आपको खुद ही रखनी होगी किडनी रोग के इन लक्षणों पर नजर, डॉक्टर्स भी जल्दी नहीं पकड़ पाते इस बीमारी को
punjabkesari.in Monday, Mar 31, 2025 - 12:45 PM (IST)

नारी डेस्क: एक शोध में पता चला है कि क्रोनिक किडनी की बीमारी अक्सर अनियंत्रित हो जाती है, लेकिन शुरुआती संकेत पता लगाने से इसे काबू किया जा सकता है। क्रोनिक किडनी डिजीज (Chronic Kidney Disease) को हिंदी में दीर्घकालिक गुर्दा रोग कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें किडनी का कार्य धीरे-धीरे खराब होने लगता है। यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है और समय के साथ गंभीर रूप ले सकती है। सिर्फ 50% लोगों में ही इस बीमारी का निदान हो पाता है।आज हम आपको बताते हैं कि आपकी किडनी क्या काम करती है, और जब वे असफल होते हैं तो क्या होता है?
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किडनी का क्या काम होता है
किडनी का मुख्य कार्य शरीर से विषाक्त पदार्थ (टॉक्सिन) और अतिरिक्त पानी को बाहर निकालना होता है। जब किडनी अपनी कार्यक्षमता खोने लगती है, तो शरीर में टॉक्सिन और फ्लूइड जमा होने लगते हैं, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। गुर्दे की विफलता वाले अधिकांश रोगियों को डायलिसिस कराना होता है, जो कृत्रिम रूप से किडनी के कचरे को फ़िल्टर करने और शरीर से तरल पदार्थ को हटाने के काम को दोहराता है। डायलिसिस उपचार बेहद बोझ है। मरीजों को आमतौर पर प्रति सप्ताह कई बार प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, प्रत्येक सत्र में कई घंटे लगते हैं और यह मृत्यु, विकलांगता और गंभीर जटिलताओं के एक बड़े जोखिम के साथ आता है।
क्रोनिक किडनी डिजीज के प्रमुख कारण
लंबे समय तक ब्लड शुगर का उच्च स्तर किडनी को नुकसान पहुंचाता है। लगातार उच्च रक्तचाप किडनी की रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है, जिससे उसकी कार्यक्षमता घटती है। लगातार यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) होने से किडनी को नुकसान हो सकता है। लंबे समय तक किडनी स्टोन का रहना भी किडनी फेलियर का कारण बन सकता है। अधिक मात्रा में धूम्रपान और शराब का सेवन** किडनी को कमजोर करता है। इसके अलावा दर्द निवारक दवाओं (Painkillers) का अधिक सेवन किडनी के लिए हानिकारक होता है। 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में किडनी की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
क्रोनिक किडनी डिजीज के शुरुआती लक्षण
शुरुआत में क्रोनिक किडनी डिजीज के लक्षण बहुत हल्के होते हैं, लेकिन समय के साथ ये गंभीर हो जाते हैं। इसके शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं:
- बिना किसी वजह केलगातार थकान और सुस्ती महसूस होना।
- बार-बार पेशाब आना या पेशाब का रंग गहरा होना।
- किडनी सही से काम नहीं करती, तो शरीर में पानी जमाहोने लगता है, जिससे सूजन आ जाती है।
- खाने में रुचि कम हो जाना और अक्सर जी मिचलाना या उल्टी महसूस होना।
- किडनी की खराबी के कारण ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ा रहता है।
- किडनी सही से काम न करे, तो शरीर में टॉक्सिन जमा होने लगते हैं, जिससे त्वचा में खुजली और रूखापन हो सकता है।
- शरीर में पानी जमा होने से फेफड़ों में सूजन आ सकती है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है।
- किडनी प्रभावित होने पर कमर के निचले हिस्से या पीठ में दर्द हो सकता है।
क्रोनिक किडनी डिजीज का इलाज
किडनी फंक्शन टेस्ट (KFT), ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट के जरिए CKD का पता लगाया जाता है। किडनी फेल होने की स्थिति में डायलिसिस के जरिए रक्त को साफ किया जाता है। यदि किडनी की स्थिति अत्यधिक खराब हो जाती है, तो किडनी प्रत्यारोपण किया जाता है। डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयां लें और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। मोटापा किडनी पर दबाव डालता है, इसलिए वजन नियंत्रण में रखें। अपनी डाइट में हरी सब्जियां, ताजे फल और साबुत अनाज का सेवन करें।
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मरीज को पूछने चाहिए ये सवाल
जो लोग पुरानी किडनी रोग के लिए जोखिम में हैं या जिन्होंने शुरुआती चरण की बीमारी विकसित की है, वे इस संभावना को कम करने के लिए कई कदम उठा सकते हैं कि यह गुर्दे की विफलता के लिए प्रगति करेगा। सबसे पहले, मरीज अपने डॉक्टरों से क्रोनिक किडनी रोग के बारे में पूछ सकते हैं, खासकर यदि उनके पास उच्च रक्तचाप या मधुमेह जैसे जोखिम कारक हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि जो मरीज सवाल पूछते हैं, अनुरोध करते हैं और अपने स्वास्थ्य देखभाल यात्रा के दौरान अपने प्रदाता के साथ चिंताएं बढ़ाते हैं, उनके स्वास्थ्य परिणाम बेहतर होते हैं और उनकी देखभाल से अधिक संतुष्ट होते हैं। पूछने के लिए कुछ विशिष्ट प्रश्नों में शामिल हैं "क्या मैं क्रोनिक किडनी रोग विकसित करने का खतरा हूं?" और "क्या मुझे क्रोनिक किडनी रोग के लिए परीक्षण किया गया है?" अध्ययनों से पता चलता है कि क्रोनिक किडनी रोग वाले मरीज जिनके मेडिकल रिकॉर्ड में औपचारिक निदान होते हैं, वे वर्तमान उपचार दिशानिर्देशों के अनुरूप बेहतर देखभाल प्राप्त करते हैं और धीमी बीमारी की प्रगति का अनुभव करते हैं।
नोट: किसी भी प्रकार का दर्द निवारक या अन्य दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।