बोन टीबी के मरीज थे अमिताभ बच्चन, जानिए इसके लक्षण व उपचार

punjabkesari.in Monday, Sep 16, 2019 - 03:07 PM (IST)

बॉलीवुड एक्टर अमिताभ बच्चन इन दिनों केबीसी 11 को होस्ट कर रहे है। शो में अमिताभ अपनी पर्सनल लाइफ से जुड़ी बातें शेयर करते रहते हैं। हाल में ही अमिताभ ने शो के दौरान अपनी एक दर्द नाक बीमारी के बारे में बताया जिसका दर्द वह आजतक नहीं भूल पाए।

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बता दें कि अमिताभ को रीढ़ की हड्डी में टीबी की शिकायत थीं। अपनी बीमारी की बात शेयर करते हुए अमिताभ ने कहा, 'साल 2000 में जब केबीसी शुरू हुआ था उस समय मुझे पीठ में बहुत दर्द होता था। मुझे लगता था कि कुर्सी पर बैठने की वजह से शायद दर्द होता है लेकिन जब मैंने जांच कराया तो पता चला कि मुझे बोन टीबी (स्पाइनल ट्यूबरक्लोसिस) है। 'करीब 4-5 साल जांच के बाद इसका डिटेक्शन हुआ। तब मैंने इलाज कराया और ठीक हो गया। हर रोज 7-8 गोलियां खानी पड़ती थीं। अब मैं ठीक होकर आपके सामने बैठा हूं इसकी एक वजह यह भी है कि मैंने सही समय पर सही इलाज करा लिया था।

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आपको बता दें कि टीबी एक ऐसा रोग है जो एक से दूसरे ‌‌व्यक्ति में फैलता है। इसमें दवाई का पूरा कोर्स होता है अगर आप इसे एक दिन भी मिस करते हैं तो पूरा कोर्स दोबारा से शुरु करना पड़ता है। टीबी कई तरह की हो सकती है। बहुत सारे लोगों को लगता है कि टीबी सिर्फ फेफड़ों को क्षतिग्रस्त करता है लेकिन हड्डियों पर भी इसका गहरा असर होता है। उन्हीं में से एक होती है स्पाइनल टीबी, जिसे बोन टीबी व 'अस्थि क्षयरोग' भी कहा जाता है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टीबी के 20 लाख से ज्यादा मरीज सामने आए हैं, जिनमें से 20 प्रतिशत यानी करीब 4 लाख लोगों को स्पाइनल टीबी की शिकायत है।

बोन टीबी के लक्षण के बारे में बताते हैं...

पीठ व कमर के दर्द को अक्सर मामूली समझकर इग्नोर किया जाता है जबकि यह गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है। अगर 2 से 3 हफ्ते तक आपको आराम नहीं मिल रहा तो डाक्टरी जांच जरूर करवाएं। आंकड़ों के मुताबिक, लगातार हो रहे पीठ दर्द के केसों में से 10 फीसदी मरीजों में रीढ़ की हड्डी का टीबी का पता चलता है। अगर समय पर इसका इलाज न करवाया जाए तो लकवा होने की आशंका भी रहती है।

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बोन टीबी के लक्षण बाकी टीबी केसों की तरह ही दिखते हैं

बुखार 
थकान
कफ-खांसी रहना 
रात में पसीना आना
बेवजह वजन कम होना
हड्डी के किसी एक बिंदु पर असहनीय दर्द, जैसे- कलाई या रीढ़
धीरे-धीरे मरीज का बॉडी पॉश्चर बिगड़ना
कंधे झुकाकर चलना
हड्डियों में सूजन

इस रोग में एक स्टीक स्थान पर ही दर्द होती है वहीं, स्पाइन टीबी के मामले में पीठ के निचले हिस्से में दर्द रहता है। बोन टीबी में मरीजों को सोते समय भी दर्द रहता है क्योंकि उस समय बेक्टीरिया की गतिविधि बढ़ जाती है।

बोन टीबी को कैसे पहचानें

बोन टीबी का पता लगाने के लिए एक्स-रे और प्रभावित जोड़ वाले हिस्से से बहते तरह पदार्थ की जांच जरूरी है। ब्लड टेस्ट, इएसआर टेस्ट, एक्स-रे से इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। रीढ़ और स्केलेटल टीबी के मामले में सीटी स्कैन एमआरआइ रिपोर्ट के आधार पर इलाज की प्रक्रिया शुरू की जाती है।

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बोन टीबी का इलाज

वैसे सामान्य हड्डी की टीबी को सही होने में 6 माह से 1 साल का समय लग जाता है जबकि स्पाइन टीबी के मामले में लकवे का इलाज और रिकवरी में डेढ़ से दो साल भी लग सकता है लेकिन इसके लिए दवाइ का पूरा कोर्स करना अतयंत जरूरी है साथ ही पूरा आराम, अच्छी पौष्टिक डाइट, नियमित व्यायाम आदि भी साथ की साथ चलता है।

इसके अलावा फिजियोथेरपी भी करवाई जा सकती है लेकिन अगर स्थिति ज्यादा खराब है तो सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। उसके बाद व्यक्ति पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाता है लेकिन इसके बाद भी उसे नियमित चेकअप और खान-पान का ध्यान रखना पड़ता है। वही जो लोग सही समय पर इलाज नहीं करवाते या इलाज बीच में छोड़ देते हैं उनकी रीढ़ की हड्डी गल जाती है जिससे स्थाई अपंगता आ जाती है।


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Content Writer

Vandana

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