बड़े Brands बेबी फूड के नाम पर बेच रहे हैं Sugar, पैरेंट्स ऐसे रखें अपने बच्चों का ख्याल

punjabkesari.in Wednesday, Apr 24, 2024 - 11:34 AM (IST)

एक समय पर जो नेस्ले कंपनी की बेबी फूड्स पर सारे पैरेंट्स आंख बंद करके भरोसा करते थे, वो अब सवालों के घेरे में है। जिन लोगों को नहीं पता, बता दें जांच में खुलासा हुआ है कि नेस्ले गरीब देशों में बच्चों के मिल्क फार्मूले में ज्यादा मात्रा में चीनी मिलाती है। वहीं यूरोप और ब्रिटेन में बिना चीनी का हेल्दी मिल्क फॉर्मूला बेचते हैं।

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वहीं इससे कुछ दिन पहले bournvita में भी ज्यादा चीनी होने की बात सामने आई है। इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि कंपनी बच्चों के स्वास्थ के बारे में बिल्कुल नहीं सोच रही है और बस पैसे कमाने के चक्कर में एड में बड़े-बड़े दावे कर रही है।

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स्वास्थ के साथ खिलवाड़ कर रही बड़ी कंपनियां

नेस्ले के बारे में खुलासे से ठीक पहले बॉर्नविटा को भी हेल्दी ड्रिंक की category से हटाया गया है। इसके बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सरकार को सूचित किया कि Food Safety and Standards Authority of India  (FSSAI) ने वास्तव में ऐसी श्रेणी के लिए कोई मानक (Standard) निर्धारित नहीं किया है। व ऐसी ज्यादातर ड्रिंक्स में चीनी की मात्रा बहुत ही  ज्यादा होती है। बता दें, लंबे समय से सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता की मांग है कि पेय निर्माताओं को बच्चों को विज्ञापन देने से रोका जाना चाहिए, लेकिन इसपर अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है। बता दें, इससे मोटापा, डायबिटीज, हार्ट की बीमारी और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

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बच्चों के फूड प्रोडक्ट्स में हैं खतरनाक टॉक्सिन्स

केरल के राजगिरी हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने भारत में बेचे जाने वाले 36 अलग-अलग ब्रांडों के प्रोटीन पाउडर का विश्लेषण किया और पाया कि उनमें से 70% में गलत प्रोटीन जानकारी थी। नमूनों के परीक्षण से पता चला कि कुछ ब्रांडों, विशेष रूप से भारत स्थित कंपनियों द्वारा निर्मित ब्रांडों में प्रोटीन स्पाइकिंग का संदेह था। कई सारे बड़े ब्रांडों में फंगल टॉक्सिन्स, कीटनाशक अवशेष, सीसा और आर्सेनिक जैसी भारी धातुएं और संभावित रूप से जहरीले कार्बनिक और अकार्बनिक यौगिक शामिल थे।

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फॉर्मूला मिल्क पर हुई सरकार सख्त

सरकार की ओर से अब फॉर्मूल मिल्क को नई अपडेट जारी की गई है। सरकार का कहना है इन गाइडलाइन फॉलो न करने वाली कंपनी के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक कार्ब्स के लिए इसमें लेक्टोज और ग्लूकोज का होना अनिवार्य है और इसमें फ्रुक्टोज न हो तो बेहतर है। कार्बोहाइड्रेट्स के लिए इसे ऐड किया जा रहा है तो इसकी मात्रा 20 परसेंट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। दरअसल नेस्ले इंडिया के प्रोडक्ट्स में शुगर यूज के बाद ये नया अपडेट सामने आया है।

एक्सपर्ट्स की राय

एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाजारी फॉर्मूला मिल्क की जगह मां का दूध ही बच्चे के लिए बेस्ट है। इससे बच्चे हेल्दी होते हैं और उनका इम्यूनि सिस्टम भी अच्छा होता है। वहीं जहां तक bournvita की बात है, बच्चों को इसकी आदत न लगाएं। इसके बदले आप दूध में केला और बादाम डालकर उसे हेल्दी बनाकर बच्चे को दे सकते हैं। इसका टेस्ट भी बच्चों को बहुत पसंद आएगा। 
 


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Content Editor

Charanjeet Kaur

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