Chhath Puja: क्यों की जाती है सूर्यदेव और नर्मदा मैया की पूजा? जानिए शुभ मुहूर्त
punjabkesari.in Wednesday, Nov 18, 2020 - 01:21 PM (IST)
दिवाली के 6 दिन बाद भारत में छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है जोकि नवरात्रि और दुर्गा पूजा की ही तरह महत्वपूर्ण है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और सूर्यदेव की उपासना करती हैं। मान्यता के अनुसार, सूर्यदेव की अराधना करने से छठ माई प्रसन्न होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। इस साल यह पर्व 18 नवंबर से 21 नवंबर तक मनाया जाएगा। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश और नेपाल का मधेश क्षेत्र में इस त्यौहार को काफी महत्व दिया जाता है।
छठ पूजा का शुभ मुहूर्त
नहाय खाय 18 नवंबर, खरना 19 नवंबर, संध्या अर्घ्य 20 नवंबर और उषा अर्घ्य 21 नवंबर के दिन इस पर्व का समापन होगा। 4 दिनों लोग कड़े नियमों के साथ इस व्रत का पालन करेंगे।
छठ पूजा के दिन सूर्योदय - 06:48
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त - 17:26
षष्ठी तिथि आरंभ - 21:58 (19 नवंबर 2020)
षष्ठी तिथि समाप्त - 21:29 (20 नवंबर 2020)
कब मनाया जाता है छठ पूजा का पर्व
यह पर्व साल में दो बार चैत्र शुक्ल षष्ठी व कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन मनाया जाता है। हालांकि कार्तिक शुक्ल षष्ठी की छठ पूजा को मुख्य माना जाता है। 4 दिनों तक चलने वाले इस पर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा के नामों से भी जाना जाता है।
क्यों की जाती है सूर्यदेव की पूजा?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठ माई सूर्य देव की बहन है इसलिए उनकी आराधना से मां प्रसन्न होती है। सभी नियमों से छठ व्रत करने के से सेहत अच्छी रहती है और घर अन्न-धन से भरा रहता है। वहीं, महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए भी छठ माई का व्रत करती हैं।
कौन हैं देवी षष्ठी और कैसे हुई उत्पत्ति?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठ माई को सूर्य देव की बहन कहा गया है लेकिन व्रत कथा के मुताबिक छठ देवी को ईश्वर की पुत्री देवसेना कहा गया है। कथा के अनुसार, देवी की उत्पत्ती प्रकृति के छठवें अंश से हुई इसलिए उन्हें षष्ठी भी कहा जाता है। वहीं, ग्रंथों के मुताबिक, रामायण काल में भगवान श्री राम ने अयोध्या आने के बाद माता सीता के साथ मिलकर सूर्य भगवान की उपासना की थी। इसके अलावा कुंती द्वारा सूर्योपासना को भी इस पूजा से जोड़कर देखा जाता है।