क्या आपने कभी सुना है नॉनवेज मिल्क के बारे में? इस दूध के कारण टेंशन में है अमेरिका और भारत

punjabkesari.in Monday, Jul 28, 2025 - 04:19 PM (IST)

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते (Trade Deal) में एक बड़ा अड़चन बन रही है अमेरिका से डेयरी उत्पादों (दूध और दूध से बनी चीज़ों) का आयात। खासतौर पर इसका कारण है: ‘नॉन-वेज मिल्क’ यानी ऐसा दूध जो उन गायों से आता है जिन्हें जानवरों से बने उत्पाद (animal-based feed) खिलाए जाते हैं।  यह भारत के लिए एक संस्कृति, धार्मिक विश्वास और उपभोक्ता की आस्था का मुद्दा है। यही वजह है कि अमेरिका से डेयरी आयात भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में एक संवेदनशील बाधा बना हुआ है।
 

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 क्या है ‘नॉन-वेज मिल्क’?

अमेरिका में कई डेयरी फार्म में गायों को बेहतर उत्पादन और तेज़ी से बढ़ाने के लिए मांस, हड्डी का चूर्ण (bone meal), मछली से बना चारा (fish meal), और खून से बने सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं। इनसे गायों का दूध उत्पादन तो बढ़ता है, लेकिन यह दूध भारतीय दृष्टिकोण से शुद्ध और शाकाहारी नहीं माना जाता। भारत में गाय को पवित्र माना जाता है। बहुत से लोग दूध को पूज्य और सात्विक समझते हैं। अगर गाय को मांसाहारी चारा खिलाया जाए, तो उसका दूध धार्मिक रूप से अशुद्ध माना जाता है।


 धार्मिक भावना का सवाल

भारत में शाकाहारी लोग सिर्फ खुद मांसाहार नहीं छोड़ते, बल्कि इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि जो खाद्य उत्पाद वे ले रहे हैं, वो किसी भी तरह से अप्राकृतिक या मांसाहारी प्रक्रिया से न जुड़े हों। ऐसे में, ऐसे दूध या डेयरी प्रोडक्ट्स को स्वीकार करना कठिन है जो गायों को मांसाहारी आहार देकर प्राप्त हुए हों। 
 

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अमेरिका- भारत के बीच क्याें हो रहा है मतभेद

अमेरिका में दूध के उत्पादन में आम तौर पर यह नहीं बताया जाता कि गाय को किस तरह का चारा दिया गया। भारत मांग करता है कि दूध साफ-साफ लेबल किया जाए क्या वह पूरी तरह शाकाहारी है या नहीं? लेकिन अमेरिका इस तरह की लेबलिंग को गैरज़रूरी मानता है। इसके अलावा भारत में एक बड़ी डेयरी इंडस्ट्री है जिसमें लाखों छोटे किसान और महिला स्वयं-सहायता समूह काम करते हैं। यदि अमेरिका से सस्ता दूध आने लगे, तो स्थानीय कारोबार प्रभावित हो सकता है।


व्यापार पर इसका क्या असर?

अमेरिका चाहता है कि भारत उसकी डेयरी प्रोडक्ट्स को भारतीय बाज़ार में आने दे। लेकिन भारत की शर्त है कि केवल वही डेयरी उत्पाद आयात किए जाएंगे, जो गायों को शुद्ध शाकाहारी आहार देकर प्राप्त किए गए हों। अमेरिका इस शर्त को "ट्रेड बैरियर" कहता है, जबकि भारत इसे सांस्कृतिक और धार्मिक संरक्षण का मुद्दा मानता है। भारत चाहता है कि दूध के पैकेट पर यह स्पष्ट लिखा हो कि गायों को क्या खिलाया गया, इससे उपभोक्ता सही निर्णय ले सकें। इससे सांस्कृतिक मूल्यों और व्यापार के बीच संतुलन बनाना दोनों देशों के हित में होगा।


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Content Writer

vasudha

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