भाई-बहन होने के बाद भी सुभद्रा और अर्जुन ने किया था विवाह, भगवान कृष्ण ने क्यों होने दिया ऐसा ?

punjabkesari.in Friday, Sep 20, 2024 - 07:11 PM (IST)

नारी डेस्क: जब भी  महाभारत की बात होती है तो श्रीकृष्ण और अर्जुन इन दो प्रमुख पात्रों का नाम सबसे पहले लिया जाता है। वे दोनों केवल सखा या मित्र नहीं थे, बल्कि करीबी रिश्तेदार भी थे। महाभारत की कहानी के अनुसार अर्जुन ने कई विवाह किए थे। द्रौपदी के बाद उन्होंने भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा से विवाह किया था। हालांक अर्जुन और सुभद्रा रिश्ते में ममेरे-फुफेरे भाई-बहन थे, इसके बावजूद भी इन दोनों का विवाह कैसे हो गया। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से। 

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सुभद्रा और अर्जुन के विवाह में भगवान कृष्ण ने निभाई अहम भूमिका

सुभद्रा और अर्जुन के विवाह में भगवान कृष्ण ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अर्जुन जो पांडवों में से एक थे, भगवान कृष्ण के बहुत अच्छे मित्र और रिश्तेदार भी थे। चूंकि सुभद्रा कृष्ण की बहन थीं, इसलिए अर्जुन उनके  जीजा बन गए। कहा जाता है कि   पांडवों के वनवास के दौरान अर्जुन कई स्थानों की यात्रा कर रहे थे। जब वे द्वारका  पहुंचे, तो उन्होंने सुभद्रा को देखा और उनके सौंदर्य पर मोहित हो गए। उन्होंने सुभद्रा से विवाह करने का विचार मन में रखा।

 

कृष्ण की योजना

अर्जुन ने भगवान कृष्ण से सुभद्रा के बारे में अपनी इच्छा जाहिर की। कृष्ण को यह विवाह बहुत पसंद आया क्योंकि वे अर्जुन को सुभद्रा के लिए उपयुक्त वर मानते थे। हालांकि, सुभद्रा के भाई  बलराम ने उनकी शादी  दुर्योधन  से तय करने का विचार किया था, क्योंकि बलराम दुर्योधन को पसंद करते थे।  कृष्ण ने अर्जुन को सुझाव दिया कि वह गंधर्व विवाह (स्वयं अपहरण कर विवाह करने की विधि) के अनुसार सुभद्रा का अपहरण करें। इस प्रकार, सुभद्रा और अर्जुन का विवाह बलराम की योजना के विपरीत हुआ।

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सुभद्रा का अपहरण

 कृष्ण की सलाह पर अर्जुन ने सुभद्रा का अपहरण किया। अर्जुन ने एक योद्धा की तरह सुभद्रा को अपने रथ में बिठाकर द्वारका से दूर ले गए। जब बलराम को यह घटना पता चली, तो वे बहुत क्रोधित हुए। लेकिन कृष्ण ने बलराम को समझाया कि अर्जुन और सुभद्रा का विवाह एक शुभ कार्य है और यह उनके लिए भी अच्छा है।  कृष्ण की मध्यस्थता के बाद, बलराम ने इस विवाह को स्वीकार कर लिया और अर्जुन और सुभद्रा का विधिवत विवाह संपन्न हुआ। इस प्रकार, सुभद्रा अर्जुन की पत्नी बनीं और वे हस्तिनापुर चली गईं।

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सुभद्रा और अभिमन्यु

सुभद्रा और अर्जुन के पुत्र का नाम अभिमन्यु था, जो महाभारत के युद्ध में एक वीर योद्धा के रूप में प्रसिद्ध हुए। अभिमन्यु का विवाह उत्तरा से हुआ था, और उनका पुत्र परीक्षित  बाद में हस्तिनापुर का राजा बना। सुभद्रा का महाभारत की कहानी में एक महत्वपूर्ण स्थान है। वह न केवल अर्जुन की पत्नी थीं, बल्कि अभिमन्यु की माता और परीक्षित की दादी भी थीं, जिनके वंशज पांडवों की विरासत को आगे बढ़ाने वाले बने। यह कथा महाभारत की उन कहानियों में से एक है, जो प्रेम, विवाह, और युद्ध के कारणों को उजागर करती है। सुभद्रा और अर्जुन का रिश्ता पौराणिक भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

नोट: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है। 


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Content Writer

vasudha

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