अस्पताल में इंसानियत शर्मसार: बैगा परिवार की लाश लौटाने के बदले मांगे पैसे

punjabkesari.in Tuesday, May 06, 2025 - 02:58 PM (IST)

नारी डेस्क: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से एक बेहद शर्मनाक और दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने इंसानियत को कटघरे में खड़ा कर दिया है। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा समुदाय के एक परिवार को अपने ही बेटे की लाश पाने के लिए अस्पताल में रिश्वत देनी पड़ी। आरोप है कि रायपुर के डीकेएस अस्पताल ने मृत शरीर सौंपने के बदले पैसों की मांग की, जो प्रशासनिक संवेदनशीलता और व्यवस्था की सड़ांध को उजागर करता है। यह घटना न केवल आदिवासी समाज के साथ अन्याय का प्रतीक बन गई है, बल्कि पूरे सिस्टम पर एक बड़ा सवाल भी खड़ा करती है।

क्या है पूरा मामला?

कवर्धा जिले में रहने वाले बैगा समुदाय के एक युवक अमर की गुरुवार को आकाशीय बिजली गिरने से हालत गंभीर हो गई थी। इलाज के लिए उसे रायपुर के डीकेएस अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां शनिवार को उसकी मौत हो गई। परिजनों ने बताया कि जब उन्होंने शव लेने की कोशिश की तो अस्पताल के कर्मचारियों ने 3000 रुपये की मांग की। मजबूरी में परिजनों ने 1900 रुपये जमा भी कर दिए, लेकिन इसके बाद भी सोमवार तक शव नहीं सौंपा गया।

बैगा समुदाय का विशेष दर्जा

बैगा समुदाय को देश के राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा जाता है। यह एक अत्यंत पिछड़ा जनजातीय समूह है, जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकारें विशेष योजनाएं भी चलाती हैं। लेकिन बावजूद इसके, एक ऐसे समुदाय के साथ अस्पताल में इस तरह का व्यवहार होना गंभीर चिंता का विषय है।

PunjabKesari

अस्पताल प्रशासन का क्या कहना है?

डीकेएस अस्पताल प्रबंधन ने सफाई दी है कि उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली है और इस तरह की रिश्वत की मांग की जानकारी उनके पास नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर मरीज के पास आयुष्मान कार्ड है तो एक रुपये भी नहीं लिया जाता। प्रबंधन ने यह भी कहा कि अगर परिवार आरोप लगा रहा है तो जांच की जाएगी।

ये भी पढ़ें: शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी को कश्मीरी लड़के के साथ तस्वीर पर किया गया ट्रोल...

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह मामला डिप्टी सीएम विजय शर्मा के निर्वाचन क्षेत्र से जुड़ा है और यह दिखाता है कि छत्तीसगढ़ में सुशासन की बजाय भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है।

उन्होंने सवाल उठाया कि जब गरीब आदिवासी परिवार को अपने परिजन की लाश के लिए भी पैसे देने पड़ते हैं, तो फिर सरकार किस सुशासन की बात करती है? उन्होंने इस घटना को शर्मनाक बताया और कहा कि डेड बॉडी पर सौदा करना सिर्फ इस सरकार में ही हो सकता है।

यह मामला न सिर्फ प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि जिन समुदायों को विशेष संरक्षण मिलना चाहिए, उनके साथ भी अन्याय और शोषण हो रहा है। जरूरत है कि इस मामले की गंभीरता से जांच हो, दोषियों पर कार्रवाई हो और पीड़ित परिवार को न्याय मिले।
  

  

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Priya Yadav

Related News

static