आत्मनिर्भरता की ओर महिलाओं का कदम! कभी बेचती थी शराब आज शुरू किया कपड़े की बुनाई का काम

punjabkesari.in Sunday, Dec 27, 2020 - 06:41 PM (IST)

महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपना नाम बना रही हैं। खुद आत्म निर्भर होकर वह समाज में एक नई मिसाल पेश कर रही हैं। भारत में ही ऐसे कईं राज्य हैं जहां महिलाएं आत्मनिर्भर होकर अपनी जिंदगी खुद गुजार रही है। लेकिन वहीं भारत में बहुत सारी महिलाएं ऐसी भी हैं जो शराब बेचकर अपनी रोजी रोटी खा रही हैं। असम के नालबाड़ी राज्य से 20 किमी दूर छत्र गांव की कुछ महिलाएं जो एक समय पर शराब बनाती थी और इसे बेचकर पैसे कमाती थी लेकिन अब उन्होंने धागा बुनने का काम कर शुरू किया है और इस काम से उन्हें खूब मुनाफा हो रहा है। 

कभी गांव को लिक्वर डेन कहा जाता था 

आपको बता दें कि कभी असम के छत्र गांव को लिक्वर डेन कहा जाता था। यहां की महिलाएं शराब बनाने और इसे बेचने का काम करती थी लेकिन फिर बोडो समुदाय की इन महिलाओं ने धागे की बुनाई का काम शुरू किया और अब वह धागा बुनकर इसे भूटान में बेचती हैं और अच्छी खासी कमाई करती हैं। 

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पद्मा बोरो नामक महिला ने ली सबसे पहले धागा बुनने की ट्रेनिंग 

मीडिया रिपोर्टस की मानें तो इन महिलाओं को ग्राम्य विकास मंच नामक एक एनजीओ ने धागा बुनने और कपड़े सीना की ट्रेनिंग देते हैं। सबसे पहले गांव छत्र से पद्मा बोरो नाम की महिला ने यह ट्रेनिंग ली। 

बहुत सारी महिलाएं बनी आत्मनिर्भर 

 पद्मा बोरो ने खुद ट्रेनिंग लेने के बाद बाकी महिलाओं को भी इसके लिए प्रेरित किया। और अब 30 महिलाएं इस काम को करती हैं। यहां रहने वाली बहुत सारी महिलाएं विधवा हैं और वह खुद काम कर के आत्म निर्भर बनीं हैं। इतना ही नहीं इनमें अविवाहित लड़कियां भी शामिल हैं। 

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पारंपरिक पोशाक की बुनाई करती हैं 

आपको बता दें कि इन महिलाओं के द्वारा मेखला चादर, टॉवेल, बोडो महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली पारंपरिक पोशाक और भूटान में पहने जाने वाले ट्रेडिशनल कपड़ों की बुनाई की जाती है। जिस एनजीओ से यह महिलाएं ट्रेनिंग लेती हैं उन्होंने महिलाओं को लिए शेड बनवाई है जहां वह बैठ कर आराम से काम करती है। 

इस काम से हुआ 80,000 का फायदा

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खबरों की मानें तो इन महिलाओं को पिछले साल इस काम से 80,000 का फायदा हुआ था। सच में यह महिलाएं एक तरफ जहां खुद के जीवन को सवार रहीं हैं वहीं दूसरी ओर यह कईं महिलाओं को भी आत्म निर्भर बना रही हैं। 


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Content Writer

Janvi Bithal

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