प्रेमानंद जी महाराज के 3 शिष्य जिन्होंने छोड़ी दुनियादारी, जाने क्यों अपनाया भक्ति का मार्ग

punjabkesari.in Sunday, Mar 09, 2025 - 04:13 PM (IST)

नारी डेस्क: वृंदावन, जहां भक्ति का अमृत बहता है, वहां के प्रसिद्ध संत, प्रेमानंद महाराज, ने न केवल अपनी उपस्थिति से, बल्कि अपनी गहरी शिक्षाओं से भी हज़ारों लोगों के दिलों में एक खास स्थान बना लिया है। उनके आश्रम में हमेशा भक्तों की भीड़ रहती है, और उनके सत्संग से प्रेरित होकर लोग भक्ति के मार्ग पर चलने लगते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रेमानंद महाराज के पास कुछ खास शिष्य भी हैं, जो हमेशा उनके आस-पास रहते हैं? इन शिष्यों की अपनी अलग-अलग कहानियां और प्रेरणाएं हैं, जो हमें यह सिखाती हैं कि सच्ची भक्ति क्या होती है। आइए जानते हैं उनके बारे में:

नवनागरी बाबा जी – एक परिवर्तन की प्रेरणादायक कहानी

नवनागरी बाबा जी प्रेमानंद महाराज के सबसे खास शिष्यों में से एक हैं। उनका जीवन एक प्रेरणा है। पहले वे एक सैनिक थे और पंजाब के पठानकोट से आते थे। उनके पिता भारतीय सेना में अफसर थे और नवनागरी बाबा जी भी सेना में सेवा कर रहे थे। लेकिन 2017 में उन्होंने प्रेमानंद महाराज के सत्संग से प्रभावित होकर अपने आर्मी के करियर को छोड़ दिया।

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अब उन्होंने संन्यास का मार्ग अपनाया और अपना जीवन महाराज जी की सेवा में समर्पित कर दिया। नवनागरी बाबा जी वृंदावन में ही रहते हैं और उनका जीवन यह बताता है कि सच्ची भक्ति और संतों के आशीर्वाद से व्यक्ति अपने जीवन के किसी भी मोड़ पर बदलाव ला सकता है।

महामधुरी बाबा – एक शिष्य जो शिक्षक से साधु बने

महामधुरी बाबा जी का जीवन भी परिवर्तन की कहानी है। वे पीलीभीत के निवासी हैं और पहले एक असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में काम करते थे। उनका संपर्क प्रेमानंद महाराज से उनके भाई के माध्यम से हुआ। जब वे पहली बार वृंदावन आए, तो महाराज जी के आशीर्वाद से उनका जीवन पूरी तरह बदल गया।

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महामधुरी बाबा जी ने अपना प्रोफेसर का पद छोड़ दिया और साधु का जीवन अपनाया। अब वे प्रेमानंद महाराज के साथ रहते हैं और उनका यह निर्णय यह साबित करता है कि जब व्यक्ति का दिल सत्य और भक्ति की ओर मुड़ता है, तो संसार की सारी सांसारिक बातें उसे त्यागनी पड़ती हैं। वे इस जीवन को एक आध्यात्मिक मार्ग के रूप में अपनाते हैं और दूसरों को भी भक्ति का मार्ग दिखाते हैं।

श्यामा शरण बाबा – रक्त संबंध से बढ़कर एक आध्यात्मिक संबंध

श्यामा शरण बाबा जी प्रेमानंद महाराज के एक ऐसे शिष्य हैं, जिनका संबंध उनके साथ खून के रिश्ते से भी जुड़ा है। वे महाराज जी के भतीजे हैं और उनका जन्म उसी घर में हुआ था, जहां प्रेमानंद महाराज का जन्म हुआ था। बचपन से ही उन्हें अपने घर में महाराज जी के जीवन के प्रेरणादायक किस्से सुनने को मिलते थे।

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इस कारण, उनका दिल भक्ति के मार्ग की ओर खिंचता गया और उन्होंने महाराज जी से दीक्षा लेकर उनका शिष्यत्व स्वीकार किया। उनका जीवन यह बताता है कि जब एक व्यक्ति अपने परिवार और गुरु के आशीर्वाद से जुड़ा होता है, तो वह भक्ति के रास्ते पर चलते हुए जीवन के उच्चतम उद्देश्यों की प्राप्ति कर सकता है।

प्रेमानंद महाराज और उनके शिष्य न केवल भक्ति के मार्ग पर चलने का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, बल्कि हमें यह भी सिखाते हैं कि जब व्यक्ति सत्य और भक्ति की राह पर चलता है, तो कोई भी जीवन का मोड़ उसे उसके उद्देश्य से दूर नहीं कर सकता। 

डिस्कलेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल सामान्य जानकारी के लिए है। हम इसकी सटीकता या पूर्णता की गारंटी नहीं देते।

 

 


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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