सालभर में 23 लाख महिलाएं  हो रहीं ब्रेस्ट कैंसर की शिकार, कारण जानकर हो जाएंगे हैरान

punjabkesari.in Saturday, Oct 11, 2025 - 01:11 PM (IST)

नारी डेस्क:  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के ताज़ा आंकड़ों ने ब्रेस्ट कैंसर को लेकर चिंताएं और बढ़ा दी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल दुनिया भर में लगभग 23 लाख महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हो रही हैं, और इनमें से करीब 6.7 लाख महिलाओं की मौत हो जाती है। सबसे डराने वाली बात यह है कि अब पहले जैसे लक्षण  गांठ या हार्डनेस  कई मामलों में दिखाई ही नहीं देते। इस वजह से ब्रेस्ट कैंसर का एक नया और ज़्यादा खतरनाक रूप सामने आया है, जिसे कहा जाता है इनवेसिव लोब्युलर कार्सिनोमा (Invasive Lobular Carcinoma – ILC)।

 क्या है नया ब्रेस्ट कैंसर — ILC?

आईएलसी यानी Invasive Lobular Carcinoma ब्रेस्ट की दूध बनाने वाली ग्रंथियों (Lobules) में विकसित होने वाला कैंसर है। यह सामान्य डक्टल कार्सिनोमा (IDC) से काफी अलग तरीके से बढ़ता है। यह कैंसर शरीर में फैलकर बढ़ता है और कोई ठोस गांठ नहीं बनाता, जिससे इसका शुरुआती चरण में पता लगाना बेहद मुश्किल होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, आईएलसी अब ब्रेस्ट कैंसर के कुल मामलों का लगभग 10% से थोड़ा अधिक हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसकी मेटास्टैटिक (शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने वाली) प्रकृति के कारण यह बहुत खतरनाक साबित हो रहा है।

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अमेरिका में तेजी से बढ़ रहे ILC के मामले

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में ILC के मामलों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (American Cancer Society) की रिपोर्ट के अनुसार, केवल 2025 में ही लगभग 33,600 नए ILC मामलों के सामने आने की संभावना है। यह कैंसर सामान्य डक्टल कैंसर से अलग तरह से व्यवहार करता है और इसे पहचानना कठिन होता है। यही वजह है कि विशेषज्ञ अब इस दिशा में जागरूकता और व्यक्तिगत उपचार (Personalized Treatment) पर ज़ोर दे रहे हैं।

 ILC के बढ़ने के प्रमुख कारण

स्क्रीनिंग की सीमाएं: पारंपरिक मैमोग्राफी (Mammogram) तकनीक अक्सर ILC के विकास को पहचान नहीं पाती, क्योंकि इसमें कोई ठोस गांठ नहीं बनती। हालांकि अब एमआरआई (MRI) और 3D इमेजिंग तकनीक से जांच आसान हो रही है, जिससे कई छिपे मामले सामने आने लगे हैं।

 हार्मोनल प्रभाव: आईएलसी अक्सर हार्मोन रिसेप्टर पॉजिटिव होता है। यानी लंबे समय तक एस्ट्रोजन हार्मोन के संपर्क में रहना इसके विकास में अहम भूमिका निभाता है। लंबे समय तक हॉर्मोन थेरेपी, गर्भनिरोधक गोलियां, और देर से मेनोपॉज भी इस खतरे को बढ़ा सकते हैं।

 उम्र और हॉर्मोन थेरेपी: महिलाओं की औसत उम्र और जीवनशैली में बदलाव के कारण अब कई महिलाएं मेनोपॉज के बाद हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) लेती हैं, जिससे हॉर्मोन-संवेदनशील कैंसरों का खतरा बढ़ रहा है।

जेनेटिक कारण (Genetic Mutations): कुछ जीन जैसे CDH1 में पाए जाने वाले बदलाव आईएलसी के विकास से जुड़े पाए गए हैं। जिन महिलाओं में यह जीन म्यूटेशन पाया जाता है, उनमें जोखिम सामान्य से कई गुना अधिक होता है।

जीवनशैली और पर्यावरणीय कारण: प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड, शराब, धूम्रपान और मोटापा कैंसर के सबसे बड़े कारणों में शामिल हैं। इसके अलावा देर से मां बनना या प्रेग्नेंसी न होना, यह भी ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।

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किन लक्षणों पर दें ध्यान

क्योंकि ILC बहुत सूक्ष्म और धीरे बढ़ने वाला कैंसर है, इसलिए इसके लक्षण अक्सर नज़र नहीं आते। फिर भी कुछ संकेत ऐसे हैं जिन्हें बिल्कुल नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए  स्तन में भारीपन या मोटापन महसूस होना, भले ही कोई गांठ न हो। स्तन का कोई हिस्सा घना या सख्त महसूस होना। स्तन के आकार में बदलाव या विकृति। त्वचा पर डिंपल या सिकुड़न, जैसे संतरे के छिलके की बनावट। निप्पल का अंदर की ओर मुड़ना या खिंचाव महसूस होना। निप्पल से किसी भी तरह का डिस्चार्ज। बगल या कॉलर बोन के पास सूजन। अगर ऐसे कोई संकेत दिखें, तो तुरंत मैमोग्राफी, एमआरआई या बायोप्सी कराएं।

 ILC की पहचान कैसे होती है?

ILC का पता अक्सर मैमोग्राफी या MRI से भी मुश्किल से लगता है। कई बार इसका सही निदान केवल बायोप्सी (Tissue Examination) से होता है। विशेषज्ञ अब महिलाओं को सलाह दे रहे हैं कि 40 साल की उम्र के बाद हर साल ब्रेस्ट स्क्रीनिंग कराना बेहद जरूरी है।

 जागरूकता ही बचाव है

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर महिलाएं अपने शरीर के बदलावों पर ध्यान दें, तो शुरुआती चरण में ही इस बीमारी से बचाव संभव है। सही खानपान, वजन नियंत्रण, तनाव कम करना, शराब और धूम्रपान से परहेज, और नियमित जांच  यही इसके खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है।

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ब्रेस्ट कैंसर अब पहले जैसा नहीं रहा  यह धीरे-धीरे, बिना लक्षण के और ज्यादा खतरनाक रूप में सामने आ रहा है। अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। इसलिए ज़रूरी है कि हर महिला अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक, सावधान और नियमित जांच करवाने वाली बने।

 
   

 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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