Abortion के बाद क्यों आती है प्रेग्नेंसी में परेशानी? एक्सपर्ट्स ने बताए अहम कारण

punjabkesari.in Monday, Apr 14, 2025 - 01:26 PM (IST)

नारी डेस्क: अबॉर्शन यानी गर्भपात एक ऐसा प्रक्रिया है जिसमें महिला का गर्भ जानबूझकर या किसी कारणवश खत्म किया जाता है। कुछ मामलों में यह मेडिकल ज़रूरत होती है तो कुछ बार महिलाएं निजी कारणों से इसका फैसला लेती हैं। लेकिन कई बार अबॉर्शन के बाद जब महिला दोबारा गर्भधारण (प्रेग्नेंसी) करना चाहती है, तो कुछ दिक्कतें सामने आ सकती हैं। आइये जानते है अबॉर्शन के बाद प्रेग्नेंसी में क्या-क्या परेशानियां आ सकती हैं और इसका कारण क्या होता है।

यूटेरस (गर्भाशय) को नुकसान

जब अबॉर्शन किया जाता है, खासकर सर्जिकल अबॉर्शन (ऑपरेशन द्वारा), तो कभी-कभी गर्भाशय की अंदरूनी परत (एंडोमेट्रियम) को नुकसान पहुंच सकता है। ये परत बहुत ज़रूरी होती है भ्रूण के टिकने और बढ़ने के लिए। अगर यह परत ठीक से न बन पाए, तो महिला को गर्भ ठहरने में या गर्भ को संभालने में दिक्कत हो सकती है।

हार्मोनल असंतुलन

अबॉर्शन के बाद शरीर में हार्मोन (जैसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) का बैलेंस बिगड़ सकता है। इससे पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं और ओव्यूलेशन (अंडाणु बनना) में गड़बड़ी हो सकती है। जब ओव्यूलेशन सही से नहीं होता, तो प्रेग्नेंसी भी मुश्किल हो सकती है।

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इन्फेक्शन

अगर अबॉर्शन के दौरान साफ-सफाई का ध्यान न रखा जाए, या अबॉर्शन अधूरा रह जाए, तो महिला को गर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब में इन्फेक्शन हो सकता है। ये इन्फेक्शन आगे चलकर बांझपन (infertility) का कारण बन सकता है।

चिपकने की बीमारी (Asherman’s Syndrome)

कुछ महिलाओं को अबॉर्शन के बाद "ऐशरमैन सिंड्रोम" हो सकता है। इसमें गर्भाशय के अंदर स्कार टिशू (घाव के निशान) बन जाते हैं जो एक-दूसरे से चिपक जाते हैं। इससे महिला के पीरियड्स रुक सकते हैं या बहुत कम हो जाते हैं और गर्भ ठहरने की संभावना कम हो जाती है।

मानसिक तनाव

अबॉर्शन के बाद महिला को मानसिक रूप से बहुत तनाव हो सकता है, जैसे दुःख, पछतावा, डर या चिंता। ये मानसिक स्थिति भी हार्मोन और प्रजनन क्षमता पर असर डाल सकती है।

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अगली प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लिकेशन

कुछ महिलाओं को अगली प्रेग्नेंसी में मिसकैरेज (गर्भपात दोबारा), एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (गर्भाशय के बाहर गर्भ ठहरना), या समय से पहले डिलीवरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं, खासकर अगर पहले का अबॉर्शन सुरक्षित तरीके से नहीं हुआ हो।

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क्या हर महिला को होती है परेशानी?

नहीं, ज़रूरी नहीं कि हर महिला को अबॉर्शन के बाद प्रेग्नेंसी में दिक्कत हो। अगर अबॉर्शन मेडिकल तरीके से, सुरक्षित और अनुभवी डॉक्टर की निगरानी में किया गया है, तो आमतौर पर महिला फिर से आसानी से गर्भधारण कर सकती है।

सावधानियां जो ज़रूरी हैं: अबॉर्शन के बाद डॉक्टर की सलाह जरूर लें। साफ-सफाई और संक्रमण से बचाव करें। अगली प्रेग्नेंसी से पहले शरीर को पूरी तरह से रिकवर करने का समय दें (कम से कम 3-6 महीने)। मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें। फोलिक एसिड और पोषण की पूर्ति करें। गायनेकोलॉजिस्ट से नियमित चेकअप कराते रहें

अबॉर्शन एक संवेदनशील प्रक्रिया है। यह महिला के शरीर और मन दोनों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए हमेशा प्रशिक्षित डॉक्टर से सलाह लें और खुद की सेहत का पूरा ध्यान रखें।
 


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Content Editor

PRARTHNA SHARMA

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