बलूचिस्तान का वह मंदिर जिसे मुस्लिम मानते हैं ''नानी का हज'', यहां गिरा था सती माता का एक अंग
punjabkesari.in Thursday, May 15, 2025 - 12:53 PM (IST)

नारी डेस्क: पाकिस्तान में बलूचिस्तान हमेशा से बफर जोन वाला हिस्सा रहा है, और PAK सरकार के साथ हमेशा से इसका संघर्ष रहा है। बलूचिस्तान के साथ पाकिस्तान का ही नहीं भारत का भी खास नाता है। 51 शक्तिपीठों में से एक महत्वपूर्ण शक्ति स्थल मौजूद है, जो हिंगलाज भवानी के नाम से मशहूर है। यह वह स्थान है जहां देवी सती का सिर गिरा था, जो इसे शक्तिवाद के सबसे पवित्र स्थलों में से एक बनाता है। चलिए आज जानते हैं इस मंदिर के बारे में विस्तार से।

असम के सीएम ने किया इस मंदिर का जिक्र
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को बलूचिस्तान की हिंदू विरासत, 51 प्रतिष्ठित शक्तिपीठों में से एक, हिंगलाज माता मंदिर पर प्रकाश डाला और कहा कि बलूचिस्तान हिंदुओं के लिए "गहरा ऐतिहासिक" और "आध्यात्मिक महत्व" रखता है। असम के सीएम ने एक्स पर लिखा- "बलूचिस्तान हिंदुओं के लिए ऐतिहासिक और आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है, खास तौर पर हिंगलाज माता मंदिर के पवित्र घर के रूप में, जो हिंदू परंपरा में 51 प्रतिष्ठित शक्तिपीठों में से एक है। उन्होंने कहा- "सदियों से, हिंदू तीर्थयात्री - खास तौर पर सिंधी, भावसार और चरण समुदायों के लोग इस तीर्थस्थल पर आशीर्वाद लेने के लिए रेगिस्तान में कठिन यात्राएं करते रहे हैं। अपने धार्मिक महत्व से परे, बलूचिस्तान उपमहाद्वीप के विभाजन से बहुत पहले, इस क्षेत्र में हिंदुओं की प्राचीन सांस्कृतिक उपस्थिति की मार्मिक याद दिलाता है," । बताया जाता है कि बलूच लोगों में भी इस मंदिर के प्रति गहरी श्रद्धा है, जो इसे प्यार से "नानी मंदिर" कहते हैं, जो अंतर-सामुदायिक श्रद्धा और साझा विरासत की एक दुर्लभ विरासत को दर्शाता है।
हिंगलाज माता मंदिर की कहानी
पौराणिक कथाओं के मुताबिक जब मां सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमान सहन न कर आत्मदाह कर लिया, तब भगवान शिव शोक में डूब गए और उनके मृत शरीर को लेकर आकाश में घूमने लगे। ब्रह्मांड को संतुलित करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को टुकड़ों में विभाजित कर दिया। मां सती के अंग जहां-जहां गिरे, वे स्थान शक्ति पीठ कहलाए। हिंगलाज, वह पवित्र स्थान है जहां मां सती का मस्तक गिरा था। इसलिए यह स्थान अत्यंत शक्तिशाली और पूजनीय माना जाता है।
मंदिर की स्थिति और विशेषताएं
यह मंदिर बलूचिस्तान के लासबेला ज़िले में हिंगोल नदी के पास स्थित है, और यह हिंगोल नेशनल पार्क के अंदर स्थित है। यह मंदिर एक गुफा के भीतर स्थित है। यहां माता की कोई मूर्ति नहीं, बल्कि प्राकृतिक पिंडी (शिला रूप) की पूजा की जाती है। मंदिर तक पहुंचना कठिन है, लेकिन हर साल हज़ारों श्रद्धालु यहां हिंगलाज यात्रा (Hinglaj Yatra) के लिए पहुंचते हैं। यहां कुछ मुस्लिम समुदाय, खासकर सुफी परंपरा से जुड़े लोग भी श्रद्धा से आते हैं। वे इसे “नानी का हज” कहते हैं।

भारत से संबंध
भारत के कई क्षेत्रों, विशेषकर राजस्थान, गुजरात, और मुंबई में हिंगलाज माता के मंदिर स्थापित हैं। भारतीय भक्त, जो पाकिस्तान नहीं जा सकते, वे इन मंदिरों में जाकर हिंगलाज माता की पूजा करते हैं। पाकिस्तान सरकार द्वारा इस मंदिर को एक राष्ट्रीय धरोहर के रूप में माना गया है। हर साल हिंगलाज यात्रा के समय सुरक्षा व्यवस्था की जाती है और हिंदू श्रद्धालुओं को विशेष अनुमति के साथ यहां आने दिया जाता है।हिंगलाज माता मंदिर सिर्फ एक मंदिर नहीं बल्कि आस्था, इतिहास और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है।