Autistic Pride Day: हवा से बातें करते हैं ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे,  पैरंट्स करें इनकी खास देखभाल

punjabkesari.in Saturday, Jun 18, 2022 - 01:16 PM (IST)

आज उन बच्चों को दिन है जो ऑटिज्म डिसॉर्डर जैसी बीमारी को झेल रहे हैं। ये बच्चे  मानसिक और शारीरिक रूप से उतने बेहतर नहीं होते, जितने बाकी बच्चे होते हैं। भारत में लगभग एक करोड़ ऐसे बच्चे हैं, जो इस डिसॉर्डर की चपेट में हैं, इन्हीं के लिए 18 जून यानी कि आज ऑटिस्टिक प्राइड डे मनाया जाता है। हर साल दुनियाभर में इस बीमारी से पीड़ित बच्चे, फैमिली और उनके आसपास के लोगों को ऑटिज्म को लेकर जागरूक किया जाता है। 

 

क्या है ऑटिज्म

पहले जानते हैं कि ऑटिज्म है क्या। दरअसल यह एक दिमागी बीमारी है, जिससे ग्रस्त बच्चों में व्यवहार से लेकर कई तरह की परेशानियां होती हैं। इसमें उनका मानसिक संतुलन स्थिर नहीं रहता है। ऐसे में इनकी दूसरों से बात व व्यवहार करने की क्षमता सीमित होती है। हालांकि हर बच्चे में अलग-अलग लक्षण पाए जाते हैं। आमतौर पर  6 माह का बच्चा मुस्कुराने लगता है या फिर कई बच्चे साल से पहले चलने लगते हैं। लेकिन अगर  बच्चा जरुरत से ज्यादा इन चीजों में देरी कर रहा है तो उस पर  ध्यान देना बहुत जरुरी हो जाता ह। 

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100 में से 1 बच्चा हो रहा इसका शिकार

ऑटिज्म में बच्चे उन छोटी-छोटी चीजों को सीखने में भी चुनौतियों का सामना करते हैं, जो जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं हैं। इन बच्चों के सम्मान के प्रति शेष दुनिया को जागरुक करने के लिए हर वर्ष 18 जून को ऑटिस्टिक प्राइड डे मनाया जाता है। सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, वर्तमान समय में संयुक्त राज्य अमेरिका में हर 59 बच्चों में से अनुमानित 1 बच्चा ऑटिज्म से पीड़ित है। वहीं विशेषज्ञों की मानें तो भारत में 100 में से 1 बच्चा इसका शिकार है।

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ऑटिजम से पीड़ित बच्चे के शुरुआती लक्षण

-ऐसे बच्चे सामनेवाले की आंखों में आंखें डालकर बात नहीं करते। 
-इन बच्चों के खेलने का ढंग नॉर्मल बच्चों की तुलना में कुछ अलग होता है।
-ऑटिज़म से पीड़ित बच्चे अपनी जरूरतों को भी बोलकर बताने में असमर्थ होते हैं।
-ये बच्चे आसमान की तरफ देखते हुए हवा में बातें करते हैं
-इन बच्चों को ज्यादा आवाज पसंद नहीं होती

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बीमारी के कारण 

इस बीमारी के कई कारण मानें गए हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, जिन लोगों के घर अधिक शोर-शराबे वाली जगहों पर हैं उनके बच्चों को ऑटिज्म होने का खतरा दोगुना माना गया है। गर्भावस्था के दौरान मां के शरीर में थायरॉइड हॉर्मोन की कमी भी इसका कारण माना जाता है। कमीशिशु का तय समय से पहले जन्म लेना, डिलीवरी के समय शिशु को सही मात्रा में ऑक्सीजन न मिलना, गर्भावस्था में मां का किसी बीमारी से ग्रस्त होना ये सब बच्चाें को इस बीमारी का शिकार बना देते हैं। 

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कैसे करें बच्चे की देखभाल 


-हमेशा शांत मन व प्यार से बच्चे की बात को सुनें । 
-सबसे पहले बच्चे को बात समझें, बाद में उन्हें उसे बोलने या दोहराने का मौका दें।
-उन्हें बाहर आउटिंग पर जरूर लेकर जाएं। इससे उनका मन बहलेगा और वे दूसरों से मिलने-जुलना सिखेंगे। 
-इस बीमारी से पीड़ित बच्चे को कभी अकेला ना छोड़ें 
-नॉर्मल बच्चों के साथ बच्चे को जरूर खिलाएं
-खेल में उन्हें नए शब्द सिखाने की कोशिश करें। 


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Content Writer

vasudha

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