Mahalaxmi Vrat 2020: कैसे शुरू हुआ महालक्ष्मी व्रत, जानिए पूरी कथा
punjabkesari.in Wednesday, Sep 09, 2020 - 04:44 PM (IST)

हिंदू धर्म में गजलक्ष्मी यानि मां लक्ष्मी व्रत का काफी महत्व है। यह व्रत भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर 16 दिन तक चलते हैं और पितृ पक्ष में खत्म होते हैं। कल यानि 10 सिंतंबर को महालक्ष्मी व्रत का आखिरी दिन है। लोग मां लक्ष्मी का आशीर्वाद और उनकी कृपा पाने के लिए यह व्रत रखते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस व्रत की शुरूआत कैसे हुए। चलिए आपको बताते हैं गज लक्ष्मी व्रत कथा से जुड़ी कथा...
गज लक्ष्मी व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था, जो रोजाना भगवान विष्णु की अराधना किया करता था। एक दिन उसकी भक्ती से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिए और वर मांगने को कहा। तब ब्राह्मण ने भगवान विष्णु से अपने मन की इच्छा जाहिर करते हुए अपने घर में लक्ष्मीजी का निवास करने को कहा। इसपर भगवान विष्णु ने उसे मां लक्ष्मीजी की प्राप्ति का रास्ता बताया।
भगवान विष्णु ने कहा कि मंदिर में एक स्त्री आकर उपले थापती है, उसे तुम अपने घर बुलाएं। वह देवी लक्ष्मी का स्वरुप है। जैसे ही तुम्हारे घर में उस देवी के चरण पड़ेगे तुम्हारा घर धन-धान्य से भर जाएगा।इतना कहकर भगवान विष्णु चले गए। अगले दिन ब्राह्मण मंदिर के सामने बैठकर उस स्त्री की प्रतिक्षा करने लगा। जैसे ही देवी लक्ष्मी उपले थापने आई ब्राह्मण ने उन्हें अपने घर आमंत्रित किया। ब्राह्मण की बात सुनकर लक्ष्मीजी समझ गईं कि यह सब विष्णुजी के कहने पर हो रहा है।
तब मां लक्ष्मी ब्राह्मण के घर जाने को तो तैयार हो गई लेकिन उन्होंने ब्राह्मण से महालक्ष्मी व्रत करने को कहा। उन्होंने कहा कि 16 दिन व्रत करने के बाद 16वें दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही तुम्हारी मनोकामना पूरी होगी। तब ब्राह्मण ने देवी के कहे अनुसार विधि-विधान से व्रत व पूजन किया और फिर उसने उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके मां लक्ष्मी को पुकारा। इसके बाद मां ने ब्राह्मण की इच्छा पूर्ण की। मान्यता है कि इस व्रत शुरूआत उसी दिन से हुई।
इसी तरह जो भी विधि-विधान से महालक्ष्मी के व्रत रखता है मां उसका घर खुशियों से भर देती है।