मेंटल हेल्थ से जूझ रही थी भारत को जीत दिलाने वाली क्रिकेटर जेमिमा, बोली- मैं रोज रोती थी
punjabkesari.in Friday, Oct 31, 2025 - 07:03 PM (IST)
नारी डेस्क: भारतीय बल्लेबाज जेमिमा रोड्रिग्स ने अपनी मैच जिताऊ पारी से पहले आई भावनात्मक चुनौतियों के बारे में खुलकर बात की है, जिसने भारतीय महिला टीम को तीसरे आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप के फाइनल में पहुंचाया। उन्होंने खुलासा किया कि टूर्नामेंट के शुरुआती दौर में वह चिंता से गुज़री थीं और दबाव से निपटने के लिए अक्सर अपनी मां को रोते हुए फोन करती थीं। जेमिमा के लिए यह फॉर्म में वापसी का एक शानदार मौका था, जिन्हें टूर्नामेंट की शुरुआत में भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया था, लेकिन बाद में उन्होंने न्यूज़ीलैंड और फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार नाबाद पारियों के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।

महिला खिलाड़ियों ने कर दिखाया कमाल
जेमिमा ने बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया और अपना पहला क्रिकेट विश्व कप शतक (134 गेंदों पर 127 रन) बनाया, जिससे भारत ने डॉ. डीवाई पाटिल स्टेडियम में महिला वनडे इतिहास के रिकॉर्ड 339 रनों के लक्ष्य का पीछा किया। मैच के बाद, उन्होंने हाल के दिनों में आई कठिनाइयों के बारे में बात की और बताया कि कैसे उन्होंने बड़े मंच पर प्रदर्शन करने की अपनी क्षमता पर कभी भरोसा नहीं खोया। जेमिमा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से कहा, - "मैं यहांंबहुत कमज़ोर रहूंगी क्योंकि मुझे पता है कि अगर कोई इसे देख रहा है - तो वह भी शायद इसी स्थिति से गुज़र रहा होगा और यही मेरे कहने का असली मकसद है क्योंकि कोई भी अपनी कमज़ोरी के बारे में बात करना पसंद नहीं करता।"
जेमिमा का साथियों ने दिया भरपूर साथ
शानदार प्लेयर ने कहा- टूर्नामेंट की शुरुआत में मैं बहुत बेचैनी से गुज़र रही थी और कुछ मैचों से पहले तो यह बहुत ज़्यादा हो गया था। मैं अपनी मां को फ़ोन करके रोती रहती थी, पूरे समय रोती रहती थी, सब कुछ बाहर निकाल देती थी, क्योंकि जब आप बेचैनी से गुज़र रहे होते हैं, तो आप सुन्न हो जाते हैं। आपको समझ नहीं आता कि क्या करें। आप खुद बनने की कोशिश कर रहे होते हैं। और इस दौरान, मेरी माँ और मेरे पिताजी ने भी मेरा बहुत साथ दिया। और, अरुंधति (रेड्डी) भी थीं, जिनके सामने मैं लगभग हर दिन रोई हूं ।और स्मृति मंधाना भी थीं, जिन्होंने मेरी मदद की। उन्हें भी पता था कि मैं किस दौर से गुज़र रही हूं। कुछ नेट सेशन में, वह बस वहीं खड़ी रहती थीं। कल भी वह आईं, वह बस यूं ही वहां खड़ी रहीं - ज़्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन वह जानती हैं कि उनकी मौजूदगी मेरे लिए कितनी मायने रखती है।"

जेमिमा को निकाल दिया था टीम से बाहर
जेमिमा ने टूर्नामेंट की शुरुआत 0, 32, 0 और 33 के स्कोर के साथ की, लेकिन इंदौर में इंग्लैंड के खिलाफ मैच के लिए उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया, क्योंकि चयनकर्ताओं ने एक अतिरिक्त गेंदबाज़ी विकल्प चुना था। बाद में इस दाएं हाथ की बल्लेबाज़ ने स्वीकार किया कि इस झटके ने उन्हें अपनी क्षमताओं पर सवाल उठाने पर मजबूर कर दिया और उन्हें लगा कि क्या वो वाकई उच्चतम स्तर पर सफल होने के लिए पर्याप्त अच्छी हैं। जेमिमा ने कहा- "जब आपको टीम से बाहर कर दिया जाता है, तो आपके मन में कई तरह के संदेह होते हैं क्योंकि मैं हमेशा टीम में योगदान देना चाहती हूं। लेकिन उस दिन मैं बाहर बैठकर ज़्यादा कुछ नहीं कर पाई। और फिर जब आप वापस आती हैं, तो पिछले महीने जो कुछ भी हुआ, उसके कारण दबाव और भी बढ़ जाता है।" जेमिमा के शानदार प्रदर्शन के बाद मेज़बान भारत ने फ़ाइनल में जगह बनाई, अब भारतीय महिला टीम रविवार को पहली बार फ़ाइनल में पहुँची दक्षिण अफ्रीका से भिड़ेगी, यानी कोई टीम पहली बार प्रतिष्ठित महिला विश्व कप ट्रॉफी जीतेगी।
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