इस दुर्गा पूजा पहनें बंगाल की पारंपरिक साड़ी, खूबसूरती पर लग जाएगा चार चांद

punjabkesari.in Tuesday, Apr 01, 2025 - 02:29 PM (IST)

नारी डेस्क: लाल पार साड़ी बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जो पूजा-पाठ और विवाह समारोहों में पहनने के लिए प्रिय है।  यह साड़ी सफेद रंग की होती है, जिसके बॉर्डर (किनारी) पर लाल रंग का डिजाइन बना होता है। लाल पार साड़ी सिर्फ एक परिधान नहीं, बल्कि बंगाली संस्कृति, परंपरा और स्त्री-शक्ति का प्रतीक है। यह साड़ी नारीत्व, सुंदरता और शुभता को दर्शाती है, इसलिए इसे पहनना हर बंगाली महिला के लिए गर्व की बात होती है। इसे विशेष रूप से दुर्गा पूजा, विवाह, धार्मिक अनुष्ठान और शुभ अवसरों पर पहना जाता है। 

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लाल पार साड़ी पहनने का महत्व


 लाल रंग शक्ति, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। सफेद रंग शुद्धता और सादगी को दर्शाता है।  यह साड़ी देवी दुर्गा की शक्ति को समर्पित मानी जाती है।  दुर्गा पूजा के दौरान बंगाली महिलाएं लाल पार साड़ी पहनकर सिंदूर खेला (दशमी के दिन सिंदूर लगाने की रस्म) करती हैं।  यह देवी दुर्गा को सम्मान देने और विवाहित स्त्रियों के सुख-सौभाग्य की कामना करने के लिए पहनी जाती है।  बंगाली शादी में दुल्हनें लाल रंग की बनारसी या लाल पार साड़ी पहनना शुभ मानती हैं।  पारंपरिक पूजा और गृह प्रवेश जैसे शुभ अवसरों पर भी इसे पहना जाता है।  

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कैसे करें लाल पार साड़ी स्टाइल


लाल पार साड़ी को बंगाली स्टाइल में ड्रेप करें, जिसमें पल्लू को आगे से मोड़कर कंधे पर रखा जाता है।  यह लुक दुर्गा पूजा और पारंपरिक आयोजनों के लिए परफेक्ट होता है।  इसके साथ मंदिर ज्वेलरी, चौड़े कड़े, झुमके, और लंबी चेन पहनकर ट्रेडिशनल लुक पा सकते हैं।  बंगाली सुहागिन महिलाएं लाल और सफेद चूड़ियां (शंख-पोला) पहनती हैं।  इसके साथ बड़ी लाल बिंदी लगाएं, जो बंगाली लुक में चार चांद लगा देती है, बालों में जुड़ा बनाकर उसमें गजरा या फूल लगाएं।  हल्का मेकअप करें और लाल लिपस्टिक का इस्तेमाल करें।  

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सांस्कृतिक पहचान
  
 बंगाली संस्कृति में लाल पार साड़ी महिलाओं की पारंपरिक वेशभूषा मानी जाती है।  दुर्गा पूजा बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार है, इसलिए इस अवसर पर महिलाएं अपनी संस्कृति को दर्शाने के लिए यह साड़ी पहनती हैं।  इसे पहनने से पूजा में एक पारंपरिक और भव्य लुक आता है।  लाल पार साड़ी बंगाल के विभिन्न शहरों जैसे कोलकाता, शांतिनिकेतन, बनारस और ढाका (बांग्लादेश) में आसानी से मिल जाती है। आजकल इसे ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स से भी खरीदा जा सकता है।  
 


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vasudha

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