काम के स्ट्रेस के कारण CA की मौत, कहीं आपको ताे नहीं बर्बाद कर रहा Workplace Burnout ?
punjabkesari.in Friday, Sep 20, 2024 - 11:24 AM (IST)
नारी डेस्क: थकान, नींद न आना और बार-बार बीमार पड़ना वर्कप्लेस पर तनाव के कारण बर्नआउट और थकावट के शुरुआती संकेत हैं। पुणे में एक 26 साल की सीए की काम के दबाव के कारण मौत की दर्दनाक घटना के बाद विशेषज्ञों ने बर्नआउट को लेकर अलर्ट किया है। लड़की की मौत का मामला उनकी मां की ओर से कंपनी को लिखे गए एक पत्र में किए गए खुलासों के बाद सामने आया है।
चिंता, अनिद्रा और तनाव ने ले ली लड़की की जान
केरल की चार्टर्ड अकाउंटेंट एना सेबेस्टियन पेरायिल ने मार्च में Ernst & Young ज्वाइन किया था और जुलाई में उनकी मौत हो गई। उनकी मां का आरोप है कि काम के बोझ, नए माहौल और लंबे समय तक काम करने से उनकी बेटी को फिजिकल, इमोशनल और मेंटल रूप से नुकसान हुआ। कंपनी से जुड़ने के तुरंत बाद वह चिंता, अनिद्रा और तनाव का अनुभव करने लगी और इसका नतीजा यह हुआ कि उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी।
कई लोग नहीं झेल पाते काम का बोझ
यह लड़की अकेली नहीं है, इस साल की शुरुआत में एक वरिष्ठ पत्रकार की कार्यालय के बाहर दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी, कथित तौर पर इस घटना से कुछ घंटे पहले कार्यस्थल पर उन्हें "अपमानित" किया गया था। एक अन्य दुखद मामले में, मैकिंसे एंड कंपनी में काम करने वाले 25 वर्षीय सौरभ कुमार लड्ढा ने काम के दबाव को झेलने में असमर्थ होने के बाद मुंबई में अपनी इमारत की नौवीं मंजिल से कूदकर अपनी जान दे दी। इस सूची में और भी कई नाम शामिल हो सकते हैं।
अपने काम पर concentration नहीं कर पा रहे कर्मचारी
बेंगलुरु के एस्टर व्हाइटफील्ड अस्पताल में प्रमुख सलाहकार और आंतरिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष डॉ. सुचिस्मिता राजमन्या ने आईएएनएस को बताया कि " हर हफ्ते लगभग 6 से 10 मरीज तनाव और थकावट के मरीज आते हैं"। उनका कहना है कि "बर्नआउट और थकावट के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई दे सकते हैं, और शारीरिक रूप से ये लक्षण पुरानी थकान, अनिद्रा के साथ-साथ बार-बार बीमार पड़ने के भी हो सकते हैं।" विशेषज्ञ ने बताया कि तनाव निराशा, झुंझलाहट, भावनात्मक थकावट, दिखावट को बनाए रखने में प्रेरणा में कमी, अनुपस्थिति, काम के प्रदर्शन में कमी और काम के कामों में शामिल होने की अनिच्छा के रूप में भी प्रकट हो सकता है। इंसान अपने काम पर concentration नहीं कर पाता।
56 प्रतिशत कर्मचारी झेल रहे हैं तनाव
डॉक्टर का कहना है कि- "यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि खुद को 'उस बिंदु पर पहुंचने' से रोकें और इसलिए जब कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो मदद की आवश्यकता को पहचानें।" एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि हर चार में से एक कर्मचारी को कार्यस्थल पर तनाव, बर्नआउट, चिंता या अवसाद जैसे मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के बारे में बात करने में कठिनाई होती है। बर्नआउट एक महत्वपूर्ण चिंता के रूप में उभरा है, जिससे 56 प्रतिशत कर्मचारी प्रभावित हैं। अध्ययनों ने कार्यस्थल पर तनाव के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों को भी दिखाया है।
बर्नआउट के लक्षण
- व्यक्ति लगातार थकान महसूस करता है, चाहे पर्याप्त नींद क्यों न ली हो।
- शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होती है, और छोटे-छोटे काम करने पर भी अत्यधिक थकान लगने लगती है।
- सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पेट की समस्या आदि शारीरिक समस्याएँ बढ़ जाती हैं।
- काम करने का मन नहीं करता और काम से निराशा महसूस होती है।
- व्यक्ति काम के प्रति भावनात्मक रूप से अलग महसूस करने लगता है, जैसे वह अपने काम में दिलचस्पी खो रहा हो।
- सहकर्मियों और टीम के साथ बातचीत करने की इच्छा कम हो जाती है।
- व्यक्ति खुद को असहाय और निराश महसूस करने लगता है, जैसे कि उसके प्रयासों का कोई मूल्य नहीं है।
- छोटी-छोटी गलतियाँ बढ़ने लगती हैं, जिससे काम की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
- काम में रुचि और उत्साह की कमी के कारण लक्ष्यों को प्राप्त करने में कठिनाई होती है।
- व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार आने लगते हैं, और वह खुद को असफल महसूस करने लगता है।
- व्यक्ति को नींद आने में कठिनाई होती है, या वह सोने के बावजूद पूरी तरह से तरोताजा महसूस नहीं करता।
बर्नआउट से बचने के उपाय
-काम और निजी जीवन में संतुलन बनाना।
- समय-समय पर ब्रेक लेना और छुट्टियां प्लान करना।
- सहकर्मियों और मैनेजमेंट से मदद मांगना।
- नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, और पौष्टिक आहार।
- अधिक काम का बोझ न लेने और अपने लिए समय निकालने की आदत डालना।