आ रहे हैं कान्हा ...15, 16 या 17 जानें किस दिन मनाई जाएगी श्री कृष्ण जन्माष्टमी
punjabkesari.in Friday, Aug 01, 2025 - 09:23 AM (IST)

नारी डेस्क: हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की...अब घर- घर में ये गूंज सुनाई देगी। क्योंकि श्री कृष्ण जन्माष्टमी जो आने वाली है। यह त्योहार पूरे भारत में और दुनिया भर में कृष्ण भक्तों द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार 16 अगस्त को यह त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग रहेगा, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव
कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी भी कहा जाता है, भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है, जो भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण के प्रति भक्तों की भक्ति और प्रेम को व्यक्त करने का एक अवसर है। इस दिन भक्त दिन भर उपवास रखते हैं, कुछ फलाहार करते हैं और कुछ निराहार रहते हैं। जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग से बनता है।
इस दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी
इस साल भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त को लग रही है। लेकिन उदया तिथि मान्य होने की वजह से जन्माष्टमी का व्रत और पर्व 16 अगस्त को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं अनुसार श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आधी रात में रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस बार अष्टमी तिथि 15 अगस्त को रात्रि 11:50 बजे आ रही है और अष्टमी तिथि 16 अगस्त की रात्रि 9:34 तक रहेगी। गोगा नवमी 17 अगस्त को मनाई जाएगी।

पूजा विधी
सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें। व्रत दिनभर रखा जाता है और रात 12 बजे भगवान कृष्ण के जन्म के बाद पारण किया जाता है घर के मंदिर को साफ़ करके फूलों और तोरण से सजाएं। भगवान कृष्ण की बाल स्वरूप मूर्ति (लड्डू गोपाल) को झूले में रखें। भगवान रात्रि 12 बजे पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। कृष्ण जी को नये वस्त्र, मोर मुकुट, बांसुरी, फूलों से सजाएं। कान्हा को माखन, मिश्री, तुलसी, फल, पंजीरी, धनिये का लड्डू आदि का भोग लगाएं।
जन्माष्टमी का महत्व
यह दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। भगवान कृष्ण ने अधर्म का नाश करने, धर्म की स्थापना करने, और जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझाने के लिए धरती पर जन्म लिया। इस दिन व्रत, उपवास, भजन-कीर्तन और दान का बहुत महत्व होता है। यह दिन भक्तों को श्रीकृष्ण की लीलाओं की याद दिलाता है – बाल लीलाएं, माखन चोरी, रासलीला, गीता उपदेश आदि।