अब सूरज होगा भारत की मुट्ठी में ! ISRO ने लांच किया पहला सौर मिशन Aditya L1
punjabkesari.in Saturday, Sep 02, 2023 - 12:39 PM (IST)
भारतीय अंतरिक्ष संगठन (इसरो) ने कुछ दिन पहले चंद्रमा पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग' के बाद एक बार फिर इतिहास रचने के उद्देश्य से शनिवार को देश के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल1' का अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण किया। इसरो के अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही 23.40 घंटे की उलटी गिनती समाप्त हुई, 44.4 मीटर लंबा ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11.50 बजे निर्धारित समय पर शानदार ढंग से आसमान की तरफ रवाना हुआ। यह लगभग 63 मिनट की पीएसएलवी की "सबसे लंबी उड़ान" होगी।
#WATCH | Crowd chants 'Bharat Mata Ki Jai' as ISRO's PSLV rocket carrying Aditya L-1 lifts off from Sriharikota pic.twitter.com/5uI6jZfLvJ
— ANI (@ANI) September 2, 2023
ये है मिशन का मुख्य उद्देश्य
सूर्य के अध्ययन के लिए ‘आदित्य एल1' को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर ‘लैग्रेंजियन-1' बिंदु तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है। ‘आदित्य एल1' सात पेलोड ले जाएगा, जिनमें से चार सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण करेंगे। इसरो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘चंद्रयान-3' की सॉफ्ट लैंडिंग में मिली कामयाबी के बाद इस मिशन को अंजाम दे रहा है।
सूर्य और पृथ्वी के बीच पांच लैग्रेंजियन बिंदु हैं
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि सूर्य मिशन को सटीक त्रिज्या तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे। ‘आदित्य एल1' को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1' (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसरो के अनुसार, सूर्य और पृथ्वी के बीच पांच लैग्रेंजियन बिंदु हैं, और प्रभामंडल कक्षा में ‘एल1' बिंदु से उपग्रह सूर्य को बिना किसी बाधा/बिना किसी ग्रहण के लगातार देखकर अध्ययन संबंधी अधिक लाभ प्रदान करेगा। इससे सौर गतिविधियों को लगातार देखने का अधिक लाभ मिलेगा।
सूर्य पर होती रहती है विस्फोटक घटनाएं
इस जटिल मिशन के बारे में इसरो ने कहा कि सूर्य सबसे निकटतम तारा है और इसलिए अन्य की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है। सूर्य का अध्ययन करके आकाशगंगा के साथ-साथ अन्य आकाशगंगाओं के तारों के बारे में भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है। सूर्य पर कई विस्फोटक घटनाएं होती रहती हैं जिससे यह सौर मंडल में भारी मात्रा में ऊर्जा छोड़ता है। यदि ऐसी विस्फोटक सौर घटनाएं पृथ्वी की ओर निर्देशित होती हैं, तो यह पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष वातावरण में विभिन्न प्रकार की गड़बड़ी पैदा कर सकती हैं। इसरो के अनुसार, इस तरह की घटनाओं से अंतरिक्ष यान और संचार प्रणालियों में गड़बड़ी हो सकती है, इसलिए इस तरह की घटनाओं की पूर्व चेतावनी पहले से ही सुधारात्मक उपाय करने के लिए महत्वपूर्ण है।
बिंदु तक पहुंचने में लगेंगे 4 महीने
अंतरिक्ष यान में लगे कुल सात उपकरणों में से चार सीधे सूर्य को देखेंगे, जबकि शेष तीन ‘एल1' बिंदु पर कणों और क्षेत्रों का वास्तविक अध्ययन करेंगे। शुरू में, ‘आदित्य-एल1' अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसे अधिक दीर्घवृत्ताकार बनाया जाएगा और बाद में इसमें लगी प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करके अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज बिंदु ‘एल1' की ओर प्रक्षेपित किया जाएगा। जैसे ही अंतरिक्ष यान ‘एल1' की ओर बढ़ेगा, यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकल जाएगा। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद, इसका क्रूज़ चरण शुरू हो जाएगा और बाद में, अंतरिक्ष यान को एल1 के चारों ओर एक बड़ी प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसे इच्छित एल1 बिंदु तक पहुंचने में लगभग चार महीने लगेंगे।
प्रति मिनट एक आएगी एक तस्वीर
आदित्य एल1 की परियोजना वैज्ञानिक और वीईएलसी की संचालन प्रबंधक डॉ. मुथु प्रियाल ने कहा- ‘‘तस्वीर चैनल से प्रति मिनट एक तस्वीर आएगी। यानी 24 घंटे में लगभग 1,440 तस्वीर हमें जमीनी स्टेशन पर प्राप्त होंगी।'' इस मिशन को अंजाम देने में यहां इसरो की एक प्रमुख शाखा द्वारा विकसित तरल प्रणोदन प्रणाली अहम भूमिका निभाएगी। एलपीएससी द्वारा विकसित एलएएम अत्यधिक विश्वसनीय है, और इसका 2014 में मंगल ग्रह के अध्ययन से संबंधित ‘मार्स ऑर्बिटर मिशन' (मॉम) के दौरान 300 दिन तक निष्क्रिय रहने के बाद सक्रिय होने का प्रभावशाली रिकॉर्ड है।