पैसा था शौहरत थी फिर भी इतने दर्द में कटा परवीन का आखिरी समय, किसी ने नहीं पूछी बात
punjabkesari.in Tuesday, Sep 01, 2020 - 01:45 PM (IST)

परवीन बॉबी, 80 के दशक की वो हिरोइन जिसने अपने ग्लैमर्स लुक से इंडस्ट्री में तहलका मचा दिया था। परवीन बॉबी जो टाइम मैगजीन पर फीचर होने वाली पहली बॉलीवुड एक्ट्रेस थी लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि इस खूबसूरत अदाकारा का अंत इतना दर्दनाक होगा। अपने आखिरी दिनों में वह इतने दर्द में थी लेकिन उनके पास कोई भी नहीं था, यहां तक कि 2 दिन तक किसी को खबर ही नहीं हुई थी कि वह अब नहीं रही। उम्रभर वह सच्चे प्यार के लिए तरसती रहीं। एक नहीं 3 3 अफेयर भी रहे जिसमें 1 नाम महेश भट्ट का भी शामिल था लेकिन उनके आखिरी वक्त में उनके साथ कोई नहीं था। इस चकाचौंध इंडस्ट्री में उनका हाल पूछने वाला कोई नहीं था। आज हम आपको इस पैकेज में बताएंगे कि आखिर परवीन बॉबी ने अपने आखिर दिन कैसे गुजारे।
मानसिक संतुलन बिगड़ने से हुई मौत
'दीवार', 'नमक हलाल', 'अमर अकबर एंथनी', 'शान', 'क्रांति', 'महान' जैसी 70 फिल्मों में नजर आने वाली बॉबी की मौत 20 जनवरी 2005 को हुई थी। खबरों की मानें तो 2002 में मां के निधन के बाद ही परवीन का मानसिक संतुलन बिगड़ गया था
आखिरी पलों में भी अकेली थी परवीन बाबी
कहा जाता है कि एक व्हील चेयर, दो जोड़ी कपड़े, कुछ दवाइयां, चंद पेंटिंग्स और कैनवास ही परवीन के अंतिम दिनों के साथी थे। वो अकेले रहने लगीं और एक चर्च से जुड़ी रहीं। वह इसी धर्म की अनुयाई थीं और कभी-कभार वह चर्च से संपर्क कर लिया करती थीं। उनके अंतिम पलों की तस्वीरें भी सोशलमीडिया पर वायरल हुई थी जिसे देखकर हर कोई अंदाजा लगा सकता है कि वह दुख-दर्द में थी।
अचानक हो गई थी बॉलीवुड से दूर
लेकिन फिल्मों से दूरी वह पहले ही बना चुकी थी।1983 में परवीन को ना जाने क्या हुआ कि वह चकाचौंध वाली मायानगरी से अचानक गायब हो गई। उस वक्त कई ऐसी अफवाहें उड़ीं कि हो सकता है परवीन भी अंडरवर्ल्ड के चक्कर में फंस गई हों। वह सालों तक गायब रहीं और उनकी कई फिल्में उनकी अनुपस्थिति में ही रिलीज की गईं। बाद में पता चला कि परवीन आध्यात्म की तलाश में दोस्तों के साथ अमेरिका चली गई थी। 1984 में जब परवीन को न्यू यॉर्क के एक एयरपोर्ट पर रोका गया तो उस वक्त उनका बर्ताव बदला-बदला सा महसूस हुआ। कुछ पहचान पत्र न दिखा पाने की वजह से उन्हें मानसिक रूप से बीमार लोगों के साथ एक अस्पताल में रखा गया था।
सिजोफ्रेनिया बीमारी से थी ग्रस्त
1989 में जब वह वापिस मुंबई आईं तो पूरी तरह बदल चुकी थी। बढ़ा हुआ वजन उनकी लुक को पूरी तरह बदल चुका था। कहा जाता है कि परवीन को सिजोफ्रेनिया था। अब इस मानसिक रोग की शिकार कब और कैसे हुईं, किसी को आज तक मालूम नहीं हुआ। पर ऐसा कहा जाता है कि दौलत और शोहरत के बावजूद परवीन अंदर से काफी अकेली थीं और शायद यही उनके मानसिक रोग की वजह बनी। एक वक्त तो उनकी हालत ऐसी हो गई थी कि वह कोई पत्रकार उनका इंटरव्यू लेने जाता तो वह दूर भागतीं या फिर उनसे अपना खाना और पानी टेस्ट करने के लिए कहतीं। परवीन के मन में यह शक बैठ गया था कि कोई उन्हें जान से मारना चाहता है।
शरीर के कई अंग हो चुके थे खराब
अपने अंतिम दिनों में परवीन डायबिटीज और पैर की बीमारी गैंगरीन से पीड़ित थीं, जिसकी वजह से किडनी सहित उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। अपनी जिंदगी के बेहद दर्दनाक पल उन्होंने अकेले काटे। बेड के पास ही उनकी एक व्हीलचेयर थी। कपड़े, दवाइयां, पेटिंग यानी कमरे का हर सामान तितर-बितर पड़ा था। हो सकता है कि वह अपने आखिरी दिनों में चलने-फिरने में असमर्थ रही हों और व्हीलचेयर की जरूरत पड़ी हो। पोस्टमॉर्टम हुआ तो पता चला कि परवीन ने तीन दिन से कुछ नहीं खाया था। बस शराब पी और दवाइयां खाईं।
शोहरत रुतबा होने के बावजूद भी परवीन बहुत अकेली थी और इसी अकेलेपन ने उन्हें खत्म कर दिया।