कभी किट के नहीं थे पैसे, आज हैं नंबर 1 तीरंदाज

punjabkesari.in Saturday, Jul 10, 2021 - 05:59 PM (IST)

लगन, दृढ़ इच्छा शक्ति और कड़ी मेहनत। इन तीन चीजों का संगम जीवन में हो, तो सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता। इन्हीं तीन चीजों का समन्वय है तीरंदाजी में विश्व की नंबर 1 खिलाड़ी दीपिका के जीवन में। केवल 18 साल की उम्र में ही वे वर्ल्ड नंबर वन खिलाड़ी बन चुकी हैं। 

अब नजर ओलिम्पिक मैडल पर

PunjabKesari

विश्व कप प्रतियोगिताओं में अब तक 9 गोल्ड मेडल, 12 सिल्वर मैडल और 7 ब्रॉन्ज मैडल जीतने वाली दीपिका की नजर अब ओलिम्पिक मैडल पर है। अगले महीने वे टोक्यो ओलिंपिक में भाग लेने के लिए जापान जा रही हैं।

आसान नहीं रहा सफर

सफलता के इस शिखर पर पहुंचना दीपिका के लिए आसान नहीं रहा। दीपिका का जन्म झारखंड के एक बेहद गरीब परिवार में हुआ। दीपिका के पिता शिव नारायण महतो ऑटो-रिक्शा ड्राइवर हैं स्टेटमैंट जबकि मां एक मैडीकल कॉलेज में ग्रुप डी कर्मी।

14 साल की उम्र में उठाया धनुष-बाण

PunjabKesari

14 साल की थीं, जब पहली बार धनुष-बाण उठाया। शुरूआत बांस के धनुष से की। दीपिका के अनुसार- परिवार की आर्थिक हालत ज्यादा ठीक नहीं थी। साल 2007 में वे अपनी नानी के घर गईं। वहां उनकी ममेरी बहन ने बताया कि उनके यहां अर्जुन ऑर्चरी एकैडमी है। वहां सब कुछ फ्री है और खाना भी मिलता है।

पहली बार मिला था रिजैक्शन

PunjabKesari

किसी तरह घरवालों को मनाकर अकैडमी पहुंचीं, लेकिन चुनौतियां तो अभी शुरू हुई थीं। एकैडमी में पहली नजर में उन्हे रिजैक्ट कर दिया गया। वे बहुत दुबली थीं। एकैडमी आने के बाद भी उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। साल 2012 में वे दुनिया की नंबर वन तीरंदाज बन चुकी थीं। तब उन्हें पता भी नहीं था कि वर्ल्ड रैंकिंग में नंबर वन बनने का क्या अर्थ होता है। —वीना भारती


सबसे ज्यादा पढ़े गए

News Editor

Shiwani Singh

Related News

static