इंसान की जगह ले रही टेक्नोलॉजी! AI की मदद से मरे हुए पति से रोज बातें करती है पत्नी
punjabkesari.in Friday, Oct 24, 2025 - 01:33 PM (IST)
नारी डेस्क: अब टेक्नोलॉजी इंसान की जगह ले रही है। आज हम आपको ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जो यह दिखाती है कि इंसान अपने प्रियजन को खोने के डर में टेक्नोलॉजी की मदद से किस हद तक जा सकता है। यह कहानी एक पत्नी की है, जिसका पति कैंसर से मरने वाला होता है। उसने पति की यादों को जिंदा रखने के लिए एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) क्लोन बनाया है। अब वह उसके साथ बातें करती है, अपना सुख- दुख बांटती है।
आवाज, बोलने का तरीका किया गया रिकॉर्ड
डेनमार्क की कातरीन मार्टिनुसेन की कहानी डॉक्यूमेंट्री 'यू विल नेवर डिसएपियर' में दिखाई गई है। दरअसल कातरीन के पति स्टेफन कैंसर से पीड़ित थे, ये बात जैसे ही कातरीन को पता चली तो उसने एआई क्लोन बनाने का फैसला लिया। पहली कोशिश प्रभावी नहींः एआई क्लोन बनाने के लिए स्टेफन ने खुद को रिकॉर्ड किया। उन्होंने अपनी आवाज, बोलने का तरीका, सोच व यादों को साझा किया। इसके अलावा, उनके और कातरीन के बीच के 66,000 मैसेज और ईमेल भी एआई में फीड किए गए। पर शुरुआती क्लोन में कई खामियां थीं।
क्लोन में बनाए गए मेमोरी बॉक्स
शुरुआती क्लोन फेल हुआ, तब फ्राइया के एंडर्स नीलसन की मदद ली गई। उन्होंने बताया कि सिर्फ डेटा डालने से इंसानी व्यक्तित्व नहीं बनता। उन्होंने मायर्स-ब्रिग्स पर्सनैलिटी टेस्ट की मदद ली। छोटे-छोटे मेमोरी बॉक्स बनाए। इससे एआई क्लोन को पिछले 30 संवादों की जानकारी रहती है। डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है कि जब स्टेफन के बेटे विक्टर ने पहली बार एआई क्लोन से बात की तो उसने जवाब दिया।
क्लोन में नहीं होती इंसानी भावनाएं
डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है कि कातरीन ने एआई स्टेफन से पूछा कि क्या उसने कभी धोखा दिया। एआई ने जवाब दिया कि हां, उसने एक सहकर्मी के साथ ऐसा किया। पर जब कातरीन ने ज्यादा जानकारी मांगी, तो क्लोन बता नहीं सका। धीरे-धीरे उसे एहसास होता है कि डिजिटल क्लोन भावनाओं को महसूस नहीं कर सकता। वह जवाब देता है, पर प्यार, स्पर्श और आत्मीयता जैसी चीज़ें उसमें नहीं हैं। इस कहानी ने समझा दिया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से भले ही हम किसी को "वर्चुअली" जिंदा रख सकें पर इंसानी भावनाएं, यादें और अपनापन मशीनों से कभी पूरी तरह नहीं दोहराया जा सकता।

