एनीमिया से कहीं ज्यादा खतरनाक Aplastic Anemia, जान ले लेगी लक्षणों की अनदेखी

punjabkesari.in Saturday, Mar 06, 2021 - 09:32 AM (IST)

लाल रक्त कोशिकाएं की कमी होने पर शरीर में खून की कमी हो जाती है, जिसे एनिमिया भी कहते हैं। मगर, शरीर में खून की कमी होना अप्लास्टिक एनीमिया का संकेत भी हो सकता है, जो एक खतरनाक स्थिति है। अगर समय रहते इसका इलाज ना करवाया जाए तो व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है यह बीमारी और कैसे किया जाए इसे कंट्रोल...

क्या है अप्लास्टिक एनीमिया?

अप्लास्टिक एनीमिया एक ऐसी खतरनाक स्थिति है जिसके कारण शरीर में नई लाल व सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स बनना बंद हो जाते हैं। दरअसल, इसके कारण हड्डियों में मौजूद बोन मैरो के अंदर स्टेम सेल डैमेज हो जाती है, जिससे ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स का बनना कम या बंद हो जाता है।

PunjabKesari

किन लोगों को अधिक खतरा?

यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन 20 से कम उम्र या बुजुर्गों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है। इसके अलावा महिला और पुरुष दोनों पर इसका खतरा समान रूप से होता है।

अप्लास्टिक एनीमिया के प्रकार

एक्सपर्ट के मुताबिक, अप्लास्टिक एनीमिया 2 तरह की होती है...

. पहली एक्वायर्ड अप्लास्टिक एनीमिया, जिसके ज्यादाकर मामले बुजुर्गों का मिडल एज के लोगों में पाए जाते हैं। यह स्थिति ज्यादातर कमजोर इम्यूनिटी, HIV, दवाओं का अधिक सेवन, कीमोथेरेपी की वजह से होती है।

. दूसरी इन्हेरिटेड अप्लास्टिक एनीमिया, जिसका सबसे बड़ा कारण जीन में गड़बड़ी है। यह ज्यादा 20 से 30 साल के उम्र वाले लोगों को होती है, जिसके कारण ल्यूकोमिया और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

PunjabKesari

अप्लास्टिक एनीमिया के कारण

कीमोथेरेपी, कुछ खास दवाओं का अधिक सेवन, ऑटोइम्यून डिसीज, कैंसर, वायरल इंफेक्शन, प्रेगनेंसी, नॉनवायरल हेपेटाइटिस व हेपटाइटिस की वजह से यह जानलेवा बीमारी हो सकती है। इसके अलावा...

. प्लास्टिक, सिंथेटिक फाइबर, डाई, डिटर्जेंट और कीटनाशक में यूज होने वाले केमिकल के लगातार संपर्क में आने से,
. दवाएं जैसे कीमोथेरेपी दवाएं या क्लोरैमफेनिकॉल
. कीटनाशक के संपर्क में आना
. रुमेटॉयट आर्थराइटिस और ल्यूपस
. अन्य संक्रामक बीमारियों के कारण भी इसका खतरा रहता है।

PunjabKesari

अप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण

शरीर में अलग-अलग रक्त कोशिकाएं अलग-अलग काम करती है। ऐसे में शरीर में कौन-सी कोशिका डैमेज है हुई है उसी के आधार पर लक्षण दिखाई देते हैं, जो इस प्रकार हैं...

-रेड ब्लड सेल्स कम होने पर थकान, अनियमित हार्टबीट, सांस उखड़ना, पीली त्वचा, सिरदर्द, चक्कर आना
छाती में दर्द जैसे लक्षण दिखते हैं।
-व्हाइट ब्लड सेल्स कम होने पर इंफेक्शन, बुखार, सांस लेने में दिक्कत, सिर चकराना, थकान जैसी परेशानियां होती है।
-प्लेटलेट काउंट कम होने पर आसानी से चोट लगना, खून बहना बंद ना होना, नाक और मसूड़ों से खून आना, शरीर पर लाल रंग के चकत्ते पड़ने जैसी लक्षण दिखते हैं।

अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज

अगर बीमारी गंभीर स्टेज पर पहुंच चुकी हो तो डॉक्टर बोन मैरो या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं। वहीं, नॉर्मल स्थिति में डॉक्टर दवाइयों के साथ मरीज को ठीक करने की कोशिश करते हैं। वहीं, इंफेक्शन ठीक करने के लिए मरीज को एंटीबायोटिक्स और एंटी-फंगल दवाएं दी जाती हैं।

PunjabKesari

बल्ड ट्रांस्फ्यूजन और बोन मैरो ट्रांसप्लांट थोड़ा रिस्की होता है इसलिए इसे करवाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। याद रखें आपकी एक लापरवाही इस बीमारी को गंभीर स्थिति में पहुंचा सकती है इसलिए लक्षण नजर आते ही तुंरत चेकअप करवाएं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anjali Rajput

Recommended News

Related News

static