नवरात्रि में क्यों नहीं खाया जाता लहसुन-प्याज? जानिए वैज्ञानिक और धार्मिक कारण

punjabkesari.in Wednesday, Apr 06, 2022 - 05:39 PM (IST)

नवरात्रि हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इन 9 दिनों के दौरान देवी दुर्गा धरती पर भ्रमण करती है। इस दौरान भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए 9 दिन या 2 दिन उपवास रखते हैं। व्रत के दौरान सिर्फ फलाहारी व सात्विक भोजन ही किया जाता है और लहसुन-प्याज खाने की मनाही होती है। मगर, क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि में लहसुन-प्याज खाना क्यों वर्जित है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, क्यों फायदेमंद सात्विक भोजन

हिंदू और प्राचीन आयुर्वेदिक समझ के अनुसार, खाने को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है -  राजसिक भोजन, तामसिक भोजन और सात्विक भोजन नवरात्रि के उपवास के दौरान लोग सात्विक भोजन करते हैं, जिसका सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी है। चैत्र नवरात्रि गर्मी के मौसम में पड़ती है, जब पेट की दिक्कतें, डिहाइड्रेशन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए सात्विक भोजन करना जरूरी है।

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क्या होता है सात्विक तामसिक और राजसिक भोजन?

. सात्विक शब्द सत्व शब्द से बना है - जिसका अर्थ है शुद्ध, प्राकृतिक, प्राणवान, ऊर्जावान, स्वच्छ। सात्विक भोजन में ताजे फल, ठंडा दही, शुद्ध सेंधा नमक, कद्दू और लौकी जैसी मौसमी सब्जियां, जीरा, धनिया और काली मिर्च जैसे चीजें शामिल हैं।

. दूसरी ओर, तामसिक और राजसिक 'रजस' और 'तमस' शब्द से बना है, जिसका अर्थ है विनाशकारी, क्रोधी, अपरिपक्व और कमजोर है। राजसिक और तामसिक भोजन आपके मानसिक ध्यान को विचलित कर सकते हैं।

क्यों नहीं खाया जाता लहसुन-प्याज?

प्याज और लहसुन को प्रकृति में तामसिक भोजन की श्रेणी में आता है। प्याज और लहसुन शरीर में गर्मी पैदा करते हैं इसलिए व्रत के दौरान इसका सेवन नहीं करना चाहिए। वहीं, वैष्णव परंपरा के अनुसार, व्रत के दौरान लोग जमीन के अंदर उगने वाली कोई भी चीज नहीं खा सकते इसलिए इस दौरान प्याज और लहसुन से परहेज रखा जाता है। कुछ लोग नवरात्रि उपवास के दौरान हल्दी, हींग, सरसों या राई, मेथी और गरम मसाला खाने से परहेज करते हैं। आप अपने खाने में स्वाद के लिए जीरा, हरी मिर्च, काली मिर्च और अजवाइन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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भगवान विष्णु से भी जुड़ा संबंध

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब अमृत मंथन से अमृत निकला तो देवता उन्हें आपस में बांट रहे थे। मगर, तभी राक्षस राहु और केतू ने धोखे से अमृत पी लिया। जब भगवान विष्णु को इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने सुदर्शन चक्र से दोनों की सिर धड़ से अलग कर दिया। मगर, अमृत की वजह से वह मरे नहीं बल्कि जिंदा था लेकिन जब उनके रक्त की बूंदें जमीन पर गिरी तो उससे लहसुन प्याज की उत्पत्ती हुई इसलिए नवरात्रि व्रत के दौरान इनका सेवन नहीं किया जाता।

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Content Writer

Anjali Rajput

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