चमगादड़ क्यों नहीं हुए कोरोना से बीमार, अगर उसी से आया है वायरस?

punjabkesari.in Monday, Apr 13, 2020 - 09:58 AM (IST)

दुनियाभर में हंड़कंप मचा चुके कोरोना वायरस से लाखों लोग इंफेक्ट हो चुके हैं। ऐसा माना जा रहा है कि यह वायरस चमगादड़ या पैंगोलिन की फैमिली का है। दरअसल, किसी भी वायरस को पनपने के लिए एक होस्ट की जरूरत है, जोकि पैंगोलिन या चमगादड़ को माना जा रहा है। मगर, सवाल यह उठता है कि अगर यह वायरस पैंगोलिन या चमगादड़ से आया है तो वो इस वायरस से बीमार क्यों नहीं होते।

क्यों चमगादड़ में पनपते हैं इतने वायरस?

कुछ जानवरों में ऐसी खासियतें होती हैं, जो वायरस का इंटरमीडिएट होस्ट बनने के लिए जरूरी है, जैसे कि चमगादड़। इनमें कोरोना लंबे समय तक रह सकता है और खुद में बदलाव करते हुए अधिक घातक बन सकता है।

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इसलिए चमगादड़ में पनपते है अधिक वायरस

-वायरस उन लोगों में ज्यादा समय तक रह सकता है, जिसकी आयु लंबी हो। ऐसे में चमगादड़ अधिक से अधिक वायरसों के लिए एक अच्छा होस्ट बनता है। बता दें कि एक चमगादड़ की सामान्य उम्र 16 से 40 साल के बीच होती है।

-वायरस ऐसे जानवरों में पनपते हैं, जो बहुत बड़ी संख्या में एक साथ रहते हों, ताकि वायरस खुद को तेजी से अधिक से अधिक फैला सके। वायरस की ग्रोथ के लिए जरूरी है कि उस जीव में उड़ने की अच्छी क्षमता हो ताकि एक बार में लंबी दूरी तय कर पाएं और वायरस को दूर-दूर तक फैलने में सहायता मिल सके।

वायरस ऐसे चुनता है अपना नया होस्ट

जब वायरस नया होस्ट तलाशने के लिए किसी व्यक्ति या जीव में जंप तो यह बात महत्व रखती है कि उसकी बॉडी सेल के ऊपर रिसेप्टर्स के साथ वायरस की सतह पर लगे प्रोटीन बाइंड अच्छी हो। अगर यहा बाइंडिंग अच्छी हो जाती है तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि वायरस इस जीव को अपना होस्ट बना लेगा।

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कोरोना से क्यों नहीं मरता चमगादड़?

1. जब कोरोना वायरस किसी जीव में संक्रमण फैलाता है तो उसके अंदर तेजी से इंफ्लेमेशन (सूजन) होता है। मगर, चमगादड़ में इंफ्लेमेशन कमजोर होता है। यही वजह है कि चमगादड़ के इंफ्लेमेट्री रिस्पॉन्स में डिफेक्ट होता है।

2. वहीं चमगादड़ों में नैचुरल किलर सेल्स की एक्टिविटी काफी कम होती है, जिससे चमगादड़ के अंदर वायरस के इंफेक्शन को कैरी करने वाली सेल्स मरती नहीं।

3. चमगादड़ का मेटाबॉलिक रेट भी काफी हाई होता है, जो उसमें अधिक मात्रा में रिऐक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज (ROS) बनती हैं। यह कोरोना वायरस को तेजी से रेप्लिकेट (प्रतिरूप) करने से रोकती हैं।

4. चमगादड़ में बढ़े हुए म्यूटेशन के कारण कोरोना को दूसरे होस्ट में जंप करने में आसानी होती है।

इसलिए चमगादड़ में बना रहता है कोरोना

चमगादड़ के अंदर स्ट्रॉन्ग इम्यून रिस्पॉन्स नहीं होता इसलिए उनमें सीवियर लंग डैमेज (फेफड़ों को जानलेवा नुकसान) के चांस कम हो जाते हैं। उनके फेफड़ों व शरीर में उतनी सूजन नहीं आती है, जिससे उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो। बता दें कि पिछले 20 साल में चमगादड़ से ही तीन तरह के कोरोना वायरस दुनिया में आए।

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नोट: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी इंटरनैशनल जर्नल ऑफ बायॉलजिकल साइंसेज में वर्ष 2020 में पब्लिश रिसर्च पेपर से ली गई है।


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Content Writer

Anjali Rajput

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