जाते- जाते दूसरों के घर आबाद कर गए ये 2 मृतक, अंगदान कर दिया जीवनदान
punjabkesari.in Sunday, Jan 28, 2024 - 02:47 PM (IST)
हम सब जिंदगी भर खुद और सिर्फ अपने परिवार के लिए मेहनत और भागदौड़ करते हैं। लेकिन जिंदगी जीने के असल मायने तो तब बने न जब आप किसी और की खुशी की वजह बनो। कुछ ऐसा ही बच्चू और माया ने कर अपनी मौत के बाद करके मिसाल कायम कर दी। जी हां, दिल्ली के एम्स अस्पताल में बच्चू और माया नाम के 2 patients के ब्रेन डेड होने के बाद उनके परिजनों ने मल्टिपल ऑर्गन डोनेशन करने का फैसला लिया, जिससे 1 नहीं 7 लोगों की जान बचाई जा सकी।
इतने ऑर्गन किए डोनेट
दोनों मातृक की फैमिली के अप्रूवल के बाद 1 हार्ट, 4 किडनी, 2 लिवर और कॉर्निया रिट्रीव किए गए। सभी कॉर्नियाज को एम्स के डॉ. आरपी सेंटर में बैंक्ड कर लिया गया है। इस डोनेशन में 40 साल की मृतक महिला माया शामिल थी। बताया जा रहा है कि काम करते वक्त ये छात से गिर गई थी, जिसके बाद 2 दिन इलाज चला, पर उन्होंने दम तोड़ दिया। इसके बाद उनकी बॉडी को अस्पताल के बर्न एंड प्लास्टिक सेंटर में स्थित स्किन बैंड में प्रिजर्व कर दिया गया। इसके बाद सभी ऑर्गन्स को नेशनल ऑर्गव और टिश्यू ऑर्गेनाइजेशन (National Organ and Tissue Transplant Organization) अलॉट किया गया। एक लिवर और एक किडनी को एएचआरआर हॉस्पिटल को सौंपा गया। एक किडनी सफदरजंग अस्पताल को दी गई, जब्कि एक हार्ट, एक लिवर और 2 किडनी एम्स में ही किसी जरूरतमंद को ट्रासप्लांट कर दी गई। उनका एक लिवर और एक किडनी को एएचआरआर हॉस्पिटल को सौंपा गया। एक किडनी सफदरजंग अस्पताल को दी गई, जब्कि एक हार्ट, एक लिवर और 2 किडनी एम्स में ही किसी जरूरतमंद को ट्रासप्लांट कर दी गई। मृति महिला के परिजनों ने बताया कि माया एक धार्मिक महिला था जो हमेशा दूसरों की मदद करने में यकीन रखती थी।
बच्चू के अंगदान ने भी बचाई जिंदगी
वहीं दूसरे मृतक के बारे में बात करते हुए डॉक्टर्स ने बताया कि 51 साल के शख्स बच्चू जो राजस्थान के भरतपुर के निवासी थे, उन्हें जय प्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती किया गया था, जब वो 12 जनवरी 2024 को हरियाणा में पलवल के पास रेलवे ट्रैक पर हादसे के शिकार हो गए थे। तमाम कोशिशों के बाद भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी, फिर 24 जनवरी को बच्चू को ब्रेन डेड डिक्लेयर कर दिया गया। ये शख्स पेशे से राजमिस्त्री थे, जो अपने पीछे पत्नी 18 साल की बेटी और 17 साल के बेटे को छोड़ गए। एम्स के डॉक्टरों ने परिवार के निस्वार्थ फैसले के लिए गहरा सम्मान व्यक्त किया, जिसकी वजह से कई मरीजों की बच पाई।