चल रही है।
देवशयनी एकादशी महत्व
मान्यता है कि इस दिन व्रत व श्रीहरि की पूजा करने से समस्या पापों से मुक्ति मिलती है। जीवन की समस्याओं से छुटकारा मिलने के साथ खुशहाली आती है।
देवशयनी एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त
एकादशी की तिथि आरंभ 19 जुलाई 2021, दिन सोमवार- रात्रि 09:59 मिनट से
एकादशी की तिथि समापन 20 जुलाई 2021, दिन मंगलवार - शाम 07:17 मिनट तक
मगर देवशयनी एकादशी का व्रत उदया तिथि 20 जुलाई होने से यह उपवास मंगलवार को रखा जाएगा।
व्रत पारण- 21 जुलाई 2021 द्वादशी, दिन बुधवार- सुबह 05:36 मिनट से सुबह 08:21 मिनट तक
ऐसे करें पूजा
. देवशयनी एकादशी के दिन सुबह उठकर नहाएं व साफ कपड़े पहनें।
. अब भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए पीले रंग का आसन बिछाकर श्रीहरि की प्रतिमा रखें।
. भगवान विष्णु के धूप, दीप, चावल, पीले फूल आदि चढ़ाकर विधि-पूर्वक पूजा करें।
. फिर हाथ में जल और अक्षत यानि चावल लेकर व्रत करने का संकल्प लें।
. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ व स्तुति करें।
. इस मंत्र का जप करें।
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत्सुप्तं भवेदिदम्। विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।।'
. पूरा दिन श्रीहरि का स्मरण करें और फलाहार खाएं।
. अगली सुबह नहाकर साफ कपड़े पहनें।
. अपने सामर्थ्य अनुसार दान करके व्रत का पारण करें।