संकट की घड़ी में यूक्रेन को याद आई Yulia Temosenkova, कौन है यह महिला जिससे कांपता था रूस

punjabkesari.in Saturday, Feb 26, 2022 - 02:37 PM (IST)

यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद कई लोगों के घायल और मारे जाने की खबरें सामने आ रही हैं। रूसी गोलाबारी और तोपों के कारण यूक्रेन की राजधानी कीव में चारों ओर भयानक तबाही का मंजर है। लोग जान बचाने के लिए शेल्टर या बेसमेंट में पनाह ले रहे हैं। वहीं, इस आपात स्थिति में यूक्रेन के लोग यूलिया टेमोसेनकोवा (Yulia Temosenkova) को याद कर रहे हैं। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर कौन है यूलिया , जिन्हें कभी डरा नहीं सका रूस

कौन हैं यूलिया?

यूलिया एक यूक्रेनी राजनीतिज्ञ, यूक्रेन की पीपुल्स डिप्टी हैं, जो यूक्रेन के इतिहास में पहली और अब तक की एकमात्र महिला प्रधान मंत्री थीं। यूक्रेन के लोग कह रहे हैं कि देश पर हमला करने वाला रूस यूलिया टेमोसेनकोवा को कभी डरा नहीं सका। यूक्रेन में इस समय पैदा हो रहे संकट के बीच लोगों का मानना ​​है कि अगर आज देश की कमान यूलिया के हाथों में होती तो शायद यह स्थिति नहीं होती।

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गैस क्वीन के नाम से जानी जाती है यूलिया

प्रधान मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, यूलिया ने हमेशा कठोर लहजे में रूस को जवाब दिया। वह बिना लड़े रूस को 'एक इंच जमीन' देने को भी तैयार नहीं थी। उसके कठोर लहजे से रूस भी डरा हुआ था। यूक्रेन की सफल कारोबारी महिलाओं में से एक यूलिया का बड़े पैमाने पर गैस का कारोबार था इसलिए उन्हें गैस क्वीन के नाम से भी जाना जाता था।

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खुद को एक सफल व्यवसाय साबित करने के बाद उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। उन्हें लोगों का समर्थन भी मिला और वह देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। यूलिया 2007 से 2010 तक यूक्रेन की प्रधानमंत्री रहीं। यूलिया ने अपने स्टाइल और मिजाज से यूक्रेन के लोगों का विश्वास जीता। देश के लिए एक सकारात्मक और संघर्षशील प्रधानमंत्री की उनकी छवि यूक्रेन के लोगों के बीच बनी।

जब यूलिया की वजह से रूस समर्थक राष्ट्रपति को छोड़ना पड़ा देश

रिपोर्ट के अनुसार, 2004 में यूक्रेन में हुए राष्ट्रपति चुनाव में रूस समर्थक विक्टर युशंकोव की जीत हुई थी। इस जीत के बाद यूलिया समेत कई विपक्षी नेताओं ने विक्टर पर चुनाव में धांधली का आरोप लगाया। इस विरोध के कारण यूक्रेन में 'ऑरेंज क्रांति' की शुरुआत हुई। विक्टर का विरोध करने में यूलिया सबसे आगे रहीं। उनकी पार्टी के झंडे का रंग नारंगी था इसलिए इस विरोध को 'ऑरेंज क्रांति' कहा गया। यूलिया ने अपनी दलीलें रखीं और पीछे नहीं हटीं। उन्हें यूक्रेन के लोगों का भरपूर समर्थन मिला। नतीजतन, रूस समर्थक राष्ट्रपति विक्टर युशनकोव को देश से भागना पड़ा।

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साजिश ने पहुंचाया यूलिया को जेल

यूक्रेन में 2010 में राष्ट्रपति चुनाव हुए थे, जिसमें विक्टर युश्नकोव ने यूलिया को केवल 3.3% वोटों से हराया था। विक्टर ने 2004 में यूलिया के खिलाफ विरोध का बदला लेने के लिए इस अवसर का लाभ उठाया। विक्टर ने यूलिया पर गैस सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर जेल भेज दिया। वह 2011 से 2014 तक जेल में रहीं। जेल में उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। हालांकि पूरी दुनिया का समर्थन यूलिया के साथ रहा। यूलिया को अमेरिका से लेकर यूरोपियन यूनियन समेत कई देशों का सपोर्ट मिला।

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हालांकि जेल से बाहर आने के बाद वह दोबारा राष्ट्रपति चुनाव में खड़ी हुई लेकिन उन्हें 13.40% वोट ही हासिल हुए और वह तीसरे स्थान पर रही। साल 2019 में वह संसद के लिए चुनी हई और उन्होंने अपनी विपक्ष पार्टी का नेतृत्व किया।


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Content Writer

Anjali Rajput

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