क्यों नॉन-स्मोकर्स को हो रहा लंग कैंसर? बीड़ी-सिगरेट के अलावा ये चीजें भी हैं आपकी जान की दुश्मन

punjabkesari.in Wednesday, Sep 25, 2024 - 06:44 PM (IST)

नारी डेस्क:  फेफड़े के कैंसर और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज जैसी फेफड़ों की बीमारियों का कारण लंबे समय से धूम्रपान से जुड़ा हुआ है, लेकिन बुधवार को विशेषज्ञों ने कहा कि धूम्रपान न करने वालों में भी मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। फेफड़े के कैंसर के कुल केस में लगभग 10 से 15 प्रतिशत केस धूम्रपान न करने वाले होते हैं। 

 

धूम्रपान न करने वालों को भी खतरा 

विश्व फेफड़ा दिवस हर साल 25 सितंबर को फेफड़ों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दुनिया भर में फेफड़ों की बेहतर देखभाल को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। धूम्रपान फेफड़ों की बीमारियों जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और फेफड़ों के कैंसर का एक प्रमुख कारण है। धूम्रपान छोड़ने से फेफड़ों के स्वास्थ्य में काफी सुधार हो सकता है और इन बीमारियों के विकसित होने का जोखिम कम हो सकता है। हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा कि धूम्रपान न करने वालों में भी श्वसन संबंधी मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।

 

हैंड स्मोकिंग भी है खतरनाक

बेंगलुरु के एस्टर सीएमआई अस्पताल में इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी के प्रमुख सलाहकार डॉ. सुनील कुमार के. ने आईएएनएस को बताया कि- "इनका मुख्य कारण सेकेंड हैंड स्मोकिंग और वायु प्रदूषण है, जो फेफड़ों की बीमारी के लिए महत्वपूर्ण जोखिम कारक हैं। सूक्ष्म प्रदूषक फेफड़ों में प्रवेश करते हैं और उनके भीतर कोशिका क्षति और सूजन का कारण बनते हैं, जो समय के साथ कैंसरकारी उत्परिवर्तन को प्रेरित कर सकते हैं।" "प्रदूषित हवा के ऐसे लगातार संपर्क से न केवल फेफड़ों के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है, बल्कि धीरे-धीरे शरीर की प्रतिरक्षा रक्षा कमजोर होती जाती है। यहां तक ​​कि जिन लोगों ने कभी धूम्रपान नहीं किया है, उनके लिए भी निष्क्रिय धूम्रपान एक गंभीर खतरा बन सकता है।


इन लोगों काे ज्यादा खतरा

विशेषज्ञ ने कहा कि " आस-पास धूम्रपान करने वाले किसी व्यक्ति या घर के अंदर धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के धुएं में सांस लेना भी उतना ही हानिकारक हो सकता है।" सतहों पर जमा होने वाले थर्ड हैंड स्मोक से भी अवशिष्ट विषाक्त पदार्थ व्यक्तियों, विशेष रूप से बच्चों और पालतू जानवरों को स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम में डालते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नोट किया है कि दुनिया की 99 प्रतिशत आबादी अस्वास्थ्यकर हवा में सांस लेती है। जलवायु परिवर्तन वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है, जो फेफड़ों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। बच्चे, वृद्ध और मौजूदा श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोग विशेष रूप से असुरक्षित हैं। 

 

धूम्रपान न करने वालों में आम है ये समस्या

गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल के क्रिटिकल केयर और पल्मोनोलॉजी प्रमुख डॉ. कुलदीप कुमार ग्रोवर ने आईएएनएस को बताया कि-  धूम्रपान न करने वालों में फेफड़ों की समस्याओं के अन्य जोखिम कारकों में बचपन में होने वाले श्वसन संक्रमण शामिल हैं, जो वयस्कता में भी हो सकते हैं। विशेषज्ञ ने कहा-  "बचपन में बार-बार होने वाले संक्रमण से फेफड़ों में ब्रोन्किइक्टेसिस हो सकता है और सिस्टिक समस्याएं भी फेफड़ों को नष्ट कर सकती हैं।" ग्रोवर ने कहा कि श्वसन संबंधी संक्रमण, सीओपीडी, अस्थमा और टीबी संक्रमण जैसी फेफड़ों की समस्याएं धूम्रपान न करने वालों में सबसे आम हैं, जो मुख्य रूप से कम प्रतिरक्षा स्तर के कारण होती हैं। कुमार के अनुसार, "हमें स्वच्छ हवा, धूम्रपान मुक्त स्थान और उन विभिन्न छिपे खतरों की बेहतर समझ की आवश्यकता है, जिनका हम हर दिन सामना करते हैं।" 


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Content Writer

vasudha

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