Tulsi Vivah Katha: कौन थी देवी तुलसी और क्यों किया जाता है शालिग्राम से उनका विवाह?

punjabkesari.in Friday, Nov 24, 2023 - 07:26 PM (IST)

तुलसी विवाह एक हिंदू त्योहार है जिसमें भगवान शालिग्राम या आंवला शाखा के साथ तुलसी का औपचारिक विवाह होता है, जो विष्णु के अवतार हैं। इस साल तुलसी विवाह 24 नवंबर 2023 यानि आज मनाया जा रहा है। मगर, क्या आप जानते हैं कि तुलसी माता कौन थी और शालिग्राम या आंवला शाखा के साथ उनका विवाह क्यों किया जाता है। तुलसी विवाह और उसके संस्कारों के पीछे की कथा पद्म पुराण, शास्त्र में बताई गई है, जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे।

कौन थी तुलसी माता?

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, तुलसी का पौधा "वृंदा" नाम की एक महिला थी जो असुर जालंधर की पत्नी और भगवान विष्णु की बहुत बड़ी भक्त थी। उसकी भक्ति ने उसके पति को अजेय बना दिया, उसे देवता भी नहीं हरा सके। एक बार जालंधर ने देवताओं को युद्ध के लिए ललकारा और दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ। भगवान विष्णु के वरदान के कारण उसे कोई हरा नहीं पा रहा था इसलिए देवता मदद के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंचे।

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भगवान विष्णु ने किया वृंदा के साथ छल

युद्ध के लिए निकलते समय जालंधर ने अपनी जीत के लिए वृंदा को पूजा करने के लिए कहा। वृंदा अपने पति की जीत के लिए प्रार्थना कर रही थी कि तभी भगवान विष्णु जालंधर के रूप लेकर वृंदा के सामने चले गए। वृंदा ने अपनी प्रार्थना बंद कर दी और जालंधर/विष्णु के पैर छूने चली गई। इससे असली जालंधर की शक्तियां छीन ली गईं और फिर भगवान शिव ने उसका वध कर दिया।

वृंदा ने दिया भगवान विष्णु को श्राप

जब वृंदा ने इसके बारे में सुना तो उसने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि वह शालिग्राम बन जाएंगे और अपनी पत्नी लक्ष्मी से अलग हो जाएंगे। इसके बाद भगवान विष्णु शालिग्राम में बदल गए और सीता से उनके राम अवतार में अलग हो गए।

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इसलिए किया जाता है तुलसी विवाह

उसके बाद वृंदा समुद्र में समा गई। देवताओं ने उसे तुलसी के पौधे में बदल दिया। भगवान विष्णु ने उससे वादा किया था कि वह अगले जन्म में उससे शादी करेंगे इसलिए उन्होंने शालिग्राम रूप में तुलसी से विवाह किया। तभी से इस दिन को तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है।

कैसे किया जाता है तुलसी विवाह?

जिस घर में आमतौर पर तुलसी का पौधा लगाया जाता है, उस घर के आंगन के चारों ओर एक मंडप बनाया जाता है। भगवान विष्णु / शालिग्राम के साथ तुलसी विवाह पारंपरिक हिंदू विवाह जैसा दिखता है। तुलसी विवाह के दिन शाम तक यानि समारोह शुरू होने तक महिलाएं उपवास रखती है।

ऐसा माना जाता है कि वृंदा की आत्मा रात में पौधे में निवास करती है और सुबह निकल जाती है। दुल्हन तुलसी को साड़ी और दूल्हे शालिग्राम को धोती पहनाई जाती है। समारोह में जोड़े का सूती धागे से गठबंधन किया जाता है। इस दिन लोग पटाखे फोड़ते हैं और मिठाइयां भी बांटते हैं।

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Content Writer

Bhawna sharma

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