17 साल की मेहनत: जानिए कौन हैं प्रो. माधवी लता, जिन्होंने बनाया दुनिया का सबसे ऊंचा चिनाब रेलवे ब्रिज
punjabkesari.in Sunday, Jun 08, 2025 - 11:27 AM (IST)

नारी डेस्क: जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में बना चिनाब रेलवे ब्रिज अब दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बन चुका है। इसकी ऊंचाई 359 मीटर है, जो एफिल टावर से भी 35 मीटर अधिक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस भव्य पुल का हाल ही में उद्घाटन किया। यह पुल तकनीकी रूप से एक बड़ा चमत्कार है और कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला महत्वपूर्ण कड़ी भी है।
प्रोफेसर माधवी लता का अहम योगदान
इस पुल के निर्माण में कई इंजीनियरों और विशेषज्ञों ने काम किया, लेकिन इसमें सबसे खास भूमिका निभाई है प्रोफेसर जी. माधवी लता ने। वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc), बेंगलुरु की वरिष्ठ प्रोफेसर हैं। उन्होंने 17 वर्षों तक इस प्रोजेक्ट से जुड़कर भू-तकनीकी सलाहकार के तौर पर पुल के डिजाइन और मजबूती में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी सलाह ने पुल की नींव को मजबूत बनाने में मदद की।
प्रो. माधवी लता कौन हैं?
प्रो. माधवी लता ने सिविल इंजीनियरिंग में 1992 में जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से बीटेक किया। इसके बाद NIT वारंगल से एमटेक में गोल्ड मेडल हासिल किया और IIT मद्रास से 2000 में PhD पूरी की। वे 2021 में बेस्ट वुमन जियोटेक्निकल रिसर्चर और 2022 में टॉप 75 वीमेन इन STEAM अवार्ड से सम्मानित हो चुकी हैं।
भारत में बना दुनिया का सबसे ऊंचा Railway ब्रिज जिसके आगे पेरिस का #eiffeltower भी छोटा, जानिए #ChenabRailBridge से जुड़े Interesting Facts। #PMModi #PMNarendraModi #railwaybridge #ChenabBridge pic.twitter.com/RMf1zBdjFL
— Nari (@NariKesari) June 8, 2025
पुल की मजबूती के लिए खास तकनीक
चिनाब ब्रिज का निर्माण आसान नहीं था क्योंकि इलाके की जमीन, जलवायु और भौगोलिक स्थिति बहुत चुनौतीपूर्ण थी। प्रोफेसर माधवी लता और उनकी टीम ने 'डिजाइन-एज-यू-गो' नामक मॉडल अपनाया। इस तकनीक में रियल टाइम में जमीन की स्थिति के अनुसार डिजाइन में बदलाव किया जाता था। उन्होंने रॉक एंकर की प्लेसमेंट और पुल की स्थिरता से जुड़ी तकनीकी सलाह दी, जिससे पुल मजबूत और टिकाऊ बना।
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शोध और प्रकाशित पेपर
हाल ही में प्रो. माधवी लता ने “इंडियन जियोटेक्निकल जर्नल” के महिला विशेषांक में “डिजाइन एज यू गो: द केस स्टडी ऑफ चिनाब रेलवे ब्रिज” शीर्षक से पेपर प्रकाशित किया है। इसमें उन्होंने बताया कि कैसे पुल के डिजाइन को जमीन और भौगोलिक हालात के अनुसार समय-समय पर बदला गया, ताकि पुल सुरक्षित और स्थिर रहे।
Civil Engineering Professor Gali Madhavi Lata who put her 17 years and successfully completed engineering/designing the Chenab bridge!
— North East West South (@prawasitv) June 8, 2025
Madhavi Latha completed her
Engineering from JNTU Kakinada (AP) Masters from NIT Warangal (Telangana)
PHD from IIT Madras (Tamilnadu)… pic.twitter.com/4OcIf59rlP
चिनाब ब्रिज की खास बातें
पुल की ऊंचाई 359 मीटर है, जो एफिल टावर से 35 मीटर ज्यादा है। इसका निर्माण 1,486 करोड़ रुपये की लागत से हुआ। यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक (USBRL) परियोजना का हिस्सा है। 2003 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली थी।
पुल कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा।
चिनाब ब्रिज सिर्फ एक पुल नहीं, बल्कि भारत की इंजीनियरिंग क्षमता का जिंदा प्रमाण है। इस पुल के पीछे प्रो. माधवी लता की 17 सालों की मेहनत, लगन और विशेषज्ञता है, जिन्होंने इसे एक सफल और सुरक्षित संरचना बनाया। उनका यह काम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।