सिजेरियन डिलीवरी करवाने से पहले जानें इसके जोखिम और साइड इफैक्ट्स

punjabkesari.in Wednesday, Apr 11, 2018 - 05:03 PM (IST)

सी-सेक्शन डिलीवरी (Cesarean Delivery ) : गर्भावस्था में महिलओं को यहीं टैंशन होती है कि उसका बच्चा नार्मल डिलीवरी से होगा की सिजेरियन डिलीवरी से। कई बार स्वस्थ दिखाई देने वाली औरतों के भी सी-सेक्शन से ही बच्चा होता है। आज हम आपको सी-सेक्शन करवाने के जोखिम और साइड इफैक्ट्स के बारे में बताएंगे। 

 

सिजेरियन (सी-सेक्शन) डिलीवरी क्या है

सी-सेक्शन या सीजेरियन डिलीवरी में पेट को एक कट लगा कर बच्चों को बाहर निकाला जाता है। पेट में कट लगाने से पहले एनेस्थीसिया (बेहोशी का इंजेक्शन) दिया जाता है। इससे महिला बेहोश हो जाती है उसको कुछ पता नहीं चलता।  

 

सिजेरियन डिलीवरी के जोखिम और साइड इफैक्ट्स

 सिजेरियन डिलीवरी करवाने से भविष्य में होने वाली प्रेगनेंसी पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इसका मतलब यह नहीं है की आप दोबारा प्रेग्नेंट नहीं हो सकती।

 

 सिजेरियन डिलीवरी में बच्चे को जन्म देने के 12 घंटें बाद महिला के पेट में दर्द महसूस होता है। ये दर्द इतना खतरनाक होता है कि कई बार बाथरूम तक जाना मुश्किल हो जाता है|

 

 सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिला का शरीर बहुत ज्यादा कमजोर हो जाता है। कमजोरी महसूस होने का कारण शरीर से ज्यादामात्रा में निकलने वाला खून होती है। सी-सेक्शन में नार्मल डिलीवरी के मुकाबले तीन गुना ज्यादा खून बहता है।

 

 डिलीवरी के बाद महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। बच्चा और मां दोनों को मोटापे की समस्या होने लगती है। इससे कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।

 

 इस तरह से जन्म लेनी वाले बच्चों में ब्रोंकाइटिस और एलर्जी का खतरा सबसे अधिक होता है। इसका प्रमुख कारण उनका प्रतिरक्षी तंत्र कमजोर होना है।

 

 सिजेरियन डिलीवरी में एनेस्थिसिया दिया जाता है। इसका असर बच्चे पर भी होता है। जन्म के बाद बच्चा नींद में होगा। बच्चे पर एनेस्थीसिया का असर डिलीवरी के 6-12 घंटों तक रहता है|

 

इसके बाद महिला को ठीक होने में काफी समय लगता है। महिला और बच्चे को काफी समय के अस्पताल में रहना पड़ता है। 


 


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Content Writer

Sunita Rajput

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