International Yoga Day: नियम के साथ करें अष्टांग योग, मिलेंगे कई स्वास्थ्य लाभ

punjabkesari.in Monday, Jun 20, 2022 - 11:04 AM (IST)

स्वस्थ शरीर के लिए योग बहुत ही आवश्यक होता है। योग शरीर के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ही आवश्यक है। हजारों वर्ष पहले ऋषि मुनियों ने योग का आविष्कार किया था और इसके महत्व को पहचाना था। आज पूरी दुनिया में लोग योग के महत्व को पहचानते हैं। वहीं बीते कुछ सालों से हर साल 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। इस दिन दुनियाभर में योग के कैंप लगाए जाते हैं। आमतौर पर योग को आसन से जोड़कर ही देखा जाता है। जिसके कारण लोगों को योग का नाम आते ही सिर्फ आसन याद आते हैं। लेकिन योग में आसन से बढ़कर भी आठ अंग होते हैं। जिन्हें अष्टांग कहा जाता है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में...

क्या है अष्टांग योग? 

महर्षि पतंजलि ने योग को मन की चंचलता को स्थिर करने की एक प्रचीनतम तकनीक बताया है। योगसूत्र में पूर्ण कल्याण के अलावा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि को बनाए रखने के लिए उन्होंने आठ अंगों वाले योग यानी की अष्टांग योग का वर्णन किया है। 

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ये हैं अष्टांग योग के 8 अंग 

यम 

अष्टांग योग का सबसे पहले अंग यम है। इसके अंतगर्त पांच बहुत ही महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं, जिनका पालन करना योगशास्त्र में बहुत ही आवश्यक माना जाता है। सदैव सत्य बोलना, अहिंसा का पालन करना, चोरी नहीं करना, ब्रह्मचर्य और जरुरत से ज्यादा चीजों पर ज्यादा लालच न रखना बताया गया है। 

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नियम 

यम के जैसे नियम में भी पांच बहुत ही आवश्यक बातें शामिल की गई हैं। इसके अंतगर्त ईश्वर की उपासना, तप, संतोष, शरीर और मन की गंदगी को बाहर निकालना, स्वाध्याय जैसी बातें बताई गई हैं। 

आसन 

अष्टांग योग का तीसरा अंग है आसन। योग को आमतौर पर लोग आसन के साथ जोड़कर देखते हैं। जब आप स्थिर अवस्था में बैठकर ध्यान लगाते हैं और सुख की अनुभूति करते हैं तो इसे आसन कहा जाता है। आसन करने से कई संपूर्ण बीमारियों का इलाज करने में सहायता मिलती है। 

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प्राणायाम 

आसन के जैसे चौथा और सबसे जरुरी अंग है प्राणायाम। मन और मस्तिष्क को मजबूत बनाने के लिए प्राणायाम किया जाता है। यह आपके सांसों की गति को नियंत्रित करने की प्रक्रिया में मदद करता है। 

प्रत्याहार 

अष्टांग अंग को पांचवा चरण प्रत्याहार होता है। इसमें महार्षि पतंजलि इंद्रियों सांसारिक विषयों से हटाकर आंतरिक विषयों पर लगाने का प्रशिक्षण देते हैं।

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धारणा 

छठा अष्टांग अंग धारणा कहलाती है। धारणा में ईश्वर द्वारा बनाई हुई वस्तुओं को उन्हीं का अंश मानने की भावना बताई जाती है। संसार की हर वस्तु को एकजैसा समझना ही धारणा कहलाता है। 

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ध्यान 

अष्टांग अंग का सांतवा अंग ध्यान कहा जाता है। मन को एकाग्र करने की प्रक्रिया को ध्यान कहा जाता है। इस प्रक्रिया में आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़ने का प्रयास किया जाता है। 

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समाधि 

अष्टांग योग का आखिरी और आठवां अंग होता है समाधि। समाधि वह अवस्था है जिसे जीवन की अंतिम और आखिरी मंजिल कहा जाता है। इस अवस्था में आत्मा का परमात्मा से मिलन हो जाता है। ऐसी स्थिति में मनुष्य को किसी भी चीज का एहसास नहीं होता है। वह परम शांति और परम आनंद की अनुभूति को प्राप्त कर लेता है।  

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palak

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