इन आदतों से बढ़ता है ओवेरियन कैंसर का खतरा, जानिए शुरुआती लक्षण

punjabkesari.in Thursday, Nov 27, 2025 - 04:05 PM (IST)

नारी डेस्क:  ओवेरियन कैंसर महिलाओं में होने वाला तीसरा सबसे आम स्त्री रोग संबंधी कैंसर है और अमेरिका में महिलाओं की कैंसर से होने वाली मौतों का एक बड़ा कारण भी। इसे अक्सर साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि यह शुरुआती चरणों में लगभग बिना किसी स्पष्ट लक्षण के बढ़ता है। अक्सर जब तक यह पता चलता है, तब तक कैंसर काफी आगे बढ़ चुका होता है।

साल 2024 के वैश्विक आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में लगभग 3.24 लाख नए मामले सामने आए और इस बीमारी से करीब 2.06 लाख महिलाओं की मौत हुई। ओवेरियन कैंसर ज्यादातर ओवरी में बनने वाले घातक ट्यूमर से शुरू होता है, खासकर एपिथीलियल ओवेरियन कैंसर, जो असामान्य सेल्स के तेजी से बढ़ने की वजह से होता है। कुल मिलाकर किसी महिला में जीवनभर में ओवेरियन कैंसर होने का जोखिम लगभग 1.3 प्रतिशत है। लेकिन उम्र, पारिवारिक इतिहास और कुछ खास जेनेटिक म्यूटेशन से यह जोखिम कई गुना बढ़ सकता है। इसलिए शुरुआती पहचान बेहद जरूरी है।

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शुरुआती पहचान इतनी मुश्किल क्यों है?

ओवेरियन कैंसर के शुरुआती लक्षण अक्सर बहुत हल्के होते हैं और महिलाओं द्वारा इन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है। Mayo Clinic के अनुसार, लगभग 75 प्रतिशत मामले स्टेज 3 या 4 में पकड़ में आते हैं, जब कैंसर ओवरी से बाहर फैल चुका होता है।

शुरुआती लक्षण आम तौर पर इस प्रकार दिखाई देते हैं

पेट में लगातार फूलना या भारीपन महसूस होना

थोड़ी सी मात्रा में खाना खाने के बाद जल्दी पेट भर जाना

निचले पेट या पेल्विक क्षेत्र में हल्का दर्द

पीठ, खासकर लोअर बैक में दर्द

कब्ज या दस्त, यूरिन की आदतों में बदलाव

थकान, कमजोरी, वजन में अचानक बदलाव

क्योंकि ये लक्षण रोजमर्रा की परेशानियों जैसे दिखते हैं, महिलाएं इन्हें सामान्य समझकर टाल देती हैं। लेकिन अगर ये लक्षण दो-तीन हफ्ते लगातार बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

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ओवेरियन कैंसर देर से क्यों पकड़ा जाता है?

ओवरी शरीर के अंदर गहराई में होते हैं और कई अंगों के पीछे छिपे रहते हैं। छोटे ट्यूमर महसूस नहीं होते और शुरुआती कैंसर में स्पष्ट लक्षण नहीं दिखते। जब तक लक्षण दिखाई दें, तब तक बीमारी कई बार फैल चुकी होती है। यही कारण है कि केवल 20 से 25 प्रतिशत मामलों में कैंसर शुरुआती स्टेज में पकड़ा जाता है।

Mayo Clinic की नई रिसर्च क्या कहती है?

Mayo Clinic की हाल की स्टडी में पता चला कि फेलोपियन ट्यूब की लाइनिंग में मौजूद कुछ सेल्स शुरुआती चरण में ही सूक्ष्म बदलाव दिखाने लगती हैं। स्टडी में एक 22 साल की महिला में सामान्य सिस्ट दिखाई दी, लेकिन गहराई से जांच करने पर सेल्स में कैंसर से पहले होने वाले बदलाव मिले। इस तरह के जेनेटिक म्यूटेशन होने पर उम्र छोटी होने के बावजूद जोखिम बढ़ जाता है।

ओवेरियन कैंसर बढ़ने वाले जोखिम वाले कारक

पारिवारिक हिस्ट्री में ओवेरियन या ब्रैस्ट कैंसर होना

कुछ जेनेटिक म्यूटेशन (BRCA1, BRCA2 आदि)

उम्र बढ़ना (विशेषकर 50 साल के बाद)

हार्मोनल बदलाव या लंबी अवधि तक हार्मोन थेरेपी

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समय रहते पहचान जरूरी

ओवेरियन कैंसर को शुरुआती चरण में पकड़ने से इलाज की संभावना बढ़ जाती है। महिलाओं को चाहिए कि वे पेट में लगातार भारीपन, जल्दी पेट भरने, हल्का दर्द, यूरिन की आदतों में बदलाव या थकान जैसे लक्षणों को हल्के में न लें। दो-तीन हफ्ते तक लक्षण बने रहने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।

ओवेरियन कैंसर शुरुआती दौर में लगभग चुपचाप बढ़ता है, इसलिए जागरूकता, समय-समय पर जांच और अपनी स्वास्थ्य आदतों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। शुरुआती पहचान और सही समय पर इलाज से इस गंभीर बीमारी से बचने की संभावना बढ़ाई जा सकती है।
 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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