लोग मारते थे पत्थर फिर भी नहीं रोक पाए PT USHA की दौड़
punjabkesari.in Tuesday, Mar 10, 2020 - 01:38 PM (IST)

खेल जगत में पीटी उषा का नाम हमेशा लिया जाता है। पीटी उषा एक मशहूर एथलीट है, खेल के मैदान में उतरे उन्हें चाहे समय हो गया हो लेकिन आज वह केरल में एक एथलीट स्कूल चला रही हैं जहां वह बाकी लड़कियों को इस फील्ड में आगे लाने के लिए काम कर रही है। उषा का स्कूल बिना किसी पैसे के फ्री में कोचिंग देता है। आज इस पैकेज में हम आप को उषा की जिंदगी के सफर के बारे में बताएंगे...
ट्रैक एंड फील्ड की कवीन कही जाने वाली पीटी उषा का जन्म 1964 को हुआ। उषा के घर की आर्थिक हालत इतनी ठीक नही थी,जिससे एक तरह से उनका बचपन इतना अच्छा नही बीता। उषा को शुरू से ही एथलीट और स्पोर्टस में बेहद दिलचस्पी थी। उस दौर में लड़कियों का स्पोर्टस में आने का मतलब था अपने और अपने परिवार पर लांछन लगाना, उषा ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि लोग उनके घर के बाहर पत्थर फैंका करते थे।
उषा का ये सफर तब शुरू हुआ जब वह चौथी क्लास में थी और उन्हें सांतवी क्लास के बच्चे के साथ रेस लगाने को कहा गया वह बच्चा रेस में चैंपियन था । जिससे उषा पहले तो थोड़ा घबराई लेकिन जब उसने दौड़ना शुरू किया तो सब के सब हैरान रह गए। उषा के कदम यूं चले कि जीत हासिल करके ही वापिस लौटे। स्कूल सेरेमनी में जब ओ॰ ऍम॰ नम्बियार ने उषा को दौड़ते हुए देखा तो उन्होंने उषा को कोचिंग देने की सोची। नम्बियार ने उषा पर कड़ी महनत की और उन्हें इस खेल के लिए तैयार किया। धीरे-धीरे उन्होंने एथलीट मीट में हिस्सा लेना शुरू किया जिसमें उन्हें हर मैच में जीत हासिल हुई। अपनी अंतराष्ट्रीय खेल की जर्नी उषा ने 1980 में शुरू की, लेकिन वहां उन्हें हार मिली मगर इस असफलता से वह घबराइ नही और लगातार खुद पर काम करती गई ।
1982 में नई दिल्ली में हुए एशियन गेम्स ने उन्हें और भी मशहूर कर दिया जहां उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर में सिलवर मेडल जीता। 1985 में पीटी उषा ने जकारता एशियन में पांच गोल्ड मैडल जीते, तो उन्हे ट्रेक एंड फील्ड की कवीन कहा जाने लगा। उनकी उपलब्धियां यही खत्म नही हुइ , बल्कि उषा ने 100 मीटर, 200 मीटर, 400 मीटर , 400 मीटर हर्डल ,400 मीटर Relay रेस, में पहला स्थान हासिल किया।
अपने स्पोर्टस करियर में उषा 100 से भी ज्यादा नेशनल और इंटरनेशनल मेडल जीत चुकी है। एशियन चैम्पीयनशिप में उन्होंने 101 गोल्ड मेडल और 13 इंटरनेशल मेडल जीते है। बहतरीन प्रदर्शन के लिए उषा को अर्जुन अवॉर्ड और साल 1984 में पदम श्री से भी नवाजा गया । 1985 में उन्हें जकारता एशियन मीट में बेस्ट वुमेन एथलीट का दर्जा दिया गया। पीटी उषा को SORTS PERSON OF THE CENTURY का खिताब भी मिल चुका है।आज पीटी उषा एथलीट बनने की चाह रखती हर उन लड़कियों को कोचिंग दे रही है। इनकी कहानी हर उस एक लड़की के लिए मिसाल है जो समाज की बातों के कारण अपने सपनों को त्याग देती है। आपको हमारा ये पैकेज कैसा लगा हमें कमेंट बॉक्स में बताना न भूले।