क्यों होती है बच्चेदानी में रसौली? Cyst होने की निशानियां और उपचार

punjabkesari.in Monday, Sep 23, 2024 - 04:37 PM (IST)

नारी डेस्कः कुछ हैल्थ प्रॉब्लम्स ऐसी होती हैं जो महिलाओं को ही होती है। जैसे कि बच्चेदानी की रसौली (Bachedani ki Rasoli)। पहले पीरियड्स बंद होने के बाद यानि मेनोपॉज के बाद, या फिर 35 से 50 की उम्र की महिलाओं को रसौली होने की समस्या होती थी लेकिन आजकल टीनएज और कम उम्र की लड़कियों को भी ये समस्या होने लगी है। इसे डॉक्टरी भाषा में गर्भाश्य की गांठ (Fibroid) और सिस्ट (Cyst) भी कहा जाता है। इस परेशानी को मायोमा और लेयोमायोमा के नाम से भी जाना जाता है लेकिन यह समस्या अब क्यों बढ़ रही है और किन महिलाओं को इसका अधिक खतरा रहता है चलिए इस बारे में आपको इस आर्टिकल में बताते हैं। 

रसोली/गांठ (Cyst) क्या होती है? (Rasoli Meaning in Hindi)

यह, गर्भाशय की मांसपेशियों में होने वाला एक प्रकार का ट्यूमर है और यूट्रस की मांसपेशियों में अगर एक या उससे ज्यादा गांठें बन जाती है तो रसोली की समस्या पैदा होती है। यह अनार के दानों के आकार से लेकर टेनिस बॉल जितनी बड़ी भी हो सकती है। जब इसका आकार बढ़ता है तो यह शरीर में दर्द भी बढ़ा देती है। कई बार रसौली के चलते बच्चेदानी में सूजन भी आ जाती है जिससे महिला को कमर के निचले हिस्से में दर्द रहने लगती है। भारीपन महसूस होता है। 

ओवेरियन सिस्ट क्या है? (What is an Ovarian Cyst?)

गर्भाश्य की तरह ओवेरियन में भी सिस्ट हो सकता है। आम भाषा में बताएं तो ओवेरियन सिस्ट (Ovarian Cyst) एक ऐसा थैला होता है जो अंडाशय के अंदर या उसपर विकसित होता है।
दाएं अंडाशय में सिस्ट (Cyst in the right ovary): सिस्ट विशेष रूप से दाएं अंडाशय में बनता है। इससे निचले पेट के दाएं तरफ दर्द होता है।
बाएं अंडाशय में सिस्ट (Cyst in the left ovary): ये सिस्ट बाएं अंडाशय में बनता है और निचले पेट के बाएं तरफ दर्द इसका एक लक्षण हो सकता है।

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बच्चेदानी में रसौली होने के संकेत

जब बच्चेदानी में रसौलियां होती हैं तो इसका सबसे सामान्य संकेत यही नजर आता है कि इसके चलते पेट के निचले हिस्से में दर्द और पीरियड्स असामान्य हो जाते हैं जैसे ओवर ब्लीडिंग होना। 

हालांकि कभी कभी इसके लक्षण दिखाई नहीं देते, जिसकी वजह से इस समस्या की जानकारी काफी देर में होती है और दिक्कत काफी बढ़ जाती है।

कई बार रसोली होने की मुख्य वजह एस्ट्रोजन हार्मोन माना जाता है। एस्ट्रोजन के शरीर में कम होते ही रसोली भी सिकुड़ने लगती है।

यूट्रस में अगर एक बार रसोली हो जाए तो यह मेनोपॉज के बाद भी शरीर में रहती है जिन महिलाओं का वजन बहुत ज्यादा होता है, उन्हें रसोली होने की संभावना काफी ज्यादा होती है।

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गर्भाशय में रसोली की समस्या होने के कारण

अब तक गर्भाशय में रसोली के होने का कोई स्पष्ट कारण तो नहीं पता लेकिन नीचे हम कुछ ऐसे कारणों के बारे में पढ़ने जा रहे हैं जो आमतौर पर रसोली के मुख्य कारण माने जाते हैं।

हार्मोन (Hormones)

एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की वजह से भी रसोली की दिक्कत हो सकती है। रसोली एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन को अब्सॉर्ब करती हैं, जिसकी वजह से इनका आकार पहले की तुलना में ज्यादा हो जाता है हालांकि मेनोपॉज के बाद यह हार्मोन कम होने लगते हैं जिसके चलते रसोली का साइज कम हो सकता है। 

आनुवांशिक समस्या (Genetics)

रसोली की परेशानी आनुवांशिक भी है। अगर यह समस्या पहले ही घर में किसी महिला को है तो इसकी संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है। 

रसौली होने के अन्य कारण

अगर कम उम्र में ही पीरियड्स शुरू हो जाए।
गर्भनिरोधक दवाइयों का ज्यादा इस्तेमाल।
शरीर में विटामिन डी की मात्रा में कमी।
वजन कम होना या बहुत ज्यादा बढ़ जाना।
मांस और शराब का ज्यादा सेवन से महिला शरीर में अधिक रसौली बन सकती हैं। 

गर्भाशय में रसौली का इलाज (Treatment of Cyst in Uterus)

अगर रसोली सामान्य आकार में है तो इसे दवाइयों की मदद से कम किया जा सकता है। वही अगर नौबत सर्जरी तक आ पहुंची है तो सर्जरी की मदद से गर्भाशय से रसोली को निकाला जाता है लेकिन अगर रसौली बहुत बड़ी है तो कई बार डाक्टर पूरी बच्चेदानी ही रिमूव करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी रसौली से पीड़ित है तो एकसपर्ट डाक्टर से सलाह लेकर आगे का स्टैप उठाए। 
 


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Content Writer

Vandana

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