अपने डॉग को इंसाफ दिलाने के लिए 4 साल से भटक रही हैं आयशा जुल्का, अब HC में लगाई गुहार

punjabkesari.in Saturday, Apr 13, 2024 - 02:44 PM (IST)

'कुर्बान' और 'जो जीता वही सिकंदर' जैसी फिल्मों से अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाने वाली एक्ट्रेस आयशा जुल्का इन दिनों काफी परेशान हैं। दरअसल, उनके पेट डॉग रॉकी की मौत रहस्यमय परिस्थियों में हो गई थी। जिसके बाद से लगातार वो मामले की जांच और इंसाफ के लिए भटक रही हैं, लेकिन बात नहीं बनी तो अब उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट से इंसाफ की गुहार लगाई है। बता दें, ये घटना 4 साल पहले यानी की 2020 में हुई थी और आज तक इस पर सुनवाई नहीं हुई है।

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2020 में रहस्मयी परिस्थितयों में हुई थी पेट डॉग की मौत

दरअसल, मामला 13 सितंबर 2020 का है। एक्ट्रेस के लोनावाला वाले बंगले में काम करने वाली केयरटेकर ने उन्हें बताया कि उनके पालतू कुत्ते की पानी के टंकी में डूबने से मौत हो गई है। हालांकि एक्ट्रेस को भरोसा है कि कुछ गड़बड़ है और इसलिए उन्होंने अपने पेट डॉग का पोस्टमार्टम करवाया। जनवरों के डॉक्टरों का कहना था कि कुत्ते का गला घोंटने से उसकी मौत हुई है। 

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केयरटेकर को किया गया गिरफ्तार

इसके बाद आयशा ने 17 सितंबर 2020 को एफआईआर दर्ज कराई और कुछ दिनों बाद केयरटेकर राम नाथू आंद्रे ने कथित तौर पर पुलिस के सामने स्वीकार किया कि उसने नशे की हालत में कुत्ते का गला घोंट दिया था। उसे 25 सितंबर को गिरफ्तार किया गया और जेल भेज दिया गया। हालांकि 2 दिन बाद उन्हें बेल मिल गई। मामले में मावल पुलिस द्वार 7 जनवरी 2021 को एक चार्जशीट भी दायर की गई थी।

4 साल बाद भी नहीं मिला इंसाफ

वहीं एक्ट्रेस के वकील हर्षद गरुड़ ने दायर याचिका ने कहा है कि मामले की सुनवाई 4 साल बाद भी शुरु नहीं हुई है। जबकि इनवेस्टिगेशन के दौरान, खून से सनी चादर को पुणे की फोरेंसिक लैब में भी भेजा गया था और लेकिन अभी भी रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। 

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आयशा ने खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा

आयशा ने अभियोजना निदेशालय, मुंबई में भी शिकायत की है कि सरकारी वकील द्वारा मुकदमा चलाने के लिए कोई उचित कदम नहीं उठाया गया है। वहीं मामले में कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद एक्ट्रेस ने अब हाई कोर्ट में गुहार लगाई है। वहीं शुक्रवार की सुनवाई के दौरान, जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की बेंच ने एक्ट्रेस को निर्देश दिया कि वह आगे की कार्यवाही के लिए सिंगल बेंच को अप्रोच करें, क्योंकि यह देखा गया कि मामले की सुनवाई सिंगल जज बेंच द्वारा की जानी चाहिए।
 


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Content Editor

Charanjeet Kaur

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