18 साल की युवती बनी जैन साध्वी, केसर रस्म में मां ने खुद तैयार किया

punjabkesari.in Friday, May 30, 2025 - 10:39 AM (IST)

नारी डेस्क: हरियाणा के सोनीपत जिले की 18 साल की लब्धि जैन अब जैन साध्वी बनने जा रही हैं। 5 जून को रोहतक में भव्यातिभव्य दीक्षा महोत्सव आयोजित होगा जिसमें लब्धि संसार की मोह-माया को त्याग कर आध्यात्मिक जीवन की ओर कदम बढ़ाएंगी। इस अवसर पर जैन आचार्य डॉ. शिव मुनि लब्धि जैन को आशीर्वाद देंगे। महोत्सव में तिलक की रस्म, भव्य कलश यात्रा और शोभा यात्रा भी निकाली जाएगी।

केसर रस्म की शुरुआत – तैयार की गई साध्वी बनने की राह

लब्धि जैन की केसर रस्म रोहतक की जनता कॉलोनी में समाजसेवी विवेक जैन के घर पर संपन्न हुई। विवेक जैन और उनकी पत्नी अंकिता जैन लब्धि के धर्म के माता-पिता बने हैं। इस रस्म के दौरान लब्धि की असली माता सेंजल जैन और पिता जयप्रकाश जैन भी मौजूद रहे। लब्धि की मां सेंजल ने खुद अपनी बेटी को साध्वी बनने के लिए तैयार किया। उन्होंने कहा, “हमें गर्व है कि हमारी बेटी धर्म के मार्ग पर चल पड़ी है। वह अपनी बड़ी बहन ज्योतिष मार्तण्ड साध्वी डॉ. महाप्रज्ञ के पदचिन्हों पर चल रही है।”

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साध्वी बनने की प्रेरणा – बड़ी बहन की राह पर चली लब्धि

लब्धि की बड़ी बहन ज्योतिष मार्तण्ड साध्वी डॉ. महाप्रज्ञ भी 15 साल पहले जैन साध्वी बनी थीं।उसी रास्ते पर अब लब्धि भी आगे बढ़ रही हैं। दीक्षा लेना एक बहुत बड़ा कदम है जो संयम, त्याग और तपस्या का प्रतीक होता है।

बाण की रस्म और केसर छिड़काव

केसर रस्म के दौरान सुबह 11 बजे तेल चढ़ाने और बाण की रस्म पूरी की गई। इसके बाद उबटन का लेप भी लगाया गया। फिर लब्धि जैन ने पूरे घर में केसर का छिड़काव किया। इस रस्म के लिए 200 ग्राम कश्मीरी केसर को गुलाब जल में मिलाकर लेप तैयार किया गया। यह लेप लब्धि पर लगाया गया। घर में जिन कपड़ों पर केसर के छींटे पड़े, उन्हें कभी नहीं धोया जाएगा। ये कपड़े जीवनभर संभाल कर रखे जाएंगे।

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जून तक चलेंगी रस्में, 5 जून को दीक्षा

जब कोई लड़की जैन साध्वी बनती है तो ये रस्में जीवन में केवल एक बार होती हैं। अब 4 जून तक रोजाना बाण की रस्म चलेगी। 4 जून को दोपहर 2 बजे मेहंदी लगाने का कार्यक्रम होगा और एक मेहंदी प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी। 5 जून को मुख्य दीक्षा महोत्सव का आयोजन होगा जिसमें लब्धि जैन साध्वी बन जाएंगी और संन्यासी जीवन को अपना लेंगी।

लब्धि जैन का परिवार मूल रूप से सोनीपत से है। परिवार में हैं पिता जयप्रकाश, मां सेंजल, दादा सुखवीर सिंह, दादी धर्मकौर, ताऊ समरजीत और अमरजीत, ताई राजबाला, भाई रजत, गौरव, करण, रवि, मुकेश, हार्दिक, भाभी आन्वी, निहारिका, पारसी, बहन ज्योतिष मार्तण्ड साध्वी डॉ. महाप्रज्ञ, भतीजी भव्या, नाना-नानी सुनील व माय देवी।

जैन धर्म में दीक्षा का महत्व

जैन धर्म में दीक्षा एक बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण घटना होती है। जब कोई व्यक्ति दीक्षा लेता है तो वह संसार की सभी भौतिक वस्तुओं और संबंधों का त्याग कर देता है। वह साधु या साध्वी बनकर सादगी, संयम और अनुशासन से भरा जीवन जीने लगता है। दीक्षा महोत्सव में समाजजन धन और वस्तुओं का दान भी करते हैं। यह त्याग और आत्म-शुद्धि का पर्व होता है।

मां और धर्म माता-पिता की भावनाएं

लब्धि की मां सेंजल जैन ने कहा,“लब्धि बचपन से ही जैन साध्वी बनना चाहती थी। आज वह अपना सपना पूरा कर रही है।” वहीं धर्म पिता बने विवेक जैन और उनकी पत्नी अंकिता जैन ने कहा, “धर्म के मार्ग पर चलना आसान नहीं होता। हर बंधन से मुक्त होकर लब्धि ने बहुत साहसिक कदम उठाया है।”






 


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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