Environment Day: 4 तरह का प्रदूषण लेकिन बीमारियां 30, यूं रखें बचाव
punjabkesari.in Friday, Jun 05, 2020 - 03:38 PM (IST)
पर्यावरण संरक्षण के लिए हर साल 5 जून को "विश्व पर्यावरण दिवस" मनाया जाता है। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस की थीम 'टाइम फॉर नेचर' रखी गई है। इस दिन को मनाने का मकसद दिन ब दिन बढ़ रहे प्रदूषण से पर्यावरण को पहुंच रहे नुकसान के बारे में जागरूक करना भी है। प्रदूषण सिर्फ पर्यावरण ही नहीं बल्कि हमारी सेहत को भी नुकसान पहुंचाता है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक, पॉल्यूशन 4 तरह का होता है लेकिन उससे होने वाली बीमारियां 30 तरह की है।
4 तरह का होता है पॉल्यूशन
. जल प्रदूषण
. वायु प्रदूषण
. भूमि प्रदूषण
. ध्वनि प्रदूषण
वायु प्रदूषण से होने वाले रोग
एयर पॉल्यूशन के कारण श्वांस से संबंधित यानी रेस्पॉरेट्री डिजीज का खतरा सबसे अधिक होता है। इनमें गले से संबंधित रोग, फेफड़ों से संबंधित बीमारियां और लंग्स कैंसर के मामले सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं। इसके अलावा वायु प्रदूषण से लेड पॉइजनिंग जैसी त्वचा संबंधी बीमारियों का खतरा भी रहता है।
जल प्रदूषण से होने वाले रोग
जल प्रदूषण के कारण पेट व त्वचा संबंधी रोग अधिक होते हैं। इसके अलावा लूज मोशन, डायरिया, डिसेंट्री (पॉटी के साथ ब्लड आना), उल्टियां आना जैसी बीमारियां आमतौर पर जल प्रदूषण के कारण होती हैं। मामूली लगने वाली इन बीमारियों का इलाज अगर समय पर ना मिल पाए तो यह जानलेवा भी बन सकती हैं।
भूमी प्रदूषण के कारण होने वाले रोग
फसलों पर पैस्ट्रिसाइट्स का उपयोग और कारखानों से निकलने वाले कैमिकल युक्त पानी को जमीन में डालने जैसी गलतियां भूमि और मिट्टी प्रदूषण का कारण बनती है। कैमिकल युक्त मिट्टी में उपजी फसलें और जमीन में जाने वाला कैमिकल युक्त पानी पीने से हम कई बीमारियों के चपेट में आ जाते हैं। इसके कारण लिवर कैंसर, लिवर एब्सेस, कोलोन कैंसर, ट्यूमर जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा रहता है।
ध्वनि प्रदूषण के कारण होने वाले रोग
ध्वनि प्रदूषण के कारण सिरदर्द, थकान, अनिद्रा, कमजोर इम्युनिटी, चिड़चिड़ापन, उत्तेजना, आक्रोश आदि बीमारियां हो सकती है। यही नहीं, शोर-शराबा का उच्च स्तर दिल की बीमारियों को भी जन्म दे सकता है।
बचाव के टिप्स...
. अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाएं।
. लकड़ी या कचरा न जलाएं, इससे वायु प्रदूषण फैलता है।
. घर को पॉल्यूशन फ्री रखने के लिए एयर प्यूरिफायर लगाएं।
. गाड़ी, घर या अन्य चीजों की साफ-सफाई के लिए इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स यूज करें।
. गाड़ियों के ज्यादा तेज होर्न न लाउन म्यूजिक सिस्टम का यूज ना करें क्योंकि इससे ध्वनि प्रदूषण होता है।
. पानी उबालकर पीएं। अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो आरओ वाला पानी पीएं।
हम चाहें तो बढ़ते हुए पॉल्यूशन को भी रोक सकते हैं और उससे होने वाली जानलेवा बीमारियों को भी। इस बात का अंदाजा आप लॉकडाउन की वजह से पर्यावरण में आए बदलाव से ही लगा सकते हैं। सिर्फ 2 महीने में भी प्रदूषण इतना साफ हो गया, जितना पिछले कई सालों में नहीं था।