महिलाओं की हेल्थ को लेकर फैलाए गए ये Myths, जिसे हम सच मानकर कर रहे हैं फॉलो

punjabkesari.in Saturday, Mar 08, 2025 - 01:02 PM (IST)

नारी डेस्क: आजकल महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर कई ऐसे मिथक फैल चुके हैं जिन्हें हम सच मानकर आज तक फॉलो कर रहे हैं। क्या आप भी इन मिथकों का हिस्सा हैं? जैसे कि मासिक धर्म के दौरान व्यायाम नहीं करना चाहिए, गर्भनिरोधक गोलियां वजन बढ़ाती हैं, या फिर 40 के बाद गर्भधारण में मुश्किलें होती हैं। इन झूठों का असर हमारी सेहत पर गंभीर रूप से पड़ सकता है। अब समय आ गया है कि हम इन मिथकों को पहचानें और सही जानकारी को अपनाएं। आइए जानते हैं महिलाओं से जुड़े कुछ सामान्य मिथकों के बारे में और कैसे हम इन्हें सच मानकर अपनी जिंदगी जी रहे हैं।

मासिक धर्म के दौरान व्यायाम नहीं करना चाहिए

यह मिथक पूरी तरह से गलत है। मासिक धर्म के दौरान व्यायाम करने से ऐंठन, सूजन और पीएमएस के लक्षणों को कम किया जा सकता है। यह हृदय रोग, मधुमेह, और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी कम करता है।

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गर्भनिरोधक गोलियां वजन बढ़ाती हैं

यह भी एक गलत धारणा है। हालांकि कुछ महिलाओं को थोड़ा वजन बढ़ने का अनुभव हो सकता है, लेकिन गर्भनिरोधक गोलियां वजन बढ़ाने का प्रमुख कारण नहीं हैं। बल्कि ये गोलियाँ मासिक धर्म को नियमित करने, मुँहासे को कम करने और पीएमएस के लक्षणों से राहत देने में मदद करती हैं।

गर्भावस्था के दौरान केगेल व्यायाम प्रसव को कठिन बनाते हैं

 केगेल व्यायाम प्रसव को आसान बनाता है। केगेल व्यायाम पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत करता है, जिससे प्रसव आसान होता है और शरीर जल्दी ठीक होता है। यह मूत्र असंयम और गर्भाशय के आगे बढ़ने की समस्या को भी रोकने में मदद करता है।

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मासिक धर्म के दौरान गर्भवती नहीं हो सकतीं महिलाएं

मासिक धर्म के दौरान भी गर्भवती होना संभव है। हालांकि मासिक धर्म के दौरान गर्भवती होने की संभावना कम होती है, फिर भी यदि शुक्राणु महिला के प्रजनन प्रणाली में 5 दिनों तक जीवित रहते हैं, तो गर्भवती होना संभव है।

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40 वर्ष की उम्र के बाद गर्भावस्था में जटिलताएं बढ़ जाती हैं

उम्र केवल एक कारक है, सब कुछ स्वस्थ देखभाल पर निर्भर करता है। 40 वर्ष की उम्र के बाद गर्भावस्था में जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है, जैसे गर्भावधि मधुमेह और उच्च रक्तचाप, लेकिन कई महिलाएँ 40 साल की उम्र के बाद भी स्वस्थ गर्भधारण कर सकती हैं, बशर्ते उन्हें अच्छी प्रसवपूर्व देखभाल मिले।

सोया का सेवन स्तन कैंसर का खतरा बढ़ाता है

सोया से स्तन कैंसर का खतरा कम होता है। सोया में आइसोफ्लेवोन्स होते हैं जो हार्मोन से संबंधित कैंसर से बचाव में मदद कर सकते हैं। प्रतिदिन 1-2 सर्विंग सोया का सेवन स्तन कैंसर के कम जोखिम से जुड़ा हुआ है।

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भारी मासिक धर्म रक्तस्राव का इलाज केवल हिस्टेरेक्टॉमी से संभव है

 यह भी एक गलत धारणा है। भारी मासिक धर्म रक्तस्राव के इलाज के लिए केवल हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय की सर्जरी) जरूरी नहीं है। हार्मोनल थेरेपी, आईयूडी और न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी जैसे विकल्प भी उपलब्ध हैं, जो इस समस्या को कम कर सकते हैं।

महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े इन मिथकों को अब तोड़ने का समय आ चुका है। सही जानकारी और विज्ञान की मदद से महिलाएँ अपनी सेहत का बेहतर ख्याल रख सकती हैं और एक स्वस्थ जीवन जी सकती हैं।
 
Disclaimer: यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य के लिए है, कृपया स्वास्थ्य संबंधित किसी भी निर्णय के लिए विशेषज्ञ से सलाह लें।

 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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