छोटी उम्र में ही क्यों बन रही हैं गर्भाश्य मेंं रसौलियां?

punjabkesari.in Monday, Jan 18, 2021 - 05:07 PM (IST)

महिलाओं में थायराइड की समस्या के अलावा दूसरी सबसे बड़ी समस्या जो देखने को मिल रही हैं वो है फाइब्रॉयड यानि की रसौली जिसे आम भाषा में हम गांठें भी कह देते हैं लेकिन ज्यादातर महिलाओं को गर्भाश्य व उसके आस-पास में गांठों की समस्या होती है।

 

रसौली (Lump) की शुरुआत एक बेहद ही छोटे से दाने से होती हैं लेकिन यह क्रिकेट बॉल जितनी बड़ी भी हो सकती है। ये गांठे टीबी से लेकर कैंसर जैसी कई बीमारियों को शुरुआती संकेत भी हो सकते हैं इसलिए इसे नजरअंदाज करना आपकी गलती हो सकती हैं।

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रसौली बनने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे-

. एस्ट्रोजन हार्मोन की ज्यादा मात्रा 
.जेनेटिक कारण
.गर्भनिरोधक गोलियों का ज्यादा सेवन
.गर्भावस्था के दौरान
.मोटापा
.जो कभी मां ना बनी हो
.खाना-पीना सही ना होना
.पानी कम पीना
.पीरियड्स सही ना आना 
.मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन का स्राव बढ़ जाने के करण भी रसौली की संभावना बढ़ जाती है।
-चाय, रैड मीट, दूध, मीठा

किन महिलाओं को अधिक खतरा

लगभग 40% महिलाएं रसौली का शिकार होती है, जिसका कारण है गलत खान-पान और बीमारी की जानकारी न होना। यह समस्या ज्यादातर 30 से 50 की उम्र में देखने को मिलती है लेकिन आजकल कम उम्र में भी महिलाओं को यह समस्या हो रही है। मोटापे से ग्रस्त महिलाओं का एस्ट्रोजन हार्मोन स्तर ज्यादा होने के कारण उन्हें इसका खतरा सबसे अधिक होता है।

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मां बनने में होती है दिक्कत

गर्भाशय में होने वाली गांठ के कारण अंडाणु और शुक्राणु का न‍िषेचन नहीं होने के कारण बांझपन की समस्‍या होती है। आनुवंशिकता, मोटापा, शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा का बढ़ना और लंबे समय तक संतान न होना इसके प्रमुख कारकों में से एक हैं।

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 रसौली होने की निशानियां

. पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग
. अनियमित पीरियड्स
. पेट के नीचे के हिस्से में दर्द
. प्राइवेट पार्ट से खून आना
. एनीमिया
. कमजोरी महसूस होना
. प्राइवेट पार्ट से बदबूदार डिस्चार्ज
. पेशाब रुक-रुककर आना

इससे बचे रहने के लिए अपनी डाइट को सही रखें। ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। एक्सरसाइज और य़ोग जरूर करें ताकि फिजिकल एक्टिविटी होती रहे। आप सूर्य नमस्कार करें तो बहुत फायदा मिलेगा।

अगर रसौली की समस्या है तो कैसे होगा इलाज

रसौली का इलाज 3 तरीकों से किया जाता है लेकिन यह महिला की रसौली कितनी बड़ी है इस बात पर निर्भर करता है।

लेप्रोस्कोपी तकनीक

पहले ओपन सर्जरी द्वारा इसका इलाज किया जाता था, जिससे स्वस्थ होने में लगभग 1 महीने से अधिक का समय लगता था। मगर अब लेप्रोस्कोपी की नई तकनीक के जरिए इस बीमारी का इलाज किया जाता है। इस तरीके से अधिक तकलीफ नहीं होती, खून भी ज्यादा नहीं निकलता और सर्जरी के 24 घंटे बाद महिला घर जा सकती है।

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दवाइयों या सर्जरी

रसौली का इलाज दवाइयों या सर्जरी के द्वारा भी किया जाता है लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि रसौली कितनी बड़ी है। साथ ही यह भी देखा जाता है कि महिला की उम्र क्या है और रसौली किस हिस्से में हैं। वहीं सर्जरी करवाने की सलाह तब दी जाती है जब महिला की की उम्र 40-50 साल के बीच में हो, महिला को बच्चा पैदा करने की इच्छा ना हो या रसौली का साइज ज्यादा बड़ी ना हो।

अगर आपकी रसौली का साइज बड़ा नहीं है तो आप इसे आयुर्वेदिक नुस्खों से भी इसे खत्म कर सकती हैं चलिए हम कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे बताते हैं, जिससे आप इस बीमारी का इलाज कर सकते हैं...

आंवला

एंटी-ऑक्सीडेंड गुणों के कारण आंवला रसौली का बेहतरीन इलाज है। इसके लिए 1 टीस्पून आंवला पाऊडर और 1 टीस्पून शहद को मिक्स करके सुबह खाली पेट खाएं। इससे आपको महीनेभर में आपको फर्क दिखाई देगा।

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ग्रीन टी

इसमें मौजूद एपीगेलोकैटेचिन गैलेट नामक तत्व रसौली की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है इसलिए आप भी रोजाना 2 से 3 कप ग्रीन टी पिएं।

हल्दी

हल्दी में मौजूद एंटीबॉयोटिक गुण शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। साथ ही इससे गर्भाश्य कैंसर का खतरा भी कम होता है।

सिंहपर्णी की जड़

2-3 कप पानी में 3 चम्मच सिंहपर्णी की जड़ का पाऊडर डालकर उबाल लें। फिर इसे हल्‍का ठंडा करने के बाद पीएं। इसे कम से कम 3 महीने तक दिन में 3 बार लें।

लहसुन

रसौली की समस्या होने पर खाली पेट रोज 1 लहसुन का सेवन करें। लगातार 2 महीने तक इसका सेवन इस समस्या को जड़ से खत्म कर देता है।

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सेब का सिरका

गर्म पानी के साथ सुबह शाम सेब का सिरका पीने से फाइब्रॉइड की समस्या दूर होती है। इसके अलावा इसका सेवन फाइब्रॉइड से होने वाले पेट दर्द को भी दूर करता है।

प्‍याज

प्‍याज में सेलेनियम और एंटी-इंफ्लमेट्री होता है जो फाइब्रॉयड के साइज को सिकोड़ देता है।

सूरजमुखी बीज

यह फाइब्रॉयड को बनने से रोकते हैं तथा उसके साइज को भी कम करते हैं।

दूध

शोध के अनुसार, डेयरी उत्पाद में पाया जाने वाला कैल्शियम ट्यूमर के प्रसार को कम करने में मदद करता है। ऐसे में अपनी डाइट में दूध और डेयरी उत्पाद जरूर शामिल करें।

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Content Writer

Anjali Rajput

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