दिल के मरीजों के लिए खतरनाक है Air Pollution, गुनगुना पानी पीएं और व्यायाम जरूर करें

punjabkesari.in Friday, Nov 06, 2020 - 05:52 PM (IST)

दुनियाभर में बढ़ रहा प्रदूषण एक भारी समस्या बनता जा रहा है। इंडस्ट्रीज और गाड़ियां वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण हैं। इन सबके चलते आज लोग मजबूरन इस घुटी हुई हवा में सांस लेने के मजबूर हैं। वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों का कैंसर, इंफेक्शन जैसे मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इससे बचाव के लिए जहां एक तरफ सरकार काफी प्रयास कर रही हैं वहीं दूसरी करफ हमें भी खुद का बचाव करना चाहिए, जो कि सबसे महत्वपूर्ण है। 

क्यों घातक है वायु प्रदूषण 

डॉक्टर संदीप मिश्रा, एम्स के ह्रदय रोग विभाग के प्रोफेसर के अनुसार कई रिसर्च में पाया गया है कि जिन इलाकों में वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी पाई जाती है वहां दिल के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। इसका कारण यह है कि प्रदूषित कण दिल तक खून पहुंचाने वाली आर्टरी की एंडोथीलियम को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे बचाव के लिए हृदय रोगी को गुनगुना पानी ज्यादा पीना चाहिए। उसके साथ ही समय पर दवाईयां लें और व्यायाम करें।

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वायु प्रदूषण से कैसे करें बचाव?

- बाहर जाने से पहले वायु प्रदूषण के स्तर की जांच करें और मास्क जरूर पहनें।

- लकड़ी या कचरा न जलाएं क्योंकि इससे भी वायु प्रदूषण फैलता है।

- उच्च वायु प्रदूषण स्तर के दौरान बाहर काम करने से बचें।

- अगर आपको सांस लेने में परेशानी हो तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाएं।

- थोड़ी-थोड़ी देर बाद पानी पीते रहें, ताकि शरीर हाइड्रेटिड रहें।

- अपनी डाइट में हरी सब्जियां जूस, नारियल पानी शामिल करें, ताकि बॉडी डिटॉक्स हो।

- आंखों पर चश्मा जरूर लगाएं, ताकि आप प्रदूषण से होने वाली इरिटेशन से बचे रहें।

- घर के खिड़की दरवाजे बंद रखें और एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें, ताकि घर की हवा दूषित न हो।

- गाड़ी, घर या अन्य चीजों की साफ-सफाई के लिए खतरनाक केमकिल आधारित उत्पादों की जगह इको-फ्रेंडली उत्पाद इस्तेमाल करें।

इन बीमारियों का बनता है कारण

वायु प्रदूषण लंग्स कैंसर, अस्थमा, सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और एलर्जी का कारण बन सकता है। इतना ही नहीं लगातार बढ़ता प्रदूषण सांस की बीमारी को भी बढ़ा सकता है। जो पहले ही सांस संबंधी बीमारी से जूझ रहा है उनके लिए तो यह खतरनाक है।

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कैंसर के कारण

यूं तो 90% मामलों में इसका कारण धूम्रपान होता है लेकिन आजकल वायु प्रदूषण के कारण भी इसका खतरा बढ़ रहा है। वहीं नॉन-स्मोकर में निष्क्रिय धूम्रपान (सेकंड हैंड स्मोकिंग), रेडियोधर्मी गैसों (रेडॉन), खतरनाक रसायनों और प्रदूषण के संपर्क में आने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

कैंसर के लक्षण

-थकावट

-खांसी

-सांस लेने में परेशानी

-छाती में दर्द

-भूख कम लगना

-बलगम से खून निकलना

-खांसी के साथ बलगम आना

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Content Writer

Bhawna sharma

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