इशारों में बात करती थी तो मजाक उड़ाते थे लोग, अब बनी 'मिस डेफ एशिया'
punjabkesari.in Sunday, Jul 22, 2018 - 01:18 PM (IST)

हर व्यक्ति की भाषा और और बोली उसके व्यक्तित्व के पहचान होती है। मगर आज हम आपको जिस लड़की के बारे में बताने जा रहे हैं उसने बिना बोले ही सबका दिल जीत लिया है और 'मिस डेफ एशिया' का खिताब जीता। इंदौर की देशना जैन के हौसलों ने न सिर्फ भारत बल्कि एशिया का नाम भी रोशन किया है। यह पहला मौका है जब मिस एशिया डेफ में किसी भारतीय ने पहला स्थान हासिल किया है। देशना ने हर उस यंगस्टर के लिए मिसाल कायम की है जो अपनी किसी कमी के कारण खुद को कमजोर समझने लगते हैं। आज पूरा देश देशना के हौंसलें को सलाम कर रहा है।
इंदौर में रहने वाली 20 साल की देशना बोल नहीं सकती लेकिन उसके कामों की गूंज आज पूरी दुनिया में है। देशना ने ताइवान में 25 प्रतिभागियों को हराकर मिस डेफ एशिया का खिताब अपने नाम कर लिया है। इतना ही नहीं, ताइवान में ही हुई एक और प्रतियोगिता 'मिस्टर एंड मिस डेफ इंटरनेशनल' में देशना जैन चौथे स्थान पर रहीं।
देशना इंदौर की बायलिंग्वल एकेडमी में बी.ए की पढ़ाई कर रही है। खिताब जीतने के बाद जब वह इंदौर लौटकर अपनी एकेडमी पहुंची तो वहां मूक-बधिर बच्चों ने साइन लैंग्वेज में तालियां बजाकर उसका वेलकम किया।
देशना ने इंटरप्रेटर की मदद से बताया, 'मैं टीकमगढ़ से हूं। जब मेरा परिवार शादियों या सार्वजनिक कार्यक्रमों में जाता था तब कई बार मेरे साथ सही व्यवहार नहीं किया जाता था। लोग मुझ पर हंसते थे। मैं साइन लैंग्वेज में बात करती थी तो लोग मुझे पागल समझते थे और मेरा मजाक बनाते थे।'
उन्होंने बताया कि पिता का यह बर्ताव उनसे बर्दाश्त नहीं होता था। वह हमें लेकर लौट आते। इसपर मेरे माता-पिता ने सामाजिक कार्यक्रमों और रिश्तेदारों से दूरी बना ली। वह मुझे अपमानित होते या मजाक बनते नहीं देख पाते थे। आज मेरे सक्सेस पर सभी बहुत खुश हैं। मैं अपने जैसों को समान अवसर दिलाने का काम करूंगी। देशना से पूछा गया कि खिताब जीतकर कैसा लगा तो उन्होंने इशारों में ही अपनी खुशी का इजहार किया।