बिहार की "किसान चाची", खेतीबड़ी से कमाया नाम अब दूसरी महिलाओं को दिखा रही राह
punjabkesari.in Monday, Jul 06, 2020 - 05:33 PM (IST)

आज शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जहां महिलाओं ने अपने कदम ना जमाए हो। अपनी मेहनत और लगन से महिलाएं पुरुषों से भी आगे निकल रही है। बात डॉक्टर, इंजीनियर बनने की हो या खेती-बाड़ी करने की महिलाएं, हर क्षेत्र में पुरुषों से आगे निकल रही हैं। ऐसी ही कहानी है बिहार की रहने वाली "किसान चाची" की, जो कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है। चलिए आपको बताते हैं एक आम महिला से "किसान चाची" बनने का राजकुमारी देवी का सफर...
ससुराल वालों ने किया घर से बाहर
राजकुमारी देवी का जन्म एक मुजफ्फरपुर के सरैया गांव में टीचर के घर हुआ था। उनके पिता ने उन्हें मैट्रिक तक पढ़ाया। वह टीचर बनना चाहती थी लेकिन उनकी शादी आनंदपुर गांव के अवधेश कुमार चौधरी से कर दी गई जो किसान परिवार से थे। मगर, कुछ बाद ही ससुराल वालों ने उन्हें पति के साथ हिस्सा देकर अलग कर दी।
पति की बेराजगारी से तंग आकर शुरू की खेतीबाड़ी
पति की बेराजगारी और आर्थिक तंगी के चलते उन्होंने खुद खेती बाड़ी करने का निर्णय लिया। राजकुमारी देवी ने अपने हिस्से में आई 2.5 एकड़ जमीन पर खेती शुरू की। इसके लिए उन्होंने डॉ. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय (पूसा) से उन्नत खेती की नई तकनीकें भी सीखीं।
ओल और पपीते की शुरू की खेती लेकिन...
शुरूआत में उन्होंने ओल व पपीते की खेती शुरू की लेकिन खास आमदान ना होने के कारण उन्हें एक आइडिया आया। वह ओल व पपीते को सीधे बेचने की बजाए आटा व आचार बनाने लगी। धीरे-धीरे उनकी कमाई में इजाफा होने लगा। उन्हें देखखर आस-पास की महिलाएं भी उनके पास आने लगी और राजकुमारी देवी ने सभी को इसकी जानकारी देना शुरू किया।
मीलों साइकिल चलाकर लोगों को करती हैं जागरूक
यही नहीं, राजकुमारी देवी साइकिल पर सवार होकर आस-पास के गांवों में नई तकनीकों की जानकारी देती है। वह करीब 30 से 40 कि.लो. साइकिल चलाकर मुफ्त में लोगों से अपना अनुभव शेयर करती हैं, ताकि वो जागरूक हो। साथ ही वह महिलाओं को आचार बनाना भी सिखाती हैं।
उनका कहना है, "मैं अक्सर महिलाएं को पुरुषों द्वारा बताए गए कामों व खेत में मजदूरी करते हुए देखती थी। लेकिन अगर महिलाएं मेहनत कर ही रही हैं तो क्यों ना उसे बेहतर बनाया जाए। पहले मैंने खुद कृषि ज्ञान लिया और फिर दूसरी महिलाओं को सिखाया। मैं चाहती हूं कि हर घर में महिलाओं द्वारा बनाया गया अचार, मुरब्बा मौजूद हो।"
पद्मश्री से हुई सम्मानित
उनकी शानदार बिजनेस तकनीक के लिए उन्हें 2006-2007 में 'किसान श्री' पुरुस्कार से सम्मानित किय जा चुका है। यहीं नहीं वह पद्मश्री पुरुस्कार से भी सम्मानित हो चुकी हैं। उन्हें "सरैया कृषि विज्ञान केंद्र" की सलाहकार भी चुना गया है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने कृषि विभाग द्वारा उनका कहानी पर वृत्तचित्र भी बनवाया है।
किसानी क्षेत्र में हमेशा से ही पुरुषों का वर्चस्व रहा है लेकिन 'किसान चाची' ने खेती-बाड़ी में पुरुषों को भी पछाड़ दिया है। वह ना सिर्फ हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई है बल्कि वह हर किसी को महिला सशक्तिकरण का पाठ भी सिखा रही हैं।
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